उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) के पक्ष में 7,200 करोड़ रुपये के मध्यस्थता फैसले के प्रवर्तन के संबंध में मामले की सुनवाई की और अटॉर्नी जनरल से कहा कि यदि बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया तो वह भारत संघ को पक्षकार बना देगी।
डीएएमईपीएल रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की एक इकाई है।
रिलायंस इन्फ्रा ने 2 दिसंबर को दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें 4,500 करोड़ रुपये के मध्यस्थता राशि के भुगतान की मांग की गई थी।
अदालत ने तब डीएमआरसी को नोटिस जारी किया था और 12 दिसंबर तक जवाब मांगा था।
इसी मामले में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी डीएमआरसी को डीएएमईपीएल के पक्ष में मध्यस्थता फैसले की बकाया राशि का भुगतान करने की योजना के साथ आने के लिए 12 दिसंबर तक का समय दिया था।
न्यायमूर्ति बीआर गवई ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमणी से पूछा कि एक तरफ भारत को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र बनाने पर सार्वजनिक भाषण दिए जा रहे हैं और दूसरी तरफ फैसले का कोई प्रवर्तन नहीं है। उन्होंने कहा, इस अदालत द्वारा बरकरार रखे गए अधिकार का पालन किया जाना चाहिए।
एजी ने अदालत को बताया कि डीएमआरसी को 2700 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। हालांकि, डीएएमईपीएल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अदालत को सूचित किया कि लगभग 4500 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने तब एजी से भुगतान के लिए अस्थायी समय सीमा के बारे में पूछा। इसपर पीठ ने पूछा कि क्या हमें भारत संघ को पक्षकार बनाना चाहिए?
अटॉर्नी जनरल ने भुगतान करने के लिए चार और सप्ताह का समय मांगा है। बुधवार को फिर से मामले की सुनवाई की जाएगी।
इसी मामले को सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में भी सूचीबद्ध किया गया था और इसे दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।
9 सितंबर, 2021 को, उच्चतम न्यायालय ने डीएएमईपीएल के 2017 के लगभग 4,500 करोड़ रुपये के मध्यस्थता फैसले को बरकरार रखा, जो डीएमआरसी के खिलाफ था। जस्टिस एल नागेश्वर राव और बी आर गवई की पीठ ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई अब और नहीं टाली जा सकती क्योंकि यह दोनों पक्षों के हितों के लिए हानिकारक है।