भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। - फाइल फोटो
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने दावा किया है कि उनके “मित्र” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा। ट्रंप ने इसे यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में “बड़ा कदम” बताया। ट्रंप के बयान के बाद कांग्रेस पार्टी ने पीएम मोदी की आलोचना की है। राहुल गांधी ने पीएम मोदी को ‘डरा हुआ’ बताया। दूसरी ओर, ट्रंप के इस बयान के बाद भारत सरकार ने साफ तौर कहा है कि अपने कंज्यूमर्स के हितों की रक्षा करना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
बुधवार को ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि अमेरिका इस बात से “खुश नहीं” था कि भारत रूसी कच्चा तेल खरीद रहा है, क्योंकि ऐसी खरीद से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युद्ध को आर्थिक मदद मिलती है। ट्रंप ने कहा, “वह (मोदी) मेरे दोस्त हैं, हमारे बीच बेहतरीन संबंध हैं… हम खुश नहीं थे कि वह रूस से तेल खरीद रहे थे क्योंकि इससे रूस को इस बेवकूफी भरे युद्ध को जारी रखने में मदद मिली, जिसमें उन्होंने पंद्रह लाख लोग गंवा दिए।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं खुश नहीं था कि भारत तेल खरीद रहा है, और (मोदी) ने आज मुझे आश्वासन दिया है कि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे। यह एक बड़ा कदम है। अब हमें चीन को भी यही करने के लिए तैयार करना होगा।” ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र (CREA) के अनुसार, भारत चीन के बाद रूसी जीवाश्म ईंधन का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है।
ट्रंप के बयान पर विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता कंज्यूमर्स के हितों की रक्षा करना है। रूस से तेल खरीद पर मीडिया के सवालों के लिखित जवाब में, जायसवाल ने कहा, “भारत तेल और गैस का एक महत्वपूर्ण आयातक है। अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय कंज्यमर्स के हितों की रक्षा करना हमारी निरंतर प्राथमिकता रही है। हमारी आयात नीतियां पूरी तरह इसी मकसद के आधार पर निर्धारित हैं।
स्थिर ऊर्जा कीमतों और सुरक्षित आपूर्ति को सरकार की ऊर्जा नीति के दोहरे लक्ष्य बताते हुए, जायसवाल ने कहा कि इसमें भारत के ऊर्जा स्रोतों का व्यापक आधार बनाना और बाजार की परिस्थितियों के अनुरूप डायवर्सिफाई करना शामिल है।
उन्होंने आगे कहा, “जहां तक अमेरिका का सवाल है, हम कई वर्षों से अपनी ऊर्जा खरीद का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले दशक में इसमें लगातार प्रगति हुई है। मौजूदा प्रशासन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को गहरा करने में रुचि दिखाई है। इस पर चर्चा जारी है।”
इससे पहले, भारतीय प्रधानमंत्री को “महान व्यक्ति” बताते हुए ट्रंप ने कहा, “वह ट्रंप से प्यार करते हैं… लेकिन मैं नहीं चाहता कि आप ‘प्यार’ शब्द का गलत अर्थ लगाएं… मैं उनके राजनीतिक करियर को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता।”
मोदी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए ट्रंप ने कहा, “मैंने वर्षों से भारत को देखा है। यह एक अद्भुत देश है, और हर साल वहां नया नेता आ जाता था। कोई कुछ महीनों तक रहता, कोई थोड़े अधिक समय तक, लेकिन यह साल दर साल चलता रहा। और अब मेरे मित्र लंबे समय से वहां हैं, और उन्होंने मुझे भरोसा दिलाया है कि रूस से तेल की खरीद नहीं होगी।”
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ट्रंप ने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया तुरंत पूरी नहीं होगी लेकिन शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा, “उन्होंने (मोदी) मुझे आश्वासन दिया है कि रूस से कोई तेल नहीं खरीदा जाएगा। शायद यह एक बड़ी खबर है… वह रूस से तेल नहीं खरीद रहे हैं। यह शुरू हो गया है। वह इसे तुरंत नहीं कर सकते; यह एक प्रक्रिया है, लेकिन यह प्रक्रिया जल्द ही पूरी हो जाएगी।”
ट्रंप ने कहा कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त होने के बाद ही मॉस्को के साथ ऊर्जा व्यापार फिर से शुरू कर सकता है। उन्होंने कहा, “अगर भारत तेल नहीं खरीदता, तो यह (रूस पर दबाव) आसान हो जाता है, और उन्होंने आश्वासन दिया है कि जल्द ही वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे… और युद्ध खत्म होने के बाद वे फिर से रूस के साथ व्यापार करेंगे।”
ट्रंप के बयान के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से “डरे हुए” हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अमेरिकी नेता को यह “निर्णय लेने और घोषणा करने” की अनुमति दी कि भारत रूसी तेल नहीं खरीदेगा और “बार-बार की गई अनदेखी के बावजूद बधाई संदेश भेजते रहते हैं”।
राहुल गांधी ने एक्स पोस्ट में मिला, “पीएम मोदी ट्रंप से डरे हुए हैं। ट्रंप को यह निर्णय लेने और घोषणा करने की अनुमति देते हैं कि भारत रूसी तेल नहीं खरीदेगा। बार-बार की गई अनदेखी के बावजूद बधाई संदेश भेजते रहते हैं। वित्त मंत्री की अमेरिका यात्रा रद्द कर दी। शर्म अल-शेख में शामिल नहीं हुए। ऑपरेशन सिंदूर पर उनका खंडन नहीं करते।”
परंपरागत रूप से मध्य पूर्वी तेल पर निर्भर भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद रूस से आयात में तेज़ी से वृद्धि की थी।
पश्चिमी प्रतिबंधों और यूरोप की घटती मांग के चलते रूसी तेल भारी छूट पर उपलब्ध हुआ, जिससे भारत के रूसी कच्चे तेल आयात का हिस्सा कुल आयात में 1 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 40 प्रतिशत तक पहुँच गया।
भारत का लगातार यह कहना है कि उसकी तेल खरीद राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और जहां उसे किफायती मिलेगा, उस नजरिए के आधार होती है। रूस-यूक्रेन संघर्ष पर उसका रुख “स्वतंत्र और संतुलित” है।
इनपुट: एजेंसी