नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने भारतीय विमानन क्षेत्र में कई बड़ी सुरक्षा खामियां पाई हैं। डीजीसीए ने मंगलवार को भारतीय विमानन क्षेत्र में विभिन्न पहलुओं की व्यापक जांच (ऑडिट) की जिसमें ये खामियां नजर आईं। जो बातें डीजीसीए की नजरों में खटकीं हैं उनमें घिसे हुए टायरों के साथ विमान उड़ाना और लगातार पेश आ रही तकनीकी खराबी से लेकर अनुपयोगी ग्राउंड हैंडलिंग उपकरण और विमानों से बेमेल सिम्युलेटर तक शामिल हैं। कई हवाई अड़्डों पर तो रनवे दर्शाने वाले निशान भी ठीक से नहीं दिखाई दे रहे थे और आसपास की इमारतों से संबंधित जानकारियां भी कई वर्षों से अद्यतन नहीं की गई हैं।
अहमदाबाद में 12 जून को हुए एयर इंडिया के विमान हादसे के बाद यह व्यापक सुरक्षा ऑडिट हुआ है। इस दुर्घटना में चालक दल सहित 241 लोगों की मौत हो गई थी और इसकी चपेट में आकर अन्य 34 लोगों की भी जान चली गई थी। इस दुर्घटना के बाद डीजीसीए ने 19 जून को एक परिपत्र जारी किया और एक नए ‘व्यापक विशेष ऑडिट’ की घोषणा की जिसका मकसद भारतीय विमानन सुरक्षा से जुड़ी खामियों का पता लगाना और उन्हें दुरुस्त करना है।
नए ढांचे के अंतर्गत डीजीसीए के संयुक्त महानिदेशक की अगुआई में विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों को मिलाकर तैयार दो दलों ने दिल्ली और मुंबई सहित देश के बड़े हवाई अड़्डों का रात में और सुबह निरीक्षण किया। इन निरीक्षण में प्रमुख पहलुओं जैसे विमान परिचालन, उड़ान भरने लायक क्षमता, रैंप सुरक्षा, हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी), संचार, उड़ान पूर्व स्वास्थ्य जांच और रखरखाव व्यवहारों की पड़ताल की गई। इस ऑडिट में एक ही विमान में बार-बार होने वाली तकनीकी खराबी चिंता का सबसे बड़ा कारण रही। इससे यह संकेत मिल रहा है कि तकनीकी खराबी पूरी तरह दुरुस्त नहीं की जा रही है। डीजीसीए ने इसे ‘लापरवाह निगरानी एवं अपर्याप्त सुधार’ का संकेत करार दिया है।
डीजीसीए ने कहा, ‘एक शेड्यूल्ड विमानन कंपनी की एक घरेलू उड़ान रोक दी गई क्योंकि उसके टायर घिस चुके थे। आवश्यक मरम्मत के बाद ही उड़ान भरने की इजाजत दी गई।’
रखरखाव ऑडिट में निरीक्षकों ने पाया कि विमान रखरखाव इंजीनियर (एएमई) निर्धारित कार्य आदेशों का पालन करने में नाकाम रहे। डीजीसीए ने एक बयान में कहा, ‘थ्रस्ट रिवर्सर प्रणाली अनुपयोगी थी और फ्लैप स्लेट लीवर बंद नहीं थे।’ नियामक ने पाया कि रखरखाव से जुड़े कार्यों के दौरान सुरक्षा सावधानियों के निर्देशों की अनदेखी की गई। कुछ मामलों में विमान में लगी प्रणालियों (ऑनबोर्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम) की पकड़ में आने के बाद भी खामियां टेक्निकल लॉग बुक में दर्ज नहीं की गईं।
यात्री सुरक्षा से जुड़े निर्देशों की अनदेखी के मामले भी सामने आए। कई सुरक्षा जैकेट दुरुस्त नहीं थे जबकि विंगलेट के निचले ब्लेड पर लगे क्षरण रोधी टेप भी क्षतिग्रस्त पाए गए।
एक हवाई अड्डे पर रनवे दर्शाने वाले निशान भी घिस चुके थे और टैक्सीवे पर रोशनी की व्यवस्था ठीक से काम नहीं कर रही थी। डीजीसीए ने यह भी कहा कि हवाई अड्डे के निकट इमारतों एवं अन्य ढांचों से जुड़ी जानकारियां भी तीन साल से अपडेट नहीं की गई थीं। इसके अलावा हवाई अड्डे के निषिद्ध क्षेत्रों में परिचालन करने वाले वाहनों की रफ्तार भी पूरी तरह नियंत्रित नहीं थी। जांच के तत्काल बाद ये वाहन सेवा से हटा दिए गए और चालकों के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए।
डीजीसीए ने कहा कि इन कमियों के बारे में संबंधित विमानन कंपनियों एवं संबद्ध इकाइयों को बता दिया गया है। उन्हें सात दिनों के भीतर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।’ डीजीसीए मौजूदा विमानन तंत्र की समग्र जांच में जुट गया है। जांच के नतीजे को गंभीरता के अनुसार श्रे णियों में बांटा जाएगा।