भारतीय उपयोगकर्ताओं को व्यापक स्तर पर डिजिटल सेवाएं मुहैया कराने वाली नेटफ्लिक्स, स्पॉटिफाय, हॉटस्टार जैसी विदेशी कंपनियों को 1 अक्टूबर से कड़े वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नियमों का अनुपालन करना होगा। इन कंपनियों को 18 फीसदी की दर से जीएसटी का भुगतान करना होगा, भले ही उनकी सेवाओं का उद्देश्य कुछ भी हो।
अभी तक गैर-पंजीकृत जीएसटी में ग्राहकों जैसे कि केंद्र राज्य सरकारों, आम लोग को कारोबार से इतर उद्देश्य वाली सेवाओं के लिए विदेशी फर्मों को कर से छूट दी गई थी। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने इसके बारे में नियम अधिसूचित किया है।
इसमें कहा गया है कि ऑनलाइन सूचना और डेटाबेस एवं रीट्राइवल सेवाओं (ओआईडीएआर) के लिए कर छूट नहीं मिलेगी। इस तरह की सेवाओं पर भी 1 अक्टूबर से कर का भुगतान करना होगा। इसके साथ ही सीबीआईसी ने समुद्री माल ढुलाई के माध्यम से आयातित खेप पर 5 फीसदी एकीकृत जीएसटी से छूट को स्पष्ट किया है।
इस कदम से अधिकारियों को विदेशी फर्मों को पंजीकृत करने, कर छूट और जीएसटी प्रावधानों के तहत रिटर्न दाखिल करने के लिए जीएसटी अनुपालन के लिए प्रेरित करते हुए कर लागू करने में मदद मिलेगी।
कर अधिकारियों के अनुसार जिन चैनल भागीदारों के जरिये ऐसी कंपनियां सेवाओं की बिक्री करती हैं, वह जीएसटी के अंतर्गत नहीं आती हैं क्योंकि जीएसटी में पंजीकृत नहीं रहने वाले ग्राहकों को सेवाएं देने पर अभी तक जीएसटी की अनिवार्यता नहीं है।
लेकिन ओआईडीएआर नियमों के अधिसूचित होने के बाद सेवाओं के सभी राजस्व स्रोत जीएसटी के दायरे में आ जाएंगे और डिजिटल क्षेत्र में अनुपालन की खामियां दूर होंगी।
उक्त अधिकारी ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा सेवाओं के अलावा गेमिंग और विज्ञापन को पहले ओआईडीएआर सेवाओं के दायरे से बाहर रखने का तर्क दिया गया था, वह अब ओआईडीएआर सेवाओं की संशोधित परिभाषा के दायरे में आ जाएंगे।
ओआईडीएआर के दायरे में ऑनलाइन/इंटरनेट के माध्यम से प्रदान की जाने वाली क्लाउड सेवाएं, ई-बुक्स, विज्ञापन, फिल्में, संगीत, सॉफ्टवेयर, डेटा भंडारण और ऑनलाइन गेमिंग सेवाएं आती हैं।
सीबीआईसी की अधिसूचना वित्त अधिनियम, 2023 में किए गए प्रस्तावित संशोधन के अनुरूप है, जिसमें एकीकृत जीएसटी कानून के के तहत ‘गैर-करयोग्य ऑनलाइन प्राप्तकर्ता’ की परिभाषा का दायरा बढ़ाते हुए संशोधित किया गया है।
भारतीय उपभोक्ताओं को इस तरह की सेवाएं मुहैया कराने वाले किसी भी विदेशी आपूर्तिकर्ता को सीधे तौर पर या भारत में अपने प्रतिनिधि के जरिये जीएसटी कानून के तहत सरल पंजीकरण प्रक्रिया का पालन करना होगा।
इसके साथ ही उन्हें सेवाओं के एवज में 18 फीसदी की दर से एकीकृत जीएसटी का भुगतान करना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आदि भारतीय ग्राहकों से तगड़ी कमाई कर रहे हैं।