भारत के वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) पर भारी-भरकम वेतन संबंधित खर्च और बड़ी टीमों से दबाव पड़ रहा है। वहीं कई जीसीसी को वैल्यू या नवाचार को बढ़ाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये मौजूदा हालात कई केंद्रों की राह कमजोर बना सकते हैं।
यह प्रवृत्ति न केवल छोटे और नए जीसीसी में दिखाई दे रही है, जो पिछले सात-आठ वर्षों में स्थापित किए गए हैं, बल्कि बड़े और पुराने क्षमता केंद्रों में भी ऐसा ही रुझान नजर आ रहा है, भले ही वे एक दशक से अधिक समय से काम कर रहे हैं। क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पर्याप्त और अनुकूल रिटर्न के बिना कर्मचारी लागत बढ़ती रही, तो ऐसे केंद्र आगे चलकर दबाव में आ सकते हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड के लिए विजमैटिक कंसल्टिंग के एक विश्लेषण के अनुसार, भारतीय जीसीसी के लिए कुल लागत के प्रतिशत के रूप में औसत कर्मचारी व्यय 2020 में 65.9 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 76.2 प्रतिशत हो गया।
उदाहरण के लिए, एक वैश्विक कार्ड कंपनी के लिए यह संख्या 44.6 प्रतिशत से बढ़कर 61 प्रतिशत और एक ब्रिटिश बैंक के लिए 69 प्रतिशत से बढ़कर 82 प्रतिशत हो गई। खर्च में इस तरह की बड़ी वृद्धि की एक मुख्य वजह यह महामारी के बाद खर्च में इजाफा होना थी। महामारी के समय कंपनियों ने आर्टीफिशल इंटेलीजेंस (एआई), डेटा, डिजिटल और साइबर सुरक्षा से संबंधित प्रतिभाओं को लुभाने पर खूब पैसा खर्च किया।
एआई और मशीन लर्निंग (एमएल) इंजीनियरों, क्लाउड आर्कीटेक्ट्स, डेटा विश्लेषकों और उत्पाद प्रबंधकों जैसी ऑन-डिमांड भूमिकाओं में आमतौर पर कुछ मामलों में सालाना आधार पर 20 प्रतिशत से अधिक वेतन मिलता है।
विजमैटिक कंसल्टिंग के संस्थापक भागीदार संदीप पनत ने कहा, ‘जीसीसी को अब ऑटोमेशन, एआई और आउटकम मेट्रिक्स के माध्यम से वैल्यू सृजन को सही ठहराने की आवश्यकता है। लागत संरचना का 76 प्रतिशत से अधिक वेतन होने के कारण एट्रिशन महंगा होता जा रहा है। लर्निंग एंड डेवलपमेंट (एलऐंडडी), करियर पाथ और एंगेजमेंट तेजी से उभर रहे जीसीसी के लिए मुख्य फोकस वाले क्षेत्र होंगे।’
एक जीसीसी सलाहकार कंपनी ग्लोप्लैक्स सॉल्युशंस के प्रबंध निदेशक (एमडी) और सह-संस्थापक अवीक मुखर्जी ने कहा, ‘कई जीसीसी यह मानते हैं कि क्षमता का मतलब कई वरिष्ठ लोगों को जोड़ना है। इसके लिए वास्तव में विभिन्न स्तरों पर सही संख्या में लोगों की आवश्यकता होती है ताकि आपके लिए काम किया जा सके। ये केंद्र यहां केवल प्रतिभा के लिए नहीं बल्कि लागत के लिए भी हैं। वह प्राथमिक है और यदि इसे ठीक से प्रबंधित नहीं किया जाए, तो मुख्यालय में मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) मुश्किल सवाल पूछेंगे।’