आपका पैसा

Income Tax: रिवाइज्ड IT रिटर्न क्या है, जिसे आप कैलेंडर ईयर के अंत तक फाइल कर सकते हैं

ITR Filing 2025-26: टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा रिवाइज्ड रिटर्न फाइलिंग की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2025 तय की गई है जिससे पहले हुई गलतियों को सुधारा जा सके

Published by
ऋषभ राज   
Last Updated- November 13, 2025 | 4:34 PM IST

अगर आपने इस साल अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त कोई चूक की है, जैसे आय का कोई हिस्सा छूट गया हो या डिडक्शन गलत कैलकुलेट हो गया हो, तो घबराने की जरूरत नहीं है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रिवाइज्ड रिटर्न का रास्ता दिया है, जिसके तहत आप कैलेंडर ईयर के आखिर यानी 31 दिसंबर तक अपनी रिटर्न ठीक कर सकते हैं। यह सुविधा उन टैक्सपेयर्स के लिए वरदान है जो मूल रिटर्न में छोटी-मोटी गलतियां कर बैठते हैं। हाल ही में जारी गाइडलाइंस के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए ये डेडलाइन 31 दिसंबर 2025 है, बशर्ते आपकी रिटर्न का असेसमेंट न हुआ हो। ये बदलाव टैक्सपेयर्स को ज्यादा समय देते हैं, ताकि पेनल्टी से बचा जा सके।

रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करना बिल्कुल आसान

रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करना मूल रिटर्न जितना ही सरल है। सबसे पहले इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन करें। वहां ‘फाइल इनकम टैक्स रिटर्न’ सेक्शन में जाकर ‘रिवाइज्ड/डीफेक्टिव रिटर्न’ चुनें। आपको मूल रिटर्न का रिसीप्ट नंबर और असेसमेंट ईयर डालना होगा। फिर नई डिटेल्स भरें, जैसे सही इनकम सोर्स, एक्स्ट्रा डिडक्शन या TDS क्रेडिट। सिस्टम ऑटोमैटिकली चेक करेगा कि क्या बदलाव वैलिड हैं।

अगर आप ITR-1 या ITR-4 यूज कर रहे हैं, तो नई एलिजिबिलिटी के तहत लिस्टेड सिक्योरिटीज से 1.25 लाख तक के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन को शामिल कर सकते हैं। फॉर्म में प्री-फिल्ड डेटा ज्यादा एक्टिवेटेड है, जो गलतियां कम करता है। लेकिन याद रखें, रिवाइज्ड रिटर्न में टैक्स लायबिलिटी बढ़ सकती है, तो एक्स्ट्रा पेमेंट के लिए चालान जनरेट करें।

Also Read: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने शुरू की नई सुविधा: सबमिशन देखे जाने की जानकारी अब मिलेगी पोर्टल पर

क्या हैं नए अपडेट्स

इस साल की बजट अपडेट्स ने रिवाइज्ड रिटर्न को और यूजर-फ्रेंडली बना दिया है। ITR फॉर्म्स में कैपिटल गेन के लिए ट्रांजेक्शन-लेवल डिटेल्स मांगे गए हैं, जैसे एक्विजिशन कॉस्ट और सेल वैल्यू, जो सेक्शन 112A के तहत टैक्सेशन को साफ करता है। आधार एनरोलमेंट ID की जरूरत हटा दी गई है, जिससे PAN-आधार लिंक वाले यूजर्स को राहत मिली। साथ ही, न्यू टैक्स रिजीम में रिबेट लिमिट 60,000 रुपये तक हो गई है, जो सैलरीड लोगों को फायदा पहुंचाएगी।

पार्टनरशिप फर्म्स के लिए रेम्युनरेशन डिडक्शन की कैलकुलेशन भी बदली है, ताकि ज्यादा अमाउंट क्लेम हो सके। TDS थ्रेशोल्ड्स रिवाइज्ड हुए हैं, और सेक्शन 206AB-206CCA हटा दिए गए, जो नॉन-फाइलर्स पर हाई रेट TDS लगाते थे। ये बदलाव 1 अप्रैल 2025 से लागू हैं, जो AY 2025-26 के लिए रिवाइज्ड फाइलिंग को स्मूथ बनाते हैं।

क्यों जरूरी है समय पर रिवाइज्ड रिटर्न भरना

रिवाइज्ड रिटर्न न भरने से न सिर्फ पेनल्टी लग सकती है, बल्कि रिफंड भी रुक सकता है। नई गाइडलाइंस में लेट फाइलिंग पर भी TDS रिफंड क्लेम करने की छूट मिली है, लेकिन मूल डेडलाइन मिस करने पर 5,000 रुपये तक का फाइन हो सकता है। खासकर, अगर आपकी इनकम 50 लाख से ज्यादा एस्केप हो गई हो, तो डिपार्टमेंट 7 साल पुरानी रिटर्न्स खोल सकता है।

स्टार्टअप्स को 100 पर्सेंट टैक्स एग्जेम्प्शन मिल रहा है, लेकिन इसके लिए सही डिस्क्लोजर जरूरी है। कुल मिलाकर, ये सुविधा टैक्सपेयर्स को सिस्टम में भरोसा बढ़ाती है, क्योंकि छोटी गलतियां अब बड़ी मुसीबत नहीं बनेंगी।

First Published : November 13, 2025 | 4:34 PM IST