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SBI की दो बड़ी कंपनियां होंगी शेयर बाजार में लिस्ट, समय अभी तय नहीं: चेयरपर्सन सेट्टी

बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट 2025 में चेयरपर्सन सी. एस. सेट्टी ने कहा कि भारत की कुल कर्ज वृद्धि मजबूत है, लेकिन सेक्टरों के बीच फर्क दिख रहा है

Last Updated- October 29, 2025 | 1:08 PM IST
CS Setty

मुंबई में हुए बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट 2025 में एसबीआई (State Bank of India) के चेयरपर्सन सी. एस. सेट्टी ने कहा कि भारत में कुल मिलाकर कर्ज (लोन) की बढ़त अच्छी है। उन्होंने कहा कि हम कुल क्रेडिट ग्रोथ में पीछे नहीं हैं, बस यह देखना है कि किन सेक्टरों में तेजी है और किनमें नहीं।

क्या कॉरपोरेट कर्ज पिछड़ रहा है, जबकि एमएसएमई और कृषि बढ़ रहे हैं?

सेट्टी ने कहा कि छोटे उद्योग (एमएसएमई) और खेती-बाड़ी (कृषि) वाले सेक्टर में लोन की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। हर साल करीब 16-17 प्रतिशत की दर से ये मांग बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि अब इन क्षेत्रों के पास अपने कारोबार की साफ जानकारी और बेहतर योजना होती है, जिससे बैंक को उन्हें लोन देने में भरोसा बढ़ा है। वहीं, बड़ी कंपनियां लोन लेने में कम रुचि दिखा रही हैं। उनकी लोन ग्रोथ सिर्फ 11-12 प्रतिशत है, क्योंकि उनके पास पहले से ही करीब 13-14 लाख करोड़ रुपये कैश मौजूद है। इस वजह से वे बैंक से नया कर्ज लेने के बजाय अपना पैसा इस्तेमाल कर रही हैं।

क्या निजी निवेश (Private Capex) अब फिर से बढ़ेगा?

सेट्टी ने कहा कि सरकार और बैंक दोनों चाहते हैं कि निजी कंपनियां फिर से ज्यादा निवेश करें, ताकि देश की अर्थव्यवस्था तेजी से चलती रहे। उन्होंने बताया कि अब कंपनियां अपनी फैक्टरियों और मशीनों का ज्यादा इस्तेमाल कर रही हैं। पहले जहां वे 70-75% क्षमता पर काम करती थीं, अब 90% तक पहुंच गई हैं। हालांकि उन्होंने माना कि दुनिया में चल रही अनिश्चितता और सप्लाई चेन की दिक्कतों की वजह से निवेश की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ी है, लेकिन उन्हें भरोसा है कि भारत में लोगों की बढ़ती मांग (डिमांड) से जल्द ही निजी निवेश दोबारा बढ़ेगा।

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क्या आरबीआई के सुधार बैंकिंग सिस्टम के लिए भरोसे का संकेत हैं?

सेट्टी ने कहा कि आरबीआई ने अक्टूबर में जो 22 सुधार किए हैं, वे बैंकिंग सेक्टर के लिए भरोसे का संकेत हैं। उनके मुताबिक, अब बैंकों को एम एंड ए (M&A) फाइनेंसिंग यानी कंपनियों के विलय और अधिग्रहण के लिए लोन देने की अनुमति मिल गई है। इससे भारतीय बैंकों को विदेशी बैंकों की तरह प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा। हालांकि उन्होंने साफ कहा कि यह सुविधा कुल लोन का बहुत छोटा हिस्सा ही रहेगी। उन्होंने यह भी बताया कि ‘एक्सपेक्टेड क्रेडिट लॉस फ्रेमवर्क’ नाम की नई व्यवस्था एक बड़ा सुधार है। इससे बैंकों को यह पता लगाने में आसानी होगी कि किसी लोन में जोखिम कब शुरू हो सकता है। इससे बैंक पहले से सावधानी बरत सकेंगे और नुकसान से बच पाएंगे।

क्या सरकारी बैंक प्राइवेट बैंक के टैलेंटेड लोगों को आकर्षित कर पाएंगे?

