हर वर्ष कोहरा विमानों के संचालन में बाधा बन जाता है। 2023 में भी दिसंबर के अंत में कोहरा शुरू होते ही विमानों की आवाजाही प्रभावित हुई और सैकड़ों उड़ानों का मार्ग बदलना पड़ा। कोहरे के दौरान विमान उड़ाने में सक्षम पायलटों की कमी के कारण ऐसी नौबत आती है। देश में कोहरा या धुंध की हालत में विमान उड़ाने में माहिर पायलटों की संख्या बहुत कम है। इस बार कोहरे के दौरान विमान संचालन में और भी बाधा खड़ी हो सकती है, क्योंकि पायलटों के प्रशिक्षण के लिए सीएटी-3 रनवे उपलब्ध ही नहीं हैं।
इस प्रशिक्षण के लिए एयरलाइंस को पहले से स्लॉट बुक करना पड़ता है, जिसके लिए इस समय लंबी प्रतीक्षा सूची है, क्योंकि इन्हीं सीएटी-3 प्रशिक्षण वाले रनवे पर नियमित लाइसेंस नवीनीकरण के लिए भी पायलटों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
विमानन क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ और एविएशन ब्लॉग ‘नेटवर्क थॉट्स’ के संस्थापक अमिय जोशी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि सिम्युलेटर पहले से नियमित प्रशिक्षण के लिए बुक रहते हैं। इन प्रणाली के लिए बुकिंग भी लगातार नहीं होती, क्योंकि सिम्युलेटर की उपलब्धता के आधार पर ही ऐसा हो पाता है। कम दृश्यता में विमान उड़ाने और उतारने के लिए इंस्ट्रूमेंटल लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) समझने के लिए पायलटों को सीएटी-3 जैसे प्रशिक्षण की जरूरत होती है।
इस बीच, कोविड महामारी के दौरान संक्रमण फैलने के खतरे को देखते हुए सिम्युलेटर पर कुछ ही पायलटों को प्रशिक्षण दिया जा सका था। महामारी खत्म होते ही सिम्युलेटर हासिल करना बड़ी चुनौती बन गया है।
जोशी ने कहा कि महामारी के बाद जैसे ही विमान परिचालन नियमित हुआ, तो सिम्युलेटर की कमी हो गई, क्योंकि अधिकांश सिम्युलेटर पहले से ही उन पायलटों के लिए बुक कर लिए गए, जिन्हें लाइसेंस नवीनीकरण के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण नहीं दिया जा सका था। इस कारण सीएटी-3 प्रशिक्षण की अवधि स्वत: ही लंबी हो गई है। यही नहीं, पायलटों की कमी के कारण भी एयरलाइंस अपने सभी पायलटों को प्रशिक्षण नहीं दिला पा रही हैं।
पूर्व पायलट और फ्लाइट सेफ्टी ऐंड ट्रेनिंग के पूर्व निदेशक कैप्टन एसएस पनेसर ने कहा कि आज विमानन उद्योग में पायलटों की भारी कमी है। इसके अतिरिक्त, कोहरे की परिस्थितियों में विमान उड़ाने के लिए योग्य पायलट भी बहुत कम संख्या में हैं। यदि एयरलाइंस किसी पायलट को प्रशिक्षण के लिए भेजती है, तो उसे ड्यूटी से छुट्टी देनी होगी। इससे एयरलाइंस का वाणिज्यिक परिचालन प्रभावित होता है। इसलिए वे अपने पायलटों को प्रशिक्षण देने से बचती हैं।
कैप्टन पनेसर के अनुसार मुख्य पायलट को कम से कम 2,500 घंटे और सह पायलट को 500 घंटे विमान उड़ाने का अनुभव होना चाहिए, जो कि सीएटी-2 और सीएटी-3 प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए आवश्यक होता है।
तीन घंटे का सीएटी-2 प्रशिक्षण हासिल करने के बाद पयलट दो घंटे के आईएलएस सीएटी-3 प्रशिक्षण के योग्य हो जाता है। इसके बाद पायलट को कोहरे में भी विमान उतारना होता है, जिसके बाद ही उसे सीएटी-3 प्रमाणित पायलट माना जाता है। सीएटी-3 बी स्थिति में लैंडिंग और उड़ान भरने के लिए दृश्यता 50-174 मीटर होनी चाहिए। वहीं, सीएटी-3 ए के लिए रनवे पर दृश्यता 175-299 मीटर होनी चाहिए।
विमानन उद्योग से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि कोहरे के दौरान विमान उड़ाने के प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर एयरलाइंस को प्रति पायलट पांच लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इस तरह प्रशिक्षण में लगने वाला समय और प्रशिक्षण के दौरान छुट्टी आदि को मिलाकर एयरलाइंस के लिए यह प्रक्रिया बहुत महंगी साबित होती है।
इसके अलावा, दिल्ली जैसे उत्तर भारत के एयरपोर्ट पर कोहरा बहुत कम समय के लिए आता है, इसलिए इतनी कम अवधि के लिए प्रशिक्षण पर मोटा खर्च करना विमानन कंपनियों को पचता नहीं है। जोशी ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किया।
दिल्ली एयरपोर्ट पर दो सीएटी-3बी वाले रनवे हैं, जिनमें से एक पर इस समय रखरखाव का काम चल रहा है। उम्मीद है यह रनवे जनवरी के पहले सप्ताह में खुल जाएगा। इससे यहां सीएटी-3 प्रशिक्षण के लिए पुन: दो रनवे उपलब्ध होंगे।
दिसंबर के महीने में 24 और 28 तारीख को सैकड़ों उड़ानें में देरी हुईं। दिल्ली हवाई अड्डे एयरपोर्ट पर कम दृश्यता के कारण कम से कम 58 उड़ानों का मार्ग परिवर्तित करना पड़ा।
एयरपोर्ट सूत्रों ने बताया कि 58 में से 50 उड़ानों के मार्ग इसलिए बदलने पड़े कि पायलट कोहरे में विमान उड़ाने के लिए प्रशिक्षित नहीं थे। इस संबंध में जब विमानन कंपनियों से संपर्क किया गया तो इंडिगो के अलावा किसी ने भी सवालों के जवाब नहीं दिए। प्रतिदिन सबसे ज्यादा 2,000 उड़ानों का संचालन करने वाली इंडिगो के पास सीएटी-3 प्रशिक्षित पायलट हैं। सर्दी के सीजन में इन पायलट को ज्यादा से ज्यादा ड्यूटी सौंपी जाती है।
इस कारण कंपनी की बहुत कम उड़ानों के मार्ग बदलने पड़ते हैं। एयरलाइंस ने अपने बयान में कहा कि हमारा प्रयास रहता है कि खराब मौसम के कारण यात्रियों को कम से कम परेशानी हो। हालांकि किसी भी एयरलाइंस ने यह नहीं बताया कि उनके पास कितने सीएटी-3 प्रशिक्षित पायलट हैं।