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क्यों रुका Silver ETF FoFs में निवेश? एक्सपर्ट्स ने बताया – निवेशक आगे कैसे बनाएं स्ट्रैटेजी

चांदी के दामों में तेज उतार-चढ़ाव और फिजिकल सिल्वर की कमी के चलते फंड हाउसेज़ ने नए निवेश पर लगाई रोक। जानिए क्या करें निवेशक और कब खुलेगा रास्ता।

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देवव्रत बाजपेयी   
Last Updated- October 16, 2025 | 4:03 PM IST

चांदी के दामों में हालिया तेज उतार-चढ़ाव के बीच, देश की कई म्युचुअल फंड कंपनियों ने अपने Silver ETF Fund of Funds (FoFs) में नए निवेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब निवेशक चांदी के रिटर्न और इसकी बढ़ती मांग को लेकर उत्साहित थे, लेकिन अब बाजार में अचानक आई अनिश्चितता ने सभी को चौकन्ना कर दिया है।

इस कदम ने निवेशकों में चिंता और जिज्ञासा दोनों पैदा की हैं। आखिर ऐसा क्यों हुआ, क्या यह चांदी की कमी से जुड़ा है, और आगे क्या उम्मीद की जा सकती है? मार्केट एक्सपर्ट मानते हैं कि फंड हाउस की तरफ से निवेश पर रोक एक सही कदम है। क्योंकि अभी सिल्वर अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है। यदि भविष्य में फिजिकल सप्लाई सुधरती है, तो यह प्रीमियम घट सकता है और जिन्होंने ऊंचे भाव पर खरीदी की होगी, उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।

Silver FoFs पर रोक क्यों लगाई गई?

MyGold के फाउंडर और CEO अमोल बंसल का मानना है कि Silver FoFs पर रोक की मुख्य वजह फिजिकल सिल्वर की कमी है। जब निवेशक FoF में पैसा लगाते हैं, तो फंड हाउस को Silver ETFs में निवेश करना पड़ता है। ETF में निवेश का मतलब है, नई यूनिट्स जारी करने के लिए वास्तविक चांदी खरीदनी पड़ती है। लेकिन फिलहाल बाजार में असली चांदी की भारी कमी है, जिससे फंड हाउसेज को ऊंचे दामों पर चांदी खरीदनी पड़ रही थी।

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यह स्थिति पुराने निवेशकों के लिए नुकसानदायक हो सकती थी। ऐसे में, नए निवेश पर अस्थायी रोक लगाना एक सोच-समझकर उठाया गया कदम था, ताकि फंड हाउसेज को महंगी चांदी खरीदने के दबाव से बचाया जा सके।

वहीं कमोडिटी एक्सपर्ट, अनुज गुप्ता का कहना है कि यह परेशानी सिर्फ चांदी की कमी की वजह से नहीं है। उनके मुताबिक, इसमें लिक्विडिटी की दिक्कत, ज्यादा प्रीमियम और ट्रैकिंग एरर जैसी कई दूसरी समस्याएं भी जुड़ी हुई हैं। भारत में घरेलू बाजार और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में फर्क लगातार बढ़ रहा है। इसके साथ ही चांदी के इंपोर्ट की कीमतों में उतार-चढ़ाव, वॉल्ट (भंडारण) की सीमित क्षमता, और वैश्विक बाजार की अस्थिरता ने हालात को और मुश्किल बना दिया है।

क्या Silver ETFs अब भी सुरक्षित निवेश हैं?

जहां Silver FoFs में नए निवेश पर रोक लगाई गई है, वहीं Silver ETFs में ट्रेडिंग जारी है। ETFs पहले से मौजूद यूनिट्स में कारोबार करते हैं, इसलिए उन्हें नई चांदी खरीदने की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, अमोल बंसल के अनुसार ETFs भी इस समय पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। इस समय Silver ETF की कीमतें असली चांदी के मूल्य (iNAV) से काफी ज्यादा चल रही हैं। ये कीमतें करीब 5.5% से 20% तक महंगी हैं।

जबकि नियमों के अनुसार, ETF की कीमत और असली चांदी की कीमत में 2% से ज़्यादा अंतर नहीं होना चाहिए। फिलहाल यह अंतर 6.8% तक पहुँच गया है, जो निवेशकों के लिए चिंता की बात है क्योंकि इसका मतलब है कि फंड की वैल्यू असली चांदी के दामों से मेल नहीं खा रही।

यह स्थिति बाजार में बढ़ी हुई सट्टेबाजी और सप्लाई की कमी दोनों के कारण बनी है। इसलिए भले ही ETFs खुले हों, उनमें निवेश करते समय सावधानी और धैर्य जरूरी है।

निवेशक क्या करें – रुकें या आगे बढ़ें?

