जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने भारत में 10 ट्रिलियन येन (लगभग 68 बिलियन डॉलर यानी करीब 6 लाख करोड़ रुपये) निवेश करने का प्लान बनाया है। इसका मकसद अगले 10 सालों में भारत–जापान के बिजनेस रिश्तों को मजबूत करना है। यह जानकारी निक्केई एशिया की रिपोर्ट में दी गई। प्रधानमंत्री इशिबा शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। पीएम मोदी 29–30 अगस्त को जापान की यात्रा पर रहेंगे, जहां 15वां भारत–जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन होगा।
दोनों देशों के प्रधानमंत्री 17 साल बाद पहली बार सुरक्षा सहयोग पर साझा घोषणा को नया रूप देंगे। साथ ही, जापान का निवेश भारत के लिए 8 अहम क्षेत्रों में किया जाएगा – जिनमें मोबिलिटी, पर्यावरण और चिकित्सा जैसे सेक्टर शामिल हैं।
यह भी पढ़ें: India-UK FTA से एल्युमिनियम निर्यात 2030 तक तीन गुना बढ़ेगा, लेकिन CBAM का कार्बन टैक्स बनेगा चुनौती
रिपोर्ट के मुताबिक, यह निवेश खासतौर पर जापानी कंपनियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत में विस्तार करने में मदद करेगा। इन कंपनियों में भारतीय विशेषज्ञ इंजीनियरों को नौकरी मिलेगी। दोनों देशों के बीच AI Cooperation Initiative नाम का एक समझौता होगा, जिसके तहत युवा रिसर्चर्स का आदान–प्रदान किया जाएगा। शनिवार को पीएम मोदी और इशिबा Tokyo Electron नामक जापानी चिप बनाने वाली कंपनी की फैक्ट्री का दौरा करेंगे। इसके जरिए जापान अपनी तकनीकी ताकत को दिखाना चाहता है।
जापान, भारत के स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा देगा। जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) पहले ही तेलंगाना के स्टार्टअप्स को कर्ज दे चुकी है। साथ ही, जापान भारत के टैलेंट हायरिंग पर भी ध्यान देगा। जापान को 2030 तक लगभग 7.9 लाख विशेषज्ञ कर्मचारियों की जरूरत होगी, जबकि भारत हर साल करीब 15 लाख इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स तैयार करता है। पिछले 5 सालों में लगभग 25,000 भारतीय विशेषज्ञ जापान गए हैं, जहां उन्होंने काम किया या पढ़ाई और ट्रेनिंग पूरी की।
यह भी पढ़ें: रियल मनी गेमिंग पर बैन से विज्ञापन उद्योग को झटका, खेल विज्ञापनों में 15% गिरावट संभव
Sompo Care (जापान की नर्सिंग कंपनी) ने भारत में ट्रेनिंग सेंटर खोला है और 2024 से भारतीय कर्मचारियों को नौकरी देना शुरू कर दिया है। Sekisho (ऊर्जा कंपनी) भारतीय छात्रों को जापानी कंपनियों से जोड़ने का काम कर रही है। यह कंपनी जापानी भाषा शिक्षा और नौकरी प्लेसमेंट में भी मदद करेगी।
कुल मिलाकर, जापान का यह निवेश न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा, बल्कि भारतीय इंजीनियरों और युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार और नए अवसर भी लेकर आएगा।