देश में ई-वाहनों की बिक्री जोर पकड़ रही है। इन वाहनों के पंजीयन के मामले में सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश अव्वल है। लेकिन कुल वाहनों में हिस्सेदारी की बात करें तो देश की राजधानी दिल्ली सबसे आगे हैं। सरकार ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
किस राज्य में कितने पंजीकृत हैं ई-वाहन?
भारी उद्योग व इस्पात राज्य मंत्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा द्वारा राज्य सभा में दी गई जानकारी के अनुसार एक अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2024 तक देश में 36,39,617 ई-वाहन पंजीकृत हुए हैं, जिनकी इस अवधि में पंजीकृत कुल वाहनों में हिस्सेदारी 3.38 फीसदी रही। इस अवधि में देश में कुल 10,75,31,040 वाहन पंजीकृत हुए हैं।
इस दौरान यूपी में सबसे अधिक 6,65,247 ई-वाहन पंजीकृत हुए, जिनकी इस अवधि में कुल पंजीकृत वाहनों में 4.34 फीसदी हिस्सेदारी रही। यूपी के बाद सबसे अधिक 4,39,358 ई- वाहन महाराष्ट्र में पंजीकृत हुए। इस मामले में 3,50,810 ई-वाहनों के साथ कर्नाटक तीसरे, 2,28,850 वाहनों के साथ तमिलनाडु चौथे और राजस्थान 2,33,503 ई-वाहनों के साथ पांचवें स्थान पर रहा।
हिस्सेदारी में कौन सा राज्य आगे?
ई-वाहन पंजीयन संख्या के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य यूपी भले ही आगे हो, लेकिन हिस्सेदारी के मामले में देश की राजधानी दिल्ली पहले पायदान पर है। 5 साल में दिल्ली में कुल पंजीकृत वाहनों में ई-वाहनों की हिस्सेदारी 7.72 फीसदी रही, जो किसी भी राज्य की तुलना में सबसे अधिक है। इस अवधि में दिल्ली में 2,16,084 ई- वाहन पंजीयन हुए।
हिस्सेदारी के मामले में त्रिपुरा, गोवा, असम जैसे छोटे राज्यों का प्रदर्शन बड़े राज्यों की तुलना में बेहतर रहा। इन राज्यों में ई-वाहनों की कुल वाहनों के पंजीयन में हिस्सेदारी क्रमश: 7.62 फीसदी, 6.28 फीसदी और 5.79 फीसदी दर्ज की गई है, जबकि महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात जैसे बड़े राज्यों में ई-वाहनों की कुल वाहनों के पंजीयन में हिस्सेदारी 5 फीसदी से भी कम दर्ज की गई है।
सरकार ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन भी खूब दे रही है। फेम-2 के तहत सरकार एक अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2024 तक 11,500 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दे चुकी है। सरकार ने 29 सितंबर, 2024 को पीएम ई-ड्राइव योजना को अधिसूचित किया है। इस योजना पर 10,900 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।