पिछले कई सालों से बीमार और बंद पड़े कारखानों के कर्मचारी आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं। कर्मचारियों की परेशानी को समझते हुए राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि बीमार और बंद पड़े उद्योगों के कामगारों के बकाया भुगतान के मामले को प्राथमिकता से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। उद्योगों पर नजर रखने और उनका अद्यतन डाटा तैयार करने के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ (सेल) गठित करने का भी आदेश दिया गया है।
उद्योग विभाग की समीक्षा बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि पिछले कई वर्षों से बीमार और बंद पड़े कारखानों के कामगार आर्थिक संकट में हैं। अब इस समस्या का स्थायी समाधान आवश्यक है। एमआईडीसी (महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम) की भूमि पर स्थित कई बंद कारखानों की संपत्तियां एनसीएलटी के आदेश के तहत नीलाम कर दी जाती हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में कामगारों के बकाया भुगतान को प्राथमिकता नहीं मिलती। उन्होंने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए एमआईडीसी और उद्योग विभाग को एक विशेष प्रकोष्ठ बनाने का निर्देश दिया।
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इस प्रकोष्ठ में कामगार विभाग और अन्य विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। यह प्रकोष्ठ एनसीएलटी के समक्ष लंबित उद्योगों और निकट भविष्य में जाने वाले उद्योगों का अद्यतन डाटा तैयार करेगा और कामगारों के बकाया भुगतान का मुद्दा एनसीएलटी के समक्ष प्रमुखता से रखेगा। कर्मचारियों के वेतन में कुछ कानूनी अड़चन आती है इसके लिए महाराष्ट्र का उद्योग विभाग कंपनी कानून में आवश्यक संशोधन के लिए केंद्र सरकार के साथ पत्राचार करेगा, ताकि कामगारों के हितों की रक्षा की जा सके।
बैठक में कहा गया कि एमआईडीसी केवल उद्योगों को भूमि और सुविधाएं देने तक सीमित नहीं है, बल्कि वहां काम करने वाले कामगारों के प्रति भी उसकी सामाजिक जिम्मेदारी है। बड़े उद्योग अपने कामगारों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करते हैं, लेकिन छोटे उद्योगों के कामगारों की नियमित स्वास्थ्य जांच नहीं होती। एमआईडीसी को स्वास्थ्य विभाग की मदद से औद्योगिक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करना चाहिए। इन शिविरों में सभी कामगारों की समग्र स्वास्थ्य जांच की जाएगी।
उद्योग विभाग की समीक्षा बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उद्योग मंत्री उदय सामंत उपस्थित थे। बैठक में उपमुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव असीम कुमार गुप्ता, प्रधान सचिव नवीन सोना, एमआयडीसी और उद्योग विभाग के अन्य अधिकारी भी शामिल थे।