प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
सरकार भारत के उत्पादों पर 50 प्रतिशत शुल्क थोपे जाने और अनुमानित राहत पैकेज के प्रस्ताव का आकलन कर रही है। यह दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की प्रगति सहित अन्य कारकों पर निर्भर करता है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘हम (निर्यातकों के लिए) उपाय पेश करने से पहले सतर्क दृष्टिकोण अपना रहे हैं। वर्तमान में हम (वित्त, वाणिज्य और अन्य मंत्रालय) विभिन्न क्षेत्रों पर अतिरिक्त शुल्क के प्रभाव का आकलन कर रहे हैं।’
वर्तमान समय में दोनों देश एक व्यापक हल पर बातचीत कर रहे हैं। यह हल उनके व्यापार समझौते के लंबित मुद्दों का समाधान करेगा। साथ ही भारत के रूस के कच्चे तेल की अमेरिका की चिंताओं को हल करेगा। वे नवंबर तक समझौते को जल्द समाप्त करने पर भी ध्यान दे रहे हैं।
भारत अतिरिक्त शुल्क में पर्याप्त कमी के लिए अमेरिका के साथ जबरदस्त सौदेबाजी कर रहा है। इसमें न केवल 25 प्रतिशत दंडात्मक शुल्क को हटाना शामिल है, बल्कि पारस्परिक शुल्क को कम से कम 15 प्रतिशत तक कम करना भी शामिल है।
अमेरिकी प्रशासन ने भारत को अगस्त में जबरदस्त झटका दिया था। अमेरिका ने इस महीने में रूस से तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत दंडात्मक शुल्क लगाने सहित भारत के कई उत्पादों पर 50 प्रतिशत का भारी भरकम शुल्क लगा दिया था।
इसके बाद से निर्यातक शुल्क संबंधित चुनौतियों को लेकर वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय से बैठक कर अपनी चिंताओं को उजागर कर रहे हैं। दरअसल भारत के कई क्षेत्रों की अमेरिका के बाजार पर निर्भरता अधिक है। इसके बाद 50 प्रतिशत शुल्क से प्रभावित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को विशेष तौर पर ऋण संबंधित मदद देने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अनुरूप सहायता इंतजामों पर उच्च स्तरीय चर्चा हुई। इसके पीछे विचार यह था कि श्रम सधन क्षेत्रों के छोटे निर्यातकों के नकदी से संबंधित चुनौतियों को हल किया जाए और कार्यशील पूंजी पर दबाव को कम किया जाए।
इससे रोजगार की रक्षा करने के साथ निर्यातकों को नई मार्केट तक पहुंच मिलने से पहले अपने कारोबार का संचालन करने की अनुमति देना है।
उपरोक्त अधिकारी ने कहा, ‘उपायों/पैकेजों को शुरू करने और ऐसे उपायों को शुरू करने के समय का आकलन करने की जल्दबाजी में नहीं होना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि हम अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। ‘