भारत में सऊदी अरब अपनी तेल कंपनियों के साथ नए रिफाइनरी प्रोजेक्ट में निवेश की योजना पर फिर से विचार कर रहा है। भारतीय सरकारी रिफाइनरी कंपनियां सऊदी के महंगे तेल को कम कर सस्ते रूसी तेल का विकल्प देख रही हैं, जिससे सऊदी के मार्केट शेयर में गिरावट आई है।
सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको भारत में नए रिफाइनरी प्रोजेक्ट, जैसे भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम द्वारा प्रस्तावित रिफाइनरियों में निवेश कर सकती है। इसका उद्देश्य भारतीय बाजार में अपनी पकड़ बनाना और अपने तेल के लिए स्थायी बाजार सुनिश्चित करना है।
गौरतलब है कि रत्नागिरी रिफाइनरी और रिलायंस इंडस्ट्रीज में निवेश की पिछली योजनाएं सफल नहीं हो पाई थीं।
भारतीय सरकारी रिफाइनर 10% तक कम कर सकते हैं तेल आयात
भारतीय सरकारी तेल रिफाइनर अपनी मौजूदा अनुबंधों के तहत आयातित तेल की मात्रा में 10% तक की कटौती कर सकते हैं। यह कटौती रिफाइनरी की कॉन्फ़िगरेशन के आधार पर कंपनियों में अलग-अलग हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, सऊदी अरब के साथ अगले वित्त वर्ष (FY26) के लिए नए अनुबंध अप्रैल 2025 से शुरू होंगे। वर्तमान वित्त वर्ष (FY25) में अप्रैल से अक्टूबर तक औसत 5.92 लाख बैरल प्रतिदिन (bpd) का आयात हुआ, जिससे कटौती का औसत लगभग 60,000 bpd होने की संभावना है।
साथ ही, इंडियन ऑयल के नेतृत्व में भारतीय रिफाइनर रूस की राज्य तेल कंपनियों, जैसे रोसनेफ्ट, के साथ भी नए अनुबंधों के लिए बातचीत कर रहे हैं। इंडियन ऑयल का रोसनेफ्ट के साथ 4.90 लाख bpd का अनुबंध मार्च में समाप्त हो चुका है और इसका नवीनीकरण किया जा रहा है।
भारतीय रिफाइनरियों ने सऊदी अरब के महंगे तेल से दूरी बनाते हुए इराक और रूस जैसे प्रतिस्पर्धी दरों पर तेल सप्लायर्स को तरजीह देनी शुरू कर दी है। भारतीय अधिकारियों ने बताया कि वित्तीय वर्ष के आधार पर सऊदी अरब के साथ तय मात्रा और वैकल्पिक तेल की सप्लाई होती है, जबकि इराकी कॉन्ट्रैक्ट कैलेंडर वर्ष के आधार पर होते हैं।
इराकी तेल पर बनी रहेगी निर्भरता
इराक की सरकारी तेल कंपनी सोमो भारतीय रिफाइनरियों को समय-समय पर रियायती दरों पर तेल उपलब्ध कराती है। इराक के बासरा मीडियम और हेवी ग्रेड तेल से भारतीय सरकारी रिफाइनरियों को बेहतर उत्पादन मिलता है। इस कारण से इराक से होने वाली सप्लाई पर असर नहीं पड़ेगा।
सऊदी के ऊंचे दामों का असर
वंदना हरी, सिंगापुर की ऊर्जा विशेषज्ञ और वांडा इनसाइट्स की संस्थापक ने बताया कि सऊदी अरब के ऑफिशियल सेलिंग प्राइसेज लगातार ऊंचे स्तर पर बने हुए हैं, जिसके कारण भारतीय रिफाइनरियां अब रूस जैसे सस्ते विकल्पों की ओर रुख कर रही हैं।
