अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप | फाइल फोटो
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के लगाए टैरिफ कंपनियों के लिए बड़ा सिरदर्द बन गए हैं। S&P ग्लोबल की एक नई रिपोर्ट बताती है कि 2025 में ये टैरिफ कंपनियों को कम से कम 1.2 ट्रिलियन डॉलर का अतिरिक्त खर्चा कराएंगे। इस बोझ का ज्यादातर हिस्सा ग्राहकों पर पड़ेगा। रिपोर्ट पिछले हफ्ते जारी हुई है।
S&P ने अपनी जनवरी की अनुमान को बदला है। अब S&P का कहना है कि इस साल कंपनियों के कुल खर्च 53 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। फॉर्च्यून ने इसकी रिपोर्ट की है। रिपोर्ट में लिखा है कि कंपनियों की कमाई की उम्मीद बढ़ी है, लेकिन मुनाफे की उम्मीद घटी है। इससे मार्जिन में 64 बेसिस पॉइंट की कमी आई है। ये आंकड़े 15 हजार सेल-साइड एनालिस्ट्स से लिए गए हैं, जो S&P कैपिटल आईक्यू और विजिबल अल्फा से जुड़े हैं।
अगर ये ट्रेंड उन कंपनियों पर भी लागू होता है जिन्हें सेल-साइड कवरेज नहीं मिलता, तो मुनाफे में कुल नुकसान 1.2 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो सकता है।
ये ट्रिलियन डॉलर का दबाव कई वजहों से आ रहा है। टैरिफ और ट्रेड बैरियर सप्लाई चेन पर टैक्स की तरह काम करते हैं। ये पैसा सरकारों को जाता है। इसके अलावा लॉजिस्टिक्स में देरी और माल ढुलाई का खर्च बढ़ जाता है। मजदूरी में महंगाई और ऊर्जा की कीमतें बढ़ने से पैसा मजदूरों और उत्पादकों को चला जाता है। एआई इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कैपिटल खर्च बढ़ने से कंपनियों का कैश फ्लो निवेश की तरफ जाता है।
रिपोर्ट कहती है कि ये सब मिलकर कॉरपोरेट मुनाफे से पैसा मजदूरों, सप्लायरों, सरकारों और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेशकों को ट्रांसफर कर रहे हैं। कुल खर्च में से दो-तिहाई हिस्सा ग्राहकों पर पड़ेगा, ऊंची कीमतों के जरिए। बाकी एक-तिहाई, यानी 315 बिलियन डॉलर, कंपनियां खुद झेलेंगी, कम मुनाफे के रूप में।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि असली उत्पादन घट रहा है। ऐसे में ग्राहक ज्यादा पैसे देकर कम सामान पा रहे हैं। ये दो-तिहाई हिस्सा उनके बोझ का न्यूनतम अनुमान है।
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ट्रंप द्वारा नियुक्त फेडरल रिजर्व गवर्नर क्रिस्टोफर वॉलर ने हाल ही में कहा कि टैरिफ से महंगाई का असर मामूली है। ये ज्यादातर अमीर घरानों पर पड़ता है, क्योंकि उनका खर्च कुल खपत का बड़ा हिस्सा है। लेकिन टीएस लोम्बार्ड के एनालिस्ट्स की राय अलग है। वो कहते हैं कि अमीर लोग ज्यादातर बच जाते हैं, जबकि कम और मध्यम आय वाले परिवार सबसे ज्यादा दबाव झेलते हैं। फॉर्च्यून ने ये खबर दी है।
इस साल की शुरुआत में ट्रंप सरकार ने अमेरिका में आने वाले सभी सामानों पर 10 प्रतिशत ड्यूटी लगा दी। उसके बाद कई देशों पर जवाबी टैरिफ लगाए गए। भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ है, जिसमें 25 प्रतिशत जवाबी है और बाकी रूसी तेल आयात करने के लिए।
भारत में ये टैरिफ कई इंडस्ट्रीज को चोट पहुंचाएंगे। टेक्सटाइल, डायमंड और सीफूड जैसे सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। कई कंपनियां अब दूसरे देशों में एक्सपोर्ट पार्टनर ढूंढ रही हैं। साथ ही घरेलू डिमांड बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं।