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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने शुरू की नई सुविधा: सबमिशन देखे जाने की जानकारी अब मिलेगी पोर्टल पर

इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर नया फीचर शुरू किया गया है, जो टैक्सपेयर्स को सबमिशन देखने, ट्रैक करने और विवादों में प्रमाण का भरोसा देगा

Published by
अमित कुमार   
Last Updated- October 16, 2025 | 6:49 PM IST

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अपने ई-फाइलिंग पोर्टल पर एक नया फीचर शुरू किया है, जिससे टैक्सपेयर्स यह देख सकेंगे कि उनके सबमिशन को असेसिंग ऑफिसर (AO) या कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स (अपील्स) [CIT(A)] ने कब और किस समय देखा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह कदम पारदर्शिता बढ़ाएगा, विवादों को कम करेगा और फेसलेस असेसमेंट सिस्टम में लोगों का भरोसा मजबूत करेगा।

यह अपडेट पारदर्शिता कैसे बढ़ाता है?

फोरविस मजर्स इंडिया के डायरेक्ट टैक्स पार्टनर गौरव जैन कहते हैं, “अब टैक्सपेयर्स यह जान सकेंगे कि उनके सबमिशन को संबंधित ऑफिसर ने कब और किस समय देखा। इससे यह साफ हो जाता है कि उनका जवाब देखा जा रहा है, जिससे पहले की अनिश्चितता खत्म होती है।”

इस अपडेट के मुख्य फायदे:

  • रियल-टाइम जानकारी: टैक्सपेयर्स को तुरंत पता चल जाएगा कि उनका सबमिशन कब खोला गया।
  • ऑफिसर की जवाबदेही: हर कदम की टाइम-स्टैम्पिंग होती है, जिससे देरी या विवाद के मामले में डिजिटल रिकॉर्ड बन जाता है।
  • तेजी से काम: ऑफिसर्स पर तय समय-सीमा में काम करने का दबाव बढ़ेगा, क्योंकि उनके कदम ट्रैक किए जा रहे हैं।
  • फेसलेस असेसमेंट में भरोसा: जब हर कदम ट्रैक हो, तो सिस्टम की निष्पक्षता और कार्यकुशलता साफ दिखती है।

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टैक्सपेयर्स के लिए व्यावहारिक फायदे

बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसाइटी के जॉइंट सेक्रेटरी और चार्टर्ड अकाउंटेंट मृणाल मेहता कहते हैं, “फेसलेस असेसमेंट स्कीम में हमेशा कम्युनिकेशन की दिक्कत रही है। यह अपडेट टैक्सपेयर्स की अनिश्चितता को कम करता है, क्योंकि अब उन्हें पता चलता है कि उनके दस्तावेज देखे गए हैं, इससे पहले कि कोई कार्रवाई हो।”

अन्य फायदे:

  • पक्का सबूत: टैक्सपेयर्स को अब यह चिंता नहीं रहेगी कि उनके सबमिशन पर ध्यान दिया गया या नहीं।
  • विवादों में मदद: अगर अनावश्यक देरी होती है या टैक्सपेयर के जवाब को देखे बिना ऑर्डर पास होता है, तो यह लॉग सबूत का काम करेगा।
  • उदाहरण से समझें: मान लीजिए, कोई टैक्सपेयर सेक्शन 143(1) के नोटिस का जवाब देता है। अब वह यह चेक कर सकता है कि ऑफिसर ने उसका जवाब देखा या नहीं। इससे बिना पूरी जांच के ऑर्डर पास होने से बचा जा सकता है और अनावश्यक कानूनी झगड़े कम होंगे।

डेटा सिक्योरिटी बरकरार

मेहता के मुताबिक, यह फीचर गोपनीयता से कोई समझौता नहीं करता। “यह ऑडिट ट्रेल सिर्फ उस टैक्सपेयर को दिखता है, जिससे उसकी संवेदनशील जानकारी पूरी तरह सुरक्षित रहती है।”

यह पोर्टल अपडेट भारत के टैक्स सिस्टम में डिजिटल जवाबदेही की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह टैक्सपेयर्स को स्पष्टता, भरोसा और देरी या गलतियों को चुनौती देने का एक मजबूत तरीका देता है।

First Published : October 16, 2025 | 6:49 PM IST