जनवरी-फरवरी में कॉन्ट्रैक्ट रिन्युअल्स की प्रक्रिया तय नियमों के अनुसार पूरी होती है। इस प्रक्रिया में हर PSU को एक राष्ट्रीय तेल कंपनी (NOC) के साथ समन्वय के लिए असाइन किया जाता है। संबंधित PSU की ओर से असाइन की गई NOC को जॉइंट नेगोसिएशन मीटिंग के लिए निमंत्रण भेजा जाता है, जो आमतौर पर दिल्ली में आयोजित होती है। इस डेलिगेशन का नेतृत्व तेल मंत्रालय के संबंधित जॉइंट सेक्रेटरी करते हैं, जिसमें राज्य रिफाइनरियों के ट्रेड डेस्क के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होते हैं।
इस बीच, सऊदी अरब ने भारत में निवेश से परहेज किया है और चीन में रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल प्लांट्स में निवेश का रुख किया है। भारत में महाराष्ट्र में प्रस्तावित 1.2 मिलियन bpd क्षमता वाली रिफाइनरी-कम-केमिकल प्लांट प्रोजेक्ट में देरी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के O2C बिजनेस में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने का $15 बिलियन का सौदा रद्द हो जाने के बाद यह कदम उठाया गया है।
भारत सरकार के तेल सचिव पंकज जैन की अगुवाई में भारतीय अधिकारियों ने हाल ही में सऊदी अधिकारियों से मुलाकात की और देश में नए रिफाइनरी प्रोजेक्ट्स में निवेश का प्रस्ताव रखा। सूत्रों के अनुसार, भारत आंध्र प्रदेश में भारत पेट्रोलियम और उत्तर प्रदेश में सरकारी तेल कंपनी ओएनजीसी के नेतृत्व में दो नई रिफाइनरियों में सऊदी निवेश की संभावनाओं पर चर्चा कर रहा है।
हालांकि, ओएनजीसी के चेयरमैन अरुण कुमार सिंह ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन भारत पेट्रोलियम के शीर्ष अधिकारियों ने आंध्र प्रदेश में निवेश की संभावना पर विचार होने की पुष्टि की।
सऊदी अरब की आपूर्ति में 11 प्रतिशत की गिरावट
अक्टूबर में सऊदी अरब ने भारत को 6.47 लाख बैरल प्रति दिन (bpd) कच्चा तेल सप्लाई किया, जो सितंबर के 7.26 लाख bpd से 11 प्रतिशत कम है। यह आंकड़ा पिछले साल के 8.83 लाख bpd से भी कम है। वहीं, रूस ने अक्टूबर में 1.73 मिलियन bpd तेल की आपूर्ति की, जो सितंबर के मुकाबले 9 प्रतिशत कम है, लेकिन पिछले साल के 1.58 मिलियन bpd से अधिक है। इराक 8.36 लाख bpd आपूर्ति के साथ दूसरे स्थान पर रहा।
भारत के तेल बाजार में रूस की हिस्सेदारी बढ़ी
2019 में सऊदी अरब की भारत के कच्चे तेल बाजार में 18.5 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जबकि रूस की हिस्सेदारी 3 प्रतिशत से कम थी। लेकिन इस साल रूस की हिस्सेदारी बढ़कर 39 प्रतिशत हो गई है, जबकि सऊदी अरब की हिस्सेदारी घटकर 13.7 प्रतिशत रह गई है। इराक भारत के कुल तेल आपूर्ति बाजार का पांचवां हिस्सा रखता है।
रूसी तेल की कीमत में कमी के बावजूद दबदबा बरकरार
रूस का भारत के तेल बाजार में दबदबा बना हुआ है, हालांकि शुरुआती 2023 में $20 प्रति बैरल से ज्यादा का डिस्काउंट अब घटकर $3-$4 प्रति बैरल तक आ गया है। इसके बावजूद, सऊदी तेल की कीमत रूस के मुकाबले अभी भी अधिक है। 2023 में सऊदी और रूसी तेल के बीच $15 प्रति बैरल का अंतर था, जो अब घटकर $6.5 प्रति बैरल हो गया है।