आपका पैसा

Spending trends: 2025 में भारतीय किस पर कर रहे हैं सबसे ज्यादा खर्च, डेलॉइट ने जारी की रिपोर्ट

डेलॉइट की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अब खर्च करने में ज्यादा समझदार हो गए हैं। वे बचत और खर्च के बीच संतुलन बनाते हुए अब लाइफस्टाइल, ट्रैवल और टेक्नोलॉजी पर ज्यादा ध्यान दे रहे

Published by
सुनयना चड्ढा   
Last Updated- October 16, 2025 | 4:13 PM IST

भारतीय उपभोक्ता अब पहले से ज्यादा आत्मविश्वास से भरे नजर आ रहे हैं। डेलॉइट कंज्यूमर सिग्नल्स इंडिया रिपोर्ट 2025 के मुताबिक, देश में लोगों का खर्च बढ़ रहा है, लेकिन यह खर्च सोच-समझकर और उद्देश्य के साथ किया जा रहा है। लोग अब पैसे बिना वजह नहीं खर्च कर रहे, बल्कि यह देख रहे हैं कि कहां और क्यों खर्च करना है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यात्रा, गाड़ियां और लाइफस्टाइल से जुड़ी चीजों पर खर्च बढ़ा है, जबकि लोग नौकरी और महंगाई को लेकर अब भी थोड़ा सावधान हैं।

Also Read: EPFO ने किया साफ: नौकरी छोड़ने के बाद तुरंत मिलेगा 75% PF, एक साल बेरोजगारी पर पूरा पैसा निकलेगा

भारत का फाइनेंशियल वेलबीइंग इंडेक्स (FWBI) 110.3 तक पहुंच गया है, जो वैश्विक औसत 103.6 से ज्यादा है। इसके साथ ही उपभोक्ता विश्वास (Consumer Confidence) भी पिछले साल से 8 अंक बढ़ा है। जो 2022 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है।

क्या अब महंगाई की चिंता कम हो रही है?

रिपोर्ट के मुताबिक, अब सिर्फ 38% भारतीय लोग ही बढ़ती कीमतों को अपनी सबसे बड़ी चिंता मानते हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 60% से ज्यादा था। इसका मतलब है कि महंगाई की चिंता अब पहले जैसी नहीं रही। इस बदलाव की वजह है कि ईंधन और खाने-पीने की चीजों की कीमतें पिछले कुछ महीनों से स्थिर हैं। इससे लोगों में फिर से भरोसा और आराम लौटा है। अब 62% भारतीय परिवार कहते हैं कि वे अगले छह महीनों में ज्यादा खर्च करने की योजना बना रहे हैं । वे खासकर यात्रा, इलेक्ट्रॉनिक सामान और गाड़ियों पर खर्च करना चाहते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि यात्रा पर खर्च में 11%, इलेक्ट्रॉनिक्स में 9% और वाहनों पर 7% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

क्या लोग खर्च के साथ बचत भी कर रहे हैं?

खर्च बढ़ने के बावजूद 70% से ज्यादा शहरी उपभोक्ता कहते हैं कि वे अब भी पहले जितनी या उससे ज्यादा बचत कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि भारत का मध्यम वर्ग अब पहले से ज्यादा सावधान और समझदार है। वह अब ज्यादा चीजें नहीं, बल्कि अच्छी और काम की चीजें चाहता है।

डेलॉइट साउथ एशिया के पार्टनर और कंज्यूमर इंडस्ट्री लीडर आनंद रामनाथन कहते हैं, “आज का भारतीय उपभोक्ता पहले से ज्यादा समझदार, डिजिटल रूप से सक्षम और आर्थिक रूप से आत्मविश्वासी है। वह अब जानता है कि अपने पैसों से ज्यादा फायदा कैसे उठाया जाए। यानी कम खर्च में ज्यादा हासिल करना, वो भी बिना अपनी इच्छाओं से समझौता किए।”

क्या महंगाई का दबाव अब घट रहा है?

