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Revised vs Updated ITR: दोनों में क्या है अंतर और किस टैक्सपेयर्स को क्या भरना जरूरी, आसान भाषा में समझें

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा ITR में हुई गलतियों को ठीक करने और छूटी हुई डेडलाइन के बाद भी टैक्स फाइलिंग का अवसर देने के लिए रिवाइज्ड और अपडेटेड ITR की सुविधा दी गई है

Published by
ऋषभ राज   
Last Updated- December 26, 2025 | 1:53 PM IST

Revised vs Updated ITR: हर साल करोड़ों लोग इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं, लेकिन कई बार जल्दबाजी, कन्फ्यूजन या जानकारी की कमी में छोटी-मोटी गलतियां हो जाती हैं। किसी से इनकम का कोई हिस्सा छूट जाता है, तो कोई गलत डिडक्शन भर देता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो तय समय पर ITR फाइल ही नहीं कर पाते। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अब सब खत्म हो गया या फिर गलती सुधारने का कोई रास्ता अभी भी खुला है।

यहीं से कहानी शुरू होती है रिवाइज्ड और अपडेटेड ITR की। सरकार ने टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए ऐसे विकल्प दिए हैं, जिनसे न सिर्फ गलतियां सुधारी जा सकती हैं, बल्कि मिस हुई डेडलाइन के बाद भी टैक्स फाइलिंग का मौका मिलता है। मकसद साफ है कि लोग डर के बजाय ईमानदारी से आगे आएं और टैक्स के नियमों का पालन करें। लेकिन रिवाइज्ड और अपडेटेड ITR में फर्क क्या है, कौन सा विकल्प किसके लिए सही है और गलत चुनाव करने पर क्या नुकसान हो सकता है। इन्हीं सवालों के जवाब जानना हर टैक्सपेयर्स के लिए बेहद जरूरी है।

 

 

 

Revised ITR: गलतियां सुधारने का आसान तरीका

रिवाइज्ड ITR उन टैक्सपेयर्स के लिए होता है जिन्होंने अपना ओरिजिनल ITR फाइल कर दिया है, लेकिन बाद में उसमें कोई गलती पकड़ी गई हो। जैसे इनकम का कोई हिस्सा छूट जाना, गलत डिडक्शन क्लेम हो जाना या कोई जानकारी गलत भर दी जाना। ऐसे मामलों में रिवाइज्ड ITR के जरिए सुधार किया जा सकता है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इसकी डेडलाइन 31 दिसंबर 2025 तय की है। रिवाइज्ड रिटर्न संबंधित असेसमेंट ईयर के लिए या फिर टैक्स डिपार्टमेंट की असेसमेंट पूरी होने से पहले फाइल किया जा सकता है। इसमें टैक्स बढ़ाने या घटाने को लेकर कोई रोक नहीं है। 

रिवाइज्ड ITR फाइल करने के लिए यह जरूरी है कि ओरिजिनल रिटर्न पहले से फाइल हो चुका हो। अगर डेडलाइन निकल जाती है, तो टैक्सपेयर्स रिफंड क्लेम करने या नुकसान को आगे ले जाने के लिए ‘कंडोनेशन ऑफ डिले’ की अर्जी दे सकते हैं, जिसमें सही वजह बतानी होती है।

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Updated ITR: मिस्ड डेडलाइन के बाद का बैकअप प्लान

अपडेटेड ITR उन टैक्सपेयर्स के लिए है जो ओरिजिनल और बेलेटेड दोनों रिटर्न की समय सीमा चूक गए हैं। इसका मकसद यह है कि लोग खुद आगे आकर अपनी टैक्स देनदारी पूरी करें। अपडेटेड ITR असेसमेंट ईयर के अंत से चार साल तक फाइल किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपडेटेड ITR की अंतिम तारीख 31 मार्च 2030 है। 

यह विकल्प केवल तभी इस्तेमाल किया जा सकता है जब अपडेटेड रिटर्न फाइल करने से अतिरिक्त टैक्स देनदारी बनती हो। यानी अपडेटेड ITR के जरिए टैक्स कम करना, रिफंड क्लेम करना या नुकसान दिखाना संभव नहीं है। अगर टैक्सपेयर्स अतिरिक्त टैक्स होने के बावजूद अपडेटेड ITR फाइल नहीं करते हैं, तो उन्हें टैक्स अमाउंट का 25 से 50 प्रतिशत तक अतिरिक्त भुगतान करना पड़ सकता है। इसकी खास बात यह है कि अपडेटेड ITR ओरिजिनल रिटर्न फाइल किए बिना भी भरा जा सकता है।

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Revised vs Updated ITR में मूल फर्क

रिवाइज्ड और अपडेटेड ITR के बीच कई अहम अंतर हैं। रिवाइज्ड ITR तभी फाइल किया जा सकता है जब ओरिजिनल रिटर्न पहले से फाइल हो, जबकि अपडेटेड ITR बिना ओरिजिनल रिटर्न के भी भरा जा सकता है। रिवाइज्ड ITR में टैक्स बढ़ाने या घटाने की आजादी होती है, लेकिन अपडेटेड ITR केवल अतिरिक्त टैक्स चुकाने के लिए ही मान्य है।

रिवाइज्ड ITR मिस होने पर सीधी पेनाल्टी नहीं लगती, जबकि अपडेटेड ITR में अतिरिक्त टैक्स के साथ अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है। इन अंतर को समझकर टैक्सपेयर्स अपनी स्थिति के अनुसार सही विकल्प चुन सकते हैं। कुल मिलाकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का जोर वॉलंटरी कंप्लायंस पर है, ताकि टैक्स सिस्टम ज्यादा मजबूत और पारदर्शी बन सके।

First Published : December 26, 2025 | 1:53 PM IST