गौतम अदाणी (फाइल फोटो)
Adani Bribery Case: अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने अदाणी ग्रुप चेयरमैन गौतम अदाणी पर लगाए गए धोखाधड़ी के आरोपों वाला मुकदमा अमेरिकी संघीय सरकार के शटडाउन के कारण अस्थायी रूप से रोक दिया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अदाणी को नवंबर 2024 में ब्रुकलिन के अभियोजकों ने $250 मिलियन की रिश्वत स्कीम और धोखाधड़ी में शामिल होने के आरोप में अभियुक्त बनाया था।
इस पांच-कोर्ट क्रिमिनल कोर्ट में गौतम अदाणी के साथ उनके भतीजे सागर आर. अदाणी और अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के वरिष्ठ कार्यकारी वीनीत एस. जैन के नाम भी शामिल हैं।
इसी के साथ, SEC ने एक सिविल केस दायर कर आरोप लगाया है कि गौतम और सागर अदाणी ने अमेरिकी प्रतिभूति कानूनों का उल्लंघन करते हुए निवेशकों को भ्रामक जानकारी दी। 10 अक्टूबर की दाखिल रिपोर्ट में SEC ने कहा कि उनका वकील सरकारी फर्लो (furlough) पर है, इसलिए वह इस केस पर काम नहीं कर पा रहा।
यूएस मजिस्ट्रेट जज जेम्स चो ने SEC के अनुरोध को स्वीकार करते हुए निर्देश दिया कि शटडाउन समाप्त होने के 30 दिनों के भीतर सरकार एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। ध्यान देने वाली बात है कि आपराधिक कार्यवाही शटडाउन से प्रभावित नहीं हुई है, हालांकि अभी तक किसी भी आरोपी ने अदालत में उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है।
अमेरिकी अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि अदाणी और उनके सहयोगियों ने 2021 में भारतीय अधिकारियों को $250 मिलियन की रिश्वत देने की योजना बनाई थी ताकि सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल किए जा सके। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी निवेशकों से $175 मिलियन जुटाए, जबकि कथित कदाचार की जानकारी छिपाई गई।
प्रॉसिक्यूटरों ने गौतम और सागर अदाणी समेत कुल आठ लोगों पर अमेरिकी विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (FCPA) का उल्लंघन करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
SEC के लिए भारतीय अभियुक्तों को कानूनी समन भेजने के लिए भारत के विधि और न्याय मंत्रालय के साथ सहयोग आवश्यक है, जो हेग सर्विस कन्वेंशन के अंतर्ग होता है। हालिया फाइलिंग के अनुसार, SEC ने बताया है कि समन अभी तक औपचारिक रूप से प्रभावी नहीं हो सका है।
अदाणी समूह ने सभी अमेरिकी आरोपों को “बेबुनियाद और निराधार” बताया है। जून 2025 में गौतम अदाणी ने कहा था, “सारे शोर-शराबे के बावजूद, सच्चाई यह है कि अदाणी ग्रुप के किसी भी व्यक्ति पर न तो FCPA उल्लंघन का आरोप लगा है, न ही न्याय में बाधा डालने की साजिश का।”
बता दें, सिविल मुकदमे पर लगी अस्थायी रोक से कानूनी गति प्रभावित हुई है। ऐसे में अमेरिकी शटडाउन जैसी राजनीतिक घटनाएं, अंतरराष्ट्रीय मामलों में प्रक्रियात्मक देरी ला सकती हैं। आपराधिक जांच सक्रिय बनी हुई है, जिससे अदाणी समूह की वैश्विक फंडिंग और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर असर पड़ सकता है। वहीं, यह मुकदमा आने वाले महीनों में भारत-अमेरिका न्यायिक सहयोग, निवेशक विश्वास, और कॉर्पोरेट पारदर्शिता के संदर्भ में अहम भूमिका निभा सकता है।