दूरसंचार ऑपरेटरों और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) ऐप के बीच राजस्व साझेदारी की लड़ाई ने नया मोड़ ले लिया है। अब दूरसंचार कंपनियां चाहती हैं कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे और ग्राहकों को अपनी सेवाएं मुहैया कराने के लिए दूरसंचार नेटवर्क का उपयोग करने वाले ओटीटी से शुल्क लिया जाए।
रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसे दूरसंचार ऑपरेटरों ने एकसाथ मिलकर दूरसंचार विभाग को प्रस्ताव दिया है कि ओटीटी की भारत में अर्जित आय पर शुल्क लगाया जाए। दूरसंचार फर्मों ने सुझाव दिया है कि इस शुल्क को भारत की समेकित निधि या डिजिटल भारत निधि में जमा किया जा सकता है।
घटनाक्रम के जानकार अधिकारियों के अनुसार इसका उद्देश्य यह है कि ओटीटी पर लगाए गए शुल्क का उपयोग दूरसंचार फर्मों द्वारा देश के कम सुविधा वाले क्षेत्रों में डेटा और वॉयस कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने में किया जाए।
इससे पहले दूरसंचार कंपनियों की मांग थी कि नेटफ्लिक्स, व्हाट्सऐप, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे बड़े ट्रैफिक वाले ऐप उनके साथ आय साझा करें। उनका कहना था कि ओटीटी ऐप दूरसंचार कंपनियों द्वारा विकसित डेटा नेटवर्क बुनियादी ढांचे के विकास में कोई योगदान नहीं कर रही हैं। दूरसंचार कंपनियों ने देश में 5जी नेटवर्क के विकास पर 3 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है जबकि ओटीटी ऐप अपनी सेवाएं मुहैया कराने के लिए बिना किसी शुल्क के इस नेटवर्क का उपयोग करते हैं।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक एस पी कोचड़ ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा स्थापित नेटवर्क पर भारी मात्रा में डेटा प्रेषित करने वाले ऐप (लार्ज ट्रैफिक जेनरेटर) को नेटवर्क के बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाने में योगदान देना चाहिए। इसलिए हमने सुझाव दिया है कि ऐसे लार्ज ट्रैफिक जेनरेटर को देश के डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास में अपनी आय का एक हिस्सा ‘डिजिटल भारत निधि’ में योगदान करना चाहिए।’
कोचर ने कहा, ‘इससे नेटवर्क के आवश्यक विकास के लिए पैसा मिलेगा और शहरी-ग्रामीण डिजिटल अंतर को पाटने में भी मदद मिलेगी।’ सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी प्रमुख दूरसंचार कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है।
ओटीटी ऐप पर शुल्क प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर संचार मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया। रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने भी इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
उद्योग के सूत्रों ने बताया कि वैश्विक स्तर पर इस तरह के ज्यादा उदाहरण नहीं हैं। ऐसे में दूरसंचार फर्में दक्षिण कोरिया की दूरसंचार कंपनियों और नेटफ्लिक्स के बीच राजस्व-साझेदारी का आकलन कर रही हैं। कानूनी लड़ाई के बाद 2023 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भारतीय बाजार में रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसी दूरसंचार कंपनियों के अपने ओटीटी ऐप हैं। रिलायंस के पास जियोहॉटस्टार और एयरटेल के पास एक्सट्रीम जैसे ओटीटी ऐप हैं। अधिकारियों ने संकेत दिया कि दूरसंचार विभाग ओटीटी शुल्क लगाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह के कदम से कंपनियों को सीधे तौर पर वित्तीय राहत नहीं मिल सकती है लेकिन इससे उन्हें नेटवर्क बुनियादी ढांचे पर खर्च का एक हिस्सा मिल सकता है।