हैदराबाद की फार्मा लैब डॉ. रेड्डीज ने भारत में टोरिपालिमैब पेश करने का ऐलान किया है। टोरिपालिमैब एंटी-पीडी-1 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है, जो पीडी-एल1 और पीडी-एल2 के साथ पीडी-1 इंटरैक्शन को रोकती है और बेहतर रिसेप्टर इंटरनलाइजेशन के जरिये ट्यूमर कोशिकाओं को लक्ष्य बनाने और खत्म करने के लिए प्रतिरोधी प्रतिक्रिया को बढ़ाती है।
टोरिपालिमैब एक न्यू बायोलॉजिकल एन्टिटी (एनबीई) है। यह एकमात्र इम्यूनो-ऑन्कोलॉजी दवा है जिसे यूएसएफडीए, ईएमए और एमएचआरए जैसे नियामकीय प्राधिकरणों ने रिकरेंट या मेटास्टेटिक नासोफेरींजल कार्सिनोमा (आरएम-एनपीसीए) से पीड़ित वयस्कों के इलाज के लिए मंजूर किया है। अपनी कारगरता के लिए इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
साल 2023 में डॉ. रेड्डीज ने टोरिपालिमैब के लिए शंघाई जुंशी बायोसाइंसेज के साथ लाइसेंसिंग और व्यावसायीकरण समझौता किया था। इस समझौते से डॉ. रेड्डीज को भारत, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और कई लैटिन अमेरिकी देशों सहित 21 देशों में दवा विकसित करने और उसका व्यवसायीकरण करने का विशेष अधिकार मिल गया है।
डॉ. रेड्डीज के ब्रांडेड मार्केट्स (भारत और उभरते बाजार) के मुख्य कार्य अधिकारी एमवी रामना ने कहा, ‘टोरिपालिमैब की पेशकश भारत में नासोफेरींजल कार्सिनोमा (एनपीसी) से पीड़ित रोगियों के लिए महत्वपूर्ण है। एनपीसी सिर और गर्दन के कैंसर का दुर्लभ रूप होता है। अलबत्ता जटिल अवस्था वाले रोगियों के मामले में रोग का पूर्वानुमान खराब रहता है और भारत रोग के बोझ के लिहाज से दुनिया के शीर्ष पांच देशों में से एक है।’