सेट्टी ने कहा कि अब सरकारी और निजी बैंकों में ज़्यादा फर्क नहीं रह गया है, फर्क सिर्फ इतना है कि एक में सरकार की मालिकाना हक है और दूसरे में निजी निवेशकों का। उन्होंने माना कि अगर सरकार चाहती है कि निजी क्षेत्र के अनुभवी और होनहार लोग सरकारी बैंकों में आएं, तो इसके लिए वेतन और इन्सेंटिव की व्यवस्था में सुधार करना जरूरी है। सेट्टी ने कहा, “सरकारी बैंकों की असली ताकत सिर्फ वेतन नहीं है, बल्कि यहां लोगों को बड़े संगठनों का नेतृत्व करने और बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है। यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है।”

क्या एसबीआई में कर्मचारी नौकरी नहीं छोड़ते?

सेट्टी ने बताया कि एसबीआई में कर्मचारी बहुत कम नौकरी छोड़ते हैं, यानी त्याग दर (Attrition Rate) 0.5 प्रतिशत से भी कम है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि बैंक अपने कर्मचारियों के ट्रेनिंग पर बहुत ध्यान देता है।

हर साल एसबीआई लगभग ₹550 करोड़ रुपये ट्रेनिंग पर खर्च करता है, और हर कर्मचारी को औसतन 60 घंटे की ट्रेनिंग दी जाती है। सेट्टी ने कहा, “हम अपने लोगों में निवेश करते हैं, ताकि वे सिर्फ एसबीआई के लिए नहीं, बल्कि पूरे बैंकिंग सिस्टम के लिए उपयोगी बनें।”

क्या तकनीक से एसबीआई की रफ्तार दोगुनी हो रही है?

सेट्टी ने बताया कि तकनीक (Technology) ने एसबीआई को नई ऊंचाई तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि बैंक हर 6-7 साल में अपनी बैलेंस शीट दोगुनी कर लेता है, यानी उसका कारोबार लगातार तेजी से बढ़ रहा है। सेट्टी ने बताया कि एसबीआई अब भारत के सबसे बड़े तकनीकी निवेशकों में से एक है। उन्होंने कहा कि बैंक की डिजिटल सेवाओं की वजह से हर दिन 220 मिलियन (22 करोड़ से ज्यादा) यूपीआई ट्रांजैक्शन होते हैं।

कौन-सी सहायक कंपनियां होंगी शेयर बाजार में लिस्टेड?

सेट्टी ने बताया कि बैंक की दो बड़ी सहायक कंपनियां – एसबीआई म्यूचुअल फंड और एसबीआई जनरल इंश्योरेंस – आने वाले समय में शेयर बाजार में लिस्ट की जाएंगी। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि अभी इसके लिए कोई तय समय नहीं है। उन्होंने कहा कि ये दोनों कंपनियां वित्तीय रूप से बहुत मजबूत हैं और फिलहाल इन्हें नई पूंजी (funding) की जरूरत नहीं है।

क्या बैंकों के लिए जमा जुटाना मुश्किल हो गया है?

सेट्टी ने माना कि अब बैंकों के लिए जमा (Deposits) जुटाना मुश्किल होता जा रहा है। उन्होंने कहा, “हर बैंकर मानता है कि लोगों से जमा कराना पहले जितना आसान नहीं रहा। करेंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट (CASA) का अनुपात हर तिमाही घट रहा है।” इसका मतलब है कि लोग अब अपने पैसे का ज्यादा हिस्सा शेयर, म्यूचुअल फंड या दूसरी योजनाओं में निवेश कर रहे हैं। फिर भी, सेट्टी ने भरोसा जताया कि आखिर में पैसा बैंकिंग सिस्टम में लौटकर ही आता है, क्योंकि लोगों को सुरक्षा और भरोसा अब भी बैंकों से ही है।

First Published - October 29, 2025 | 12:35 PM IST

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