  • भारत का फाइनेंशियल वेलबीइंग इंडेक्स अब एशिया और बाकी दुनिया के औसत से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, महंगाई को लेकर लोगों की चिंता पिछले एक साल में 5% घट गई है।
  • यह सुधार इसलिए आया है क्योंकि नवंबर 2024 से खुदरा महंगाई लगातार कम हो रही है और हाल में हुए जीएसटी सुधारों ने भी कीमतों पर दबाव घटाने में मदद की है।
  • इससे अर्थव्यवस्था में स्थिरता और लोगों के भरोसे दोनों में बढ़ोतरी हुई है।

क्या उपभोक्ता अब खर्च और सावधानी के बीच संतुलन बना रहे हैं?

  • भारतीय उपभोक्ता अब “सावधानी” और “खर्च” के बीच संतुलन बना रहे हैं।
  • औसत मासिक खर्च जुलाई से सितंबर 2025 के बीच 2% से बढ़कर 4% हो गया है।
  • हालांकि यह अभी भी महामारी से पहले के स्तर से थोड़ा नीचे है, लेकिन त्योहारी और मौसमी खरीदारी के दौरान खर्च लगातार बढ़ रहा है।
  • यात्रा, मनोरंजन और वेलनेस जैसी कैटेगरी में खर्च बढ़ना बताता है कि उपभोक्ता अब फिर से जीवनशैली खर्च की ओर लौट रहे हैं, मगर सोच-समझकर।

क्या खाने-पीने की आदतों में भी बदलाव दिख रहा है?

  • भारत का फूड फ्रूगैलिटी इंडेक्स (FFI) तीन साल में अपने दूसरे सबसे निचले स्तर पर आ गया है। इसका मतलब है कि लोग अब ज़रूरत से ज्यादा कटौती नहीं कर रहे।
  • वे भोजन की बर्बादी कम करने, पोर्टियन साइज पर ध्यान देने और स्मार्ट खरीदारी जैसे कदम उठा रहे हैं।
  • यानी अब “कम खरीदना” नहीं, बल्कि “सही खरीदना” भारतीय उपभोक्ता का नया मंत्र बन गया है।
  • सस्ते पैक, बजट फ्रेंडली वैरिएंट और प्राइवेट लेबल ब्रांड अब तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।

क्या लोग अब यात्रा और अनुभवों पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं?

  • रिपोर्ट बताती है कि यात्रा और हॉस्पिटैलिटी अब घरों का नियोजित खर्च बन चुके हैं।
  • लोग अब सिर्फ घूमने नहीं, बल्कि बेहतर अनुभव पाने के लिए खर्च कर रहे हैं।
  • रेल यात्राओं, होटल बुकिंग और घरेलू ट्रिप्स में वृद्धि देखी गई है।

यात्री अब 2% ज्यादा खर्च सिर्फ अनुभवों पर कर रहे हैं — जैसे आरामदायक जगह रुकना, लोकल व्यंजन, और नई जगहों की खोज। यह दिखाता है कि लोग अब सिर्फ यात्रा नहीं कर रहे, बल्कि यादों और संतुष्टि पर पैसा खर्च करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

क्या गाड़ियों की मांग फिर बढ़ रही है?

भारत का व्हीकल परचेज इंटेंट (VPI) इंडेक्स साल-दर-साल 6.6 अंक बढ़ा है। अब उपभोक्ता बड़ी खरीद को टाल नहीं रहे हैं। सिर्फ 23% भारतीय उपभोक्ता कहते हैं कि नई गाड़ियां उनके बजट से बाहर हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 62% है।

टैक्स सुधारों और बढ़ती आय ने वाहन खरीद को और आसान बनाया है। लोग अब टेक्नोलॉजी, सुरक्षा और आराम पर ध्यान दे रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की मांग भी बढ़ी है। अब 60% उपभोक्ता EV खरीदने की योजना बना रहे हैं, जबकि दो साल पहले यह आंकड़ा 47% था।

First Published : October 16, 2025 | 4:13 PM IST