लाखों गिग और प्लेटफॉर्म कामगारों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने के लिए श्रम मंत्रालय जून तक ‘सामाजिक सुरक्षा कवरेज की रूपरेखा’ पेश करने की तैयारी कर रहा है। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड यह जानकारी दी है। एक अधिकारी ने बताया, ‘अभी श्रम संहिता तैयार नहीं है लेकिन सरकार नहीं चाहती कि तेजी से बढ़ते गिग वर्कर अपने अधिकारों से वंचित रहें।
इस साल जून के अंत तक नया समग्र ढांचा पेश किए जाने की उम्मीद है।’सरकार नए मसौदे के तहत गिग वर्कर को विशिष्ट पहचान नंबर भी जारी कर सकती है। इससे वे विभिन्न प्लटफॉर्म पर कार्य करते हुए सामाजिक सुरक्षा का आसानी से फायदा उठा सकते हैं। इस क्रम में अन्य सुविधाओं में स्वास्थ्य बीमा, जीवन व विकलांगता बीमा, दुर्घटना बीमा और पेंशन कवर प्रस्तावित हैं।
अधिकारी ने बताया, ‘(प्रथम) मुख्य चुनौती गिग वर्कर की परिभाषा की है और यह भी कि उनके लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में योगदान कौन करेगा। इसका कारण यह है कि इनमें पारंपरिक नियोक्ता व कर्मचारी संबंधों का अभाव है। सरकार इन कामगारों के लिए कई तरह के लाभ देने की योजना बना रही है ताकि उन्हें सामाजिक सुरक्षा के लाभ मिल सकें और उनका शोषण नहीं हो।’
श्रम सचिव सुमिता डावरा की अध्यक्षता में बीते माह हुई बैठक में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर चर्चा हुई थी। यह इन कामगारों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की कवायद का हिस्सा है। इस बैठक में श्रम मंत्रालय के अधिकारीगण, प्लेटफॉर्म एग्रीगेटर जैसे जोमैटोके प्रतिनिधि, श्रमिकों संगठनों व नीति आयोग के प्रतिनिधि, आईएलओ और एनसीएईआर के प्रतिनिधि शामिल थे। श्रम मामलों के वकील बीसी प्रभाकर ने उम्मीद जताई कि इस नए प्रारूप में सरकार बजट से आर्थिक मदद मुहैया करा सकती है।