कभी भारत में सदियों पुरानी उत्कृष्ट संगमरमर शिल्प कौशल के समृद्ध केंद्र के रूप में प्रख्यात किशनगढ़ आज दोराहे पर खड़ा है। राजस्थान में अजमेर के बाहरी इलाके में स्थित यह ‘संगमरमर शहर’ कई चुनौतियों से जूझ रहा है। कराधान के बोझ से लेकर सिरैमिक टाइल्स की बढ़ती मांग और सस्ते चीनी विकल्पों के प्रसार तक की समस्याओं से जूझ रहे इस शहर के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है।
टाइल्स शोरूम की बेतहाशा वृद्धि से संगमरमर उद्योग में 25 हजार से अधिक श्रमिकों का जीवन और उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई है। किशनगढ़ मार्बल इंडस्ट्री के मुताबिक, टाइल्स की बढ़ती मांग के बीच संगमरमर के कारोबार में 25 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।
मकराना रोड पर स्टोन स्टूडियो के सामने खड़े संगमरमर विक्रेता महेश खोलासे ने कहा, ‘टाइल्स शोरूम के तेजी से बढ़ने के कारण हमें अब बेरोजगारी की चिंता सता रही है।’ सड़क की दूसरी ओर नए खुले टाइल्स शोरूम की ओर इशारा करते हुए खोलासे ने कहा, ‘पिछले दो वर्षों के दौरान 10 से अधिक टाइल के शोरूम खुले हैं।’
शहर के प्रमुख संगमरमर विक्रेताओं में से एक एशियन मार्बल्स के उपाध्यक्ष (सेल्स ऑपरेशंस) विशेष पाटनी ने कहा, ‘हर साल टाइल्स के कारण संगमरमर उद्योग सिकुड़ रहा है। हाल के वर्षों में इसमें पहले ही 20 से 25 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।’
किशनगढ़ का संगमरमर और ग्रेनाइट उद्योग राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास और निवेश निगम (रीको) औद्योगिक क्षेत्र में है। यह 50 किलोमीटर में फैला हुआ है और इसमें 1,500 बड़ी इकाइयां, 4 हजार डीलर और 25 हजार कर्मचारी हैं। किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन के मुताबिक, यहां रोजाना 16 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होता है। देश में बिकने वाली 90 फीसदी से अधिक टाइल्स गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के मोरबी जिले से आती हैं। खबरों के अनुसार, पाटीदार बहुल मोरबी इलाके में 1 हजार से अधिक टाइल कारखाने हैं और इसका सालाना कारोबार करीब 50 हजार करोड़ रुपये का है।
टाइल्स की बढ़ती मांग के बीच संगमरमर उद्योग की कंपनियां घरेलू क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरें कम करने का अनुरोध कर रही हैं। फिलहाल, संगमरमर और टाइल्स दोनों पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है। संगमरमर उद्योग चाहता है कि इसे कम कर 12 फीसदी किया जाए।
किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन के मुख्य कार्य अधिकारी संपत राय शर्मा ने कहा, ‘हमने कर कटौती की मांग सरकार से की है। आदर्श रूप से संगमरमर पर 5 फीसदी कर लगना चाहिए क्योंकि हम पहले 5 फीसदी वैट देते थे।’
रोजगार जाने की चिंता न सिर्फ विक्रेताओं को है बल्कि संगमरमर काटने वाले, पॉलिश करने और उद्योग में कार्यरत अन्य सभी लोगों को यह भय है कि टाइल्स उद्योग के विस्तार से उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है।
गोदावरी स्टोन्स में संगमरमर की कटाई करने वाले बिहार के मजदूर तसलीम खान ने कहा, ‘हम पत्थर बनाने में कुशल हैं। अगर बाजार में सिर्फ टाइल्स का ही बोलबाला रहेगा तो हम कैसे रहेंगे? सरकार को न केवल जीएसटी दर कम करके बल्कि संगमरमर श्रमिकों को प्रोत्साहन देकर भी हमारी मदद करनी चाहिए।’