भारत में स्मार्टफोन असेंबल करने वाली ऐपल इंक के दबदबे वाली मोबाइल फोन की विनिर्माता कंपनियों को अमेरिकी बाजार में निर्यात के मामले में वैश्विक प्रतिस्पर्धियों – चीन और वियतनाम के मुकाबले फायदा मिलेगा। इसका कारण यह है कि अमेरिका ने जहां भारतीय आयात पर 26 प्रतिशत का शुल्क लगाया है, वहीं उसने चीन से आयात पर शुल्क बढ़ाकर 54 प्रतिशत कर दिया है (जो पहले 20 प्रतिशत था और अभी 30 प्रतिशत है) जबकि वियतनाम पर 46 प्रतिशत का नया शुल्क लगाया है।
ट्रंप से पहले अमेरिका में मोबाइल फोन शून्य शुल्क पर आयात किए जाते थे। भारत ने नवंबर 2024 तक अमेरिका को 4.18 अरब डॉलर के स्मार्टफोन निर्यात किए थे, जो एचएस कोड के आधार पर भारत से सबसे बड़ा निर्यात रहा।
हालांकि स्मार्टफोन कंपनिया मान रही हैं कि अब उन्हें चीन और वियतनाम के मुकाबले अलग शुल्क होने का फायदा मिलेगा, लेकिन उन्हें यह डर भी सता रहा है कि इससे आईफोन जैसे मोबाइल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी और मांग में कमी आएगी और इस तरह पूरी श्रृंखला पर असर पड़ेगा।
ऐसी भी आशंका है कि स्मार्टफोन कंपनियां अपने उत्पादन का बड़ा हिस्सा ब्राजील जैसे अन्य देशों में भेजना शुरू कर सकती हैं, जहां से आयात पर अमेरिका ने आधार स्तर का न्यूनतम 10 प्रतिशत शुल्क लगाया है। इससे ब्राजील बहुत आकर्षक हो गया है। उदाहरण के लिए ऐपल इंक अपने अधिकांश आईफोन चीन (करीब 85 प्रतिशत) और भारत में (जहां इसने अपने उत्पादन मूल्य का लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा स्थानांतरित किया है) और ब्राजील में छोटा भाग असेंबल करती है। ऐपल इंक की वियतनाम में भी खासी मौजूदगी है जहां वह आईपैड (बीवाईडी द्वारा) एयरपॉड, मैकबुक और ऐपल वॉच असेंबल करती हैं।
स्मार्टफोन कंपनियों का कहना है कि भारत सरकार मोबाइल फोन के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना लेकर आई थी (जिसमें भारत में असेंबल किए गए फोन के वृद्धिशील उत्पादन मूल्य पर चार से छह प्रतिशत का प्रोत्साहन दिया गया था) ताकि वियतनाम (आठ से 12 प्रतिशत) और चीन (18 से 24 प्रतिशत) की तुलना में भारत में उनकी उत्पादन लागत की अक्षमता की आंशिक भरपाई की जा सके।
अलबत्ता उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला को अमेरिका में स्थानांतरित करने की ट्रंप की महत्त्वाकांक्षा को जाहिर है लंबा सफर तय करना होगा। उदाहरण के लिए ऐपल इंक के आईफोन बहुत काफी ज्यादा श्रम प्रधान हैं, जिनके लिए दक्षिण कोरियाई कंपनियों के एक श्रमिक की तुलना में तीन श्रमिकों की जरूरत होती है।
उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिका में श्रम की लागत भारत की तुलना में करीब 15 से 20 गुना अधिक है। इसके अलावा इतनी बड़ी मात्रा में स्थानांतरण में बहुत समय और निवेश की जरूरत पड़ेगी। साफ तौर पर ब्राजील विकल्प हो सकता है।