भारतीय उपभोक्ता अब पहले से ज्यादा आत्मविश्वास से भरे नजर आ रहे हैं। डेलॉइट कंज्यूमर सिग्नल्स इंडिया रिपोर्ट 2025 के मुताबिक, देश में लोगों का खर्च बढ़ रहा है, लेकिन यह खर्च सोच-समझकर और उद्देश्य के साथ किया जा रहा है। लोग अब पैसे बिना वजह नहीं खर्च कर रहे, बल्कि यह देख रहे हैं कि कहां और क्यों खर्च करना है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यात्रा, गाड़ियां और लाइफस्टाइल से जुड़ी चीजों पर खर्च बढ़ा है, जबकि लोग नौकरी और महंगाई को लेकर अब भी थोड़ा सावधान हैं।
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भारत का फाइनेंशियल वेलबीइंग इंडेक्स (FWBI) 110.3 तक पहुंच गया है, जो वैश्विक औसत 103.6 से ज्यादा है। इसके साथ ही उपभोक्ता विश्वास (Consumer Confidence) भी पिछले साल से 8 अंक बढ़ा है। जो 2022 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अब सिर्फ 38% भारतीय लोग ही बढ़ती कीमतों को अपनी सबसे बड़ी चिंता मानते हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 60% से ज्यादा था। इसका मतलब है कि महंगाई की चिंता अब पहले जैसी नहीं रही। इस बदलाव की वजह है कि ईंधन और खाने-पीने की चीजों की कीमतें पिछले कुछ महीनों से स्थिर हैं। इससे लोगों में फिर से भरोसा और आराम लौटा है। अब 62% भारतीय परिवार कहते हैं कि वे अगले छह महीनों में ज्यादा खर्च करने की योजना बना रहे हैं । वे खासकर यात्रा, इलेक्ट्रॉनिक सामान और गाड़ियों पर खर्च करना चाहते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि यात्रा पर खर्च में 11%, इलेक्ट्रॉनिक्स में 9% और वाहनों पर 7% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
खर्च बढ़ने के बावजूद 70% से ज्यादा शहरी उपभोक्ता कहते हैं कि वे अब भी पहले जितनी या उससे ज्यादा बचत कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि भारत का मध्यम वर्ग अब पहले से ज्यादा सावधान और समझदार है। वह अब ज्यादा चीजें नहीं, बल्कि अच्छी और काम की चीजें चाहता है।
डेलॉइट साउथ एशिया के पार्टनर और कंज्यूमर इंडस्ट्री लीडर आनंद रामनाथन कहते हैं, “आज का भारतीय उपभोक्ता पहले से ज्यादा समझदार, डिजिटल रूप से सक्षम और आर्थिक रूप से आत्मविश्वासी है। वह अब जानता है कि अपने पैसों से ज्यादा फायदा कैसे उठाया जाए। यानी कम खर्च में ज्यादा हासिल करना, वो भी बिना अपनी इच्छाओं से समझौता किए।”
यात्री अब 2% ज्यादा खर्च सिर्फ अनुभवों पर कर रहे हैं — जैसे आरामदायक जगह रुकना, लोकल व्यंजन, और नई जगहों की खोज। यह दिखाता है कि लोग अब सिर्फ यात्रा नहीं कर रहे, बल्कि यादों और संतुष्टि पर पैसा खर्च करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
भारत का व्हीकल परचेज इंटेंट (VPI) इंडेक्स साल-दर-साल 6.6 अंक बढ़ा है। अब उपभोक्ता बड़ी खरीद को टाल नहीं रहे हैं। सिर्फ 23% भारतीय उपभोक्ता कहते हैं कि नई गाड़ियां उनके बजट से बाहर हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 62% है।
टैक्स सुधारों और बढ़ती आय ने वाहन खरीद को और आसान बनाया है। लोग अब टेक्नोलॉजी, सुरक्षा और आराम पर ध्यान दे रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की मांग भी बढ़ी है। अब 60% उपभोक्ता EV खरीदने की योजना बना रहे हैं, जबकि दो साल पहले यह आंकड़ा 47% था।