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EU-India trade: भारत में व्यापार के लिए ईयू कंपनियों की शर्तें: टैक्स, वीजा और नियमों में सुधार चाहिए

ईयू की कंपनियां भारत में निवेश बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं लेकिन कराधान और आपूर्ति श्रृंखला जैसी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है

Last Updated- March 05, 2025 | 10:45 PM IST
India-EU trade

भारत में काम करने वाली यूरोपीय संघ (ईयू) की कंपनियां चाहती हैं कि भारत गैर-शुल्क बाधाओं को सरल बनाए या हटा दे। इनमें गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ), जटिल सीमा शुल्क प्रक्रियाएं, लेबलिंग, जांच और आयात प्रक्रियाओं को सरल बनाना और डेटा स्थानीयकरण की बाधाओं के बिना सीमा पार डिजिटल लेनदेन को सुविधाजनक बनाना शामिल है।

यह फेडरेशन ऑफ यूरोपियन बिजनेस इन इंडिया (एफईबीआई) द्वारा किए गए बिजनेस सेंटीमेंट सर्वे, 2025 के परिणाम हैं। यह सर्वेक्षण दोनों पक्षों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए बातचीत फिर से शुरू होने से पहले किया गया है, जिसे साल के अंत तक पूरा किया जाना है।

सर्वे में कहा गया है, ‘ईयू-भारत एफटीए से एक अनुकूल कारोबारी माहौल बनने की उम्मीद है जिससे भारत में ईयू की कंपनियों के लिए समान अवसर मिलना सुनिश्चित होगा। इस सर्वेक्षण में 92 प्रतिशत प्रतिभागियों को सकारात्मक प्रभाव की उम्मीद है। वहीं इनमें से 72 प्रतिशत अगले दो वर्षों में भारत में अपना निवेश बढ़ाने की योजना बना रहे हैं जो समझौते की सफलता में मजबूत भरोसे को दर्शाता है।’

हालांकि, सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि जटिल वीजा और वर्क परमिट प्रक्रियाएं, प्रतिभाशाली लोगों के आवागमन में बाधा डालती हैं जिससे कार्यबल की उपलब्धता प्रभावित होती है। सर्वेक्षण में आगे कहा गया है, ‘बौद्धिक संपदा को लागू करने में कमजोरी, नकली सामानों का प्रचलन और गोपनीय डेटा के अपर्याप्त संरक्षण से ईयू के कारोबारों के सामने जोखिम बढ़ता है।’

यह सर्वेक्षण ईयू-भारत द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों से जुड़े नजरिये की जानकारी देता है, साथ ही भारत में यूरोपीय कारोबारों द्वारा सामना किए जाने वाले अवसरों और चुनौतियों के बारे में जानकारी देता है। ईयू, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है जिसने वर्ष 2023 में भारत के वस्तुओं के व्यापार में 12.2 प्रतिशत का योगदान दिया जबकि भारत, ईयू का नौवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है जिसने उसी वर्ष के दौरान ईयू के कुल वस्तुओं के व्यापार में 2.2 प्रतिशत का योगदान दिया।

सर्वेक्षण में कहा गया कि यूरोपीय संघ के निवेशक भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहते हैं, खासतौर पर तकनीकी और टिकाऊ उद्योगों में क्योंकि भारत अपने कारोबारी माहौल और व्यापारिक नीतियों को बेहतर बना रहा है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार में वृद्धि लाभ का प्राथमिक कारक होंगे इसलिए भारत और यूरोपीय संघ के बीच एक व्यापक व्यापार समझौता होना चाहिए। सर्वेक्षण में शामिल करीब 22 फीसदी ईयू कंपनियां अपने मौजूदा निवेश के स्तर को बनाए रखना चाहती हैं, जबकि 76 फीसदी ईयू कंपनियां वर्ष 2025 से पहले की तुलना में अपना निवेश बढ़ाना चाहती हैं।

यूरोपीय संघ के कारोबार भारत को कुल वृद्धि का मुख्य कारक मानते हैं। इनमें से 80 फीसदी इसे बढ़ते बिक्री बाजार के रूप में, 61 फीसदी उत्पादन के उभरते केंद्र के रूप में और 49 फीसदी निर्यात के लिए निर्माण स्थान के रूप में देखते हैं। सर्वेक्षण में कहा गया, ‘आमतौर पर निवेश के फैसले, भारत की मजबूत राजनीतिक स्थिरता (66 फीसदी), वैश्विक भू-राजनीति में इसके पोजिशन को लेकर आत्मविश्वास (60 फीसदी)और कुशल कार्यबल की उपलब्धता (60 फीसदी) से प्रभावित होते हैं। 59 फीसदी उत्तरदाताओं को भारत की व्यापार सुगमता अनुकूल लगती है जो देश के कारोबारी माहौल में उनके भरोसे को दर्शाता है।’

यह सर्वेक्षण 11 क्षेत्रों में 51 एफईबीआई सदस्य कंपनियों के बीच आयोजित किया गया था जिसमें व्यापार से जुड़े नजरिये, बाजार पहुंच, नियामक चुनौतियों और निवेश जलवायु, साथ ही ईयू-भारत एफटीए से व्यापारिक अपेक्षाओं को शामिल किया गया था। निवेश की अच्छी योजनाओं के बावजूद, यूरोपीय संघ के कारोबार को भारत में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिनमें कर और शुल्क सबसे बड़ी चुनौती हैं जो सर्वेक्षण में शामिल 51 फीसदी प्रतिभागियों को प्रभावित करते हैं।

सर्वेक्षण में लगभग 83 फीसदी प्रतिभागियों ने भारत के डिजिटल और तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतरीन या पर्याप्त बताया, जो डिजिटल बुनियादी ढांचे, ई-गवर्नेंस और तकनीक-संचालित सेवाओं में देश की प्रगति को दर्शाता है। करीब 69 फीसदी कुशल श्रमिक की उपलब्धता में भरोसा जताते हैं खासतौर पर इंजीनियरिंग, आईटी और विनिर्माण में भारत में प्रतिभाशाली लोग हैं।

सर्वेक्षण में कहा गया, ‘भारत की आपूर्ति श्रृंखला बुनियादी ढांचा और कराधान नीतियां भारत में यूरोपीय संघ के कारोबार के लिए दो चुनौतीपूर्ण क्षेत्र बने हुए हैं। 60 फीसदी से अधिक लोगों ने आपूर्ति श्रृंखला में सुधार की आवश्यकता की बात की और लगभग 75 फीसदी ने कराधान में सुधार की बात की।’

First Published - March 5, 2025 | 10:45 PM IST

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