अमेरिका और यूरोपीय बैंकिंग संकट से वित्त वर्ष 24 के दौरान भारत के IT सेवा उद्योग की वृद्धि की रफ्तार पर असर पड़ सकता है, जिसमें बैंकिंग वित्तीय सेवाएं और बीमा (BFSI) क्षेत्र को उसके सबसे बड़े ग्राहक आधार के रूप में शामिल किया जाता है। नैसकॉम के अनुसार वित्त वर्ष 23 में BFSI ने उद्योग के राजस्व में 41 प्रतिशत का योगदान किया है।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इन्फोसिस (Infosys), विप्रो (Wipro), एचसीएल टेक्नोलॉजिज (HCL Technologies), एमफासिस (Mphasis), एलटीआईमाइंडट्री (LTIMindtree) (LTIM) उन भारतीय आईटी फर्मों में शामिल हैं, जिनका कुछ संकटग्रस्त बैंकों में पैसा है।
TCS का अमेरिका के सिलिकन वैली बैंक (SVB), क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) और UBS में पैसा है, जो स्विस बैंक को लेने के लिए तैयार हो गया है। जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा अनुमान है कि SVB में TCS, इन्फोसिस और एलटीआईएम की जमा पूंजी 10 से 20 आधार अंक की हो सकती है, जो वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही में प्रावधान का कारण बन सकता है।
चूंकि SVB ने दिवालापन के लिए आवेदन किया है, इसलिए विश्लेषकों को उम्मीद है कि TCS और इन्फोसिस वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही में प्रभाव के लिए प्रावधान बना सकते हैं।
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विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय IT क्षेत्र के लिए दो परिदृश्य बन सकते हैं। मध्यम अवधि में IT फर्मों को इन संकटग्रस्त बैंकों के प्रभाव के लिए प्रावधान करना होगा। दीर्घावधि ऐसा परिदृश्य हो सकता है, जो वर्ष 2008 में लीमन संकट के बाद उभरा, जब बैंकों ने लागत और व्यावसायिक परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे IT क्षेत्र को लाभ हुआ।
मध्य से लघु अवधि इस क्षेत्र के लिए मुश्किल अवधि रहेगी क्योंकि बैंकिंग संकट से सौदों पर असर पड़ेगा। ईआईआईआर के मुख्य कार्याधिकारी पारीख जैन ने कहा कि SVB के मामले को छोड़कर चौथी तिमाही पर शायद असर न रहे। लेकिन इससे अगली कुछ तिमाहियों के लिए सौदों के प्रवाह पर असर पड़ सकता है। आगे चलकर मूल्य निर्धारण भी दबाव में आ सकता है।