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2025 में कौन-सा Gold ETF देगा सबसे ज्यादा रिटर्न? एक्सपर्ट ने दिए टिप्स

2025 में सोने की कीमतें 61% तक बढ़ीं, जानकारों का अनुमान - भाव ₹1.5 से ₹2 लाख प्रति 10 ग्राम तक जा सकते हैं। निवेशक अब ज्वेलरी नहीं, ईटीएफ और फंड ऑफ फंड्स में लगा रहे दांव।

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सुनयना चड्ढा   
Last Updated- October 21, 2025 | 1:37 PM IST

Best Gold ETF: सोना एक बार फिर निवेशकों की पहली पसंद बन गया है। साल 2025 में अब तक सोने की कीमतों में करीब 61 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले महीनों में यह चमक ₹1.5 से ₹2 लाख प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती है। ऐसे में सर्राफा बाजारों में भीड़ बढ़ गई है। परिवार सोने के भाव का हिसाब लगाते नजर आ रहे हैं कि क्या इस साल भी ‘धनतेरस का सोना’ खरीदा जा सकेगा।

लेकिन इस बार निवेशकों की नजरें केवल गहनों या सिक्कों पर नहीं हैं। अब लोग डिजिटल सोने की ओर रुख कर रहे हैं, जहां निवेश करना सस्ता, सुरक्षित और आसान है।

ज्वेलरी की जगह अब Gold ETF में क्यों दिख रही है चमक?

गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स यानी गोल्ड ईटीएफ (ETF) और गोल्ड फंड ऑफ फंड्स (FoFs) इस समय निवेशकों की नई मंजिल बन गए हैं। इन माध्यमों से सोने में निवेश न केवल सस्ता होता है, बल्कि इसमें भंडारण, शुद्धता और मेकिंग चार्ज जैसी झंझटें भी नहीं होतीं।

गोल्ड ईटीएफ असल में एक म्यूचुअल फंड होता है, जो 99.5 फीसदी शुद्ध सोने में निवेश करता है। हर ईटीएफ यूनिट करीब 0.01 ग्राम सोने के बराबर होती है और इसे शेयर बाजार में शेयरों की तरह खरीदा-बेचा जा सकता है। ईटीएफ में निवेश के लिए निवेशक को डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होती है। इसमें कोई जीएसटी या मेकिंग चार्ज नहीं देना पड़ता और कीमतें पूरी तरह पारदर्शी रहती हैं।

भारत में फिलहाल निप्पॉन इंडिया, एसबीआई, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, एक्सिस, कोटक और मिराए एसेट जैसे कई ईटीएफ निवेशकों के बीच लोकप्रिय हैं। हालांकि, हर फंड में खर्च अनुपात (Expense Ratio), तरलता (Liquidity) और ट्रैकिंग एरर (Tracking Error) अलग होती है। जो लंबे समय में रिटर्न को प्रभावित करती है।

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डीमैट अकाउंट नहीं है? फिर भी कैसे करें सोने में निवेश?

अगर आपके पास डीमैट अकाउंट नहीं है, तो भी सोने में निवेश का रास्ता बंद नहीं होता। इसके लिए गोल्ड फंड ऑफ फंड्स (FoFs) एक अच्छा विकल्प हैं। ये फंड्स गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं, यानी आप अप्रत्यक्ष रूप से सोने में निवेश करते हैं।

इन फंड्स में निवेश के लिए किसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की जरूरत नहीं होती। कोई भी निवेशक SIP (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) या एकमुश्त रकम के जरिए इसमें पैसा लगा सकता है। हालांकि इनकी खर्च दर ईटीएफ से थोड़ी अधिक होती है, क्योंकि ये अप्रत्यक्ष रूप से सोने में निवेश करते हैं।

इन फंड्स में निप्पॉन इंडिया गोल्ड सेविंग्स फंड, एसबीआई गोल्ड फंड, एचडीएफसी गोल्ड फंड, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल रेगुलर गोल्ड सेविंग्स फंड और एक्सिस, कोटक व मिराए एसेट गोल्ड फंड्स प्रमुख नाम हैं।

कौन-सा Gold ETF सबसे बेहतर है और कैसे चुनें?

वित्तीय सलाहकार विजय महेश्वरी के अनुसार, निवेशक को गोल्ड ईटीएफ या फोएफ चुनते समय तीन चीज़ों पर खास ध्यान देना चाहिए –

पहला, खर्च अनुपात (Expense Ratio) जितना कम होगा, उतना अच्छा। यह आमतौर पर 0.30 से 0.80 फीसदी के बीच होता है।
दूसरा, तरलता (Liquidity) यानी फंड का ट्रेडिंग वॉल्यूम। अधिक वॉल्यूम वाले फंड में खरीद-बिक्री आसान होती है और कीमत असली सोने के भाव के करीब रहती है।
तीसरा, ट्रैकिंग एरर (Tracking Error) जितनी कम होगी, फंड सोने के भाव को उतनी सटीकता से फॉलो करेगा।

महेश्वरी का कहना है, “केवल रिटर्न देखकर फंड न चुनें। यह देखें कि फंड सोने की कीमत को कितना सटीक ट्रैक करता है और आपसे कितनी फीस वसूल रहा है।”

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क्या अभी सोने में एकमुश्त निवेश सही है?

Value Research ने निवेशकों को सलाह दी है कि मौजूदा ऊंचे दामों पर सोने में निवेश धीरे-धीरे किया जाए। “अभी एक बार में बड़ी रकम न लगाएं। हर महीने SIP के ज़रिए निवेश करें और अपने पोर्टफोलियो का केवल 5 से 10 फीसदी हिस्सा ही सोने में रखें। सोना आमदनी बढ़ाने का साधन नहीं, बल्कि जोखिम से बचाव (hedge) का जरिया है,” संस्था ने कहा।

First Published : October 21, 2025 | 1:23 PM IST