अमोल बंसल का कहना है कि जिन निवेशकों के SIP या SWP पहले से चल रहे हैं, उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। उनके निवेश पहले की तरह चलते रहेंगे। हालांकि, नए निवेशकों को फिलहाल इंतजार करना चाहिए क्योंकि ETF का भाव इस समय असली मूल्य से कहीं ज्यादा है। यदि भविष्य में फिजिकल सप्लाई सुधरती है, तो यह प्रीमियम घट सकता है और जिन्होंने ऊंचे भाव पर खरीदी की होगी, उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।

अनुज गुप्ता की राय भी लगभग ऐसी ही है। उनका कहना है कि जो निवेशक लंबे समय के लिए चांदी में पैसा लगाना चाहते हैं, वे धीरे-धीरे Silver ETFs में निवेश जारी रख सकते हैं। लेकिन जो लोग कम समय में मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं, उन्हें फिलहाल बाज़ार के स्थिर होने का इंतज़ार करना चाहिए। अभी सिल्वर मार्केट में तेज़ उतार-चढ़ाव है और नकदी (लिक्विडिटी) की स्थिति भी सीमित है।

Silver FoFs दोबारा कब खुल सकते हैं?

Silver FoFs में नए निवेश की शुरुआत फिलहाल जल्दी होने की संभावना नहीं है। फंड कंपनियों को पहले यह देखना होगा कि बाजार में चांदी की सप्लाई सामान्य हो, प्रीमियम कम हो जाए, और लिक्विडिटी यानी नकदी की स्थिति स्थिर हो।

इसके बाद ही वे SEBI की मंजूरी, फिजिकल चांदी की खरीद, और कस्टोडियन से जरूरी औपचारिकताओं जैसी प्रक्रियाएं पूरी करेंगी। अनुज गुप्ता का कहना है कि यह प्रक्रिया एकदम से नहीं बल्कि धीरे-धीरे (स्टेप-बाय-स्टेप) शुरू होगी।

क्या फंड हाउसेज का कदम सही है?

दोनों विशेषज्ञ इस निर्णय को निवेशक-हित में उठाया गया समझदारी भरा कदम मानते हैं। यह दिखाता है कि फंड हाउसेज तेजी से निवेश जुटाने के बजाय अब निवेशकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस घटना से यह बात भी साफ हुई है कि फिजिकल कमोडिटी फंड्स में सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स की भूमिका बहुत अहम होती है। जब असली चांदी की सप्लाई रुक जाती है या कम पड़ जाती है, तो उसका असर पूरे निवेश ढांचे पर पड़ता है।

आने वाले साल में गोल्ड और सिल्वर का रुख कैसा रहेगा?

गोल्ड की बात करें तो आने वाले साल में इसकी चमक बरकरार रहने की उम्मीद है। सेंट्रल बैंक लगातार सोना खरीद रहे हैं। सिर्फ 2025 की पहली तिमाही में ही लगभग 244 टन गोल्ड खरीदा गया है। कमजोर अमेरिकी डॉलर, ऊंची महंगाई और भू-राजनीतिक तनाव सोने की मांग को और बढ़ा रहे हैं।

ETF इनफ्लो में बढ़ोतरी से निवेशकों की रुचि का भी संकेत मिलता है। तकनीकी रूप से भी सोने का चार्ट मजबूत दिख रहा है और अनुमान है कि 2026 तक इसकी कीमत $4500–$5000 प्रति औंस और ₹1,40,000–₹1,50,000 प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंच सकती है।

वहीं सिल्वर की स्थिति भी लंबी अवधि में मजबूत दिखाई देती है। इसका उपयोग अब केवल गहनों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहनों और सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में बढ़ रहा है।

लगातार चौथे साल सिल्वर की सप्लाई टाइट बनी हुई है और ऊपर से औद्योगिक मांग भी बढ़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, दीवाली 2026 तक सिल्वर की कीमत $60–$70 प्रति औंस या ₹1,80,000–₹2,00,000 प्रति किलो तक पहुंच सकती है।

First Published : October 16, 2025 | 3:43 PM IST