facebookmetapixel
सीतारमण बोलीं- GST दर कटौती से खपत बढ़ेगी, निवेश आएगा और नई नौकरियां आएंगीबालाजी वेफर्स में 10% हिस्सा बेचेंगे प्रवर्तक, डील की वैल्यूएशन 40,000 करोड़ रुपये तकसेमीकंडक्टर में छलांग: भारत ने 7 नैनोमीटर चिप निर्माण का खाका किया तैयार, टाटा फैब बनेगा बड़ा आधारअमेरिकी टैरिफ से झटका खाने के बाद ब्रिटेन, यूरोपीय संघ पर नजर टिकाए कोलकाता का चमड़ा उद्योगबिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ इंटरव्यू में बोलीं सीतारमण: GST सुधार से हर उपभोक्ता को लाभ, मांग में आएगा बड़ा उछालGST कटौती से व्यापारिक चुनौतियों से आंशिक राहत: महेश नंदूरकरभारतीय IT कंपनियों पर संकट: अमेरिकी दक्षिणपंथियों ने उठाई आउटसोर्सिंग रोकने की मांग, ट्रंप से कार्रवाई की अपीलBRICS Summit 2025: मोदी की जगह जयशंकर लेंगे भाग, अमेरिका-रूस के बीच संतुलन साधने की कोशिश में भारतTobacco Stocks: 40% GST से ज्यादा टैक्स की संभावना से उम्मीदें धुआं, निवेशक सतर्क रहेंसाल 2025 में सुस्त रही QIPs की रफ्तार, कंपनियों ने जुटाए आधे से भी कम फंड

पूर्व अफसरशाहों का पुनर्वास केंद्र बना रेरा: सर्वोच्च न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने रेरा के कामकाज के प्रति नाराजगी जताई, राजधानी में प्रदूषण पर दिखाई सख्ती

Last Updated- September 27, 2024 | 10:41 PM IST
supreme court

रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के कामकाज के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि यह प्राधिकरण एक तरह से देश के पूर्व अफसरशाहों को सेवानिवृत्ति के बाद पदस्थापित करने का केंद्र बन गया है।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और उज्जल भुइयां के पीठ ने कहा, ‘हम रेरा के बारे में नहीं बोलना चाहते। वह पूर्व अफसरशाहों के पुनर्वास का केंद्र बन गया है जिन्होंने इस अधिनियम की पूरी योजना को ही निष्फल कर दिया है।’ न्यायालय दिल्ली उच्च न्यायालय के एक निर्णय के विरुद्ध दाखिल अपील की सुनवाई कर रहा था जिसमें बैंकों और वित्तीय संस्थानों को याचिका दाखिल करने वालों से पूर्व ईएमआई या पूरी ईएमआई वसूलने से बचने के निर्देश देने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।

रेरा के नाम से जाने जाने वाले रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डेवलपमेंट) ऐक्ट, 2016 को देश के अचल संपत्ति क्षेत्र में जरूरी सुधार लाने के लिए बनाया गया था। रेरा का मुख्य लक्ष्य है पारदर्शिता बढ़ाना, इस कारोबार को नागरिकों के अनुरूप और जवाबदेह बनाना तथा वित्तीय स्तर पर अनुशासित करना। इस प्रकार इसका लक्ष्य घर खरीदने वालों को सशक्त बनाकर अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाना है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऐसे कई घर खरीदने वालों की याचिकाएं खारिज कर दी थीं जो चाहते थे कि बैंक और वित्तीय संस्थान उस वक्त तक ईएमआई न मांगें जब तक कि रियल एस्टेट डेवलपर उनके घर उन्हें सौंप नहीं देते। इन रिट याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा था कि याचियों के पास कई अन्य कानूनों के तहत वैकल्पिक उपचार उपलब्ध हैं। इनमें उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता और अचल संपत्ति नियमन एवं विकास अधिनियम शामिल हैं।

याचियों में सुपरटेक अर्बन हाउस बायर्स एसोसिएशन फाउंडेशन तथा उस जैसे अन्य समूह शामिल हैं जिन्होंने बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं से ऋण लिया है।

First Published - September 27, 2024 | 10:41 PM IST

संबंधित पोस्ट