त्योहारी सीजन के दौरान ई-कॉम र्स लेनदेन में वृद्धि लॉजिस्टिक्स कंपनियों के लिए तूफानी साबित हो रही है। इसका असर वित्त वर्ष 2026 की जुलाई-सितंबर तिमाही के बेहतर नतीजों में दिखना चाहिए। डिलिवरी में तेजी आने से बिक्री बढ़ रही है, जबकि ऊंची परिचालन क्षमता से मार्जिन में सुधार आ सकता है। इसके प्रमुख लाभार्थियों में भारत की सबसे बड़ी थर्ड-पार्टी एक्सप्रेस पार्सल लॉजिस्टिक्स फर्म डेलिवरी मुख्य रूप से शामिल है जिसकी बाजार हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से अधिक है।
कंपनी ने हाल में कहा कि उसने अपने परिवहन नेटवर्क में रिकॉर्ड 10.44 करोड़ ई-कॉमर्स और माल ढुलाई शिपमेंट का प्रबंध किया और त्योहारी अवधि के पहले चरण (सितंबर) में लगभग 19,500 करोड़ रुपये मूल्य का माल पहुंचाया।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में ई-कॉमर्स की वृद्धि दर सालाना आधार पर 15-20 प्रतिशत बढ़ी है और इसे आयकर की घटी दरों, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की कम दरों और मजबूत त्योहारी मांग से मदद मिली है।
अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में विश्लेषकों का मानना है कि डेलिवरी को इससे लाभ होगा। उसकी व्यापक आपूर्ति श्रृंखला सेवा की गुणवत्ता से समझौता किए बिना मांग में वृद्धि को झेलने में सक्षम है। ब्रोकरेज को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में एक्सप्रेस पार्सल शिपमेंट में सालाना आधार पर 30 प्रतिशत का इजाफा होगा और समायोजित आधार पर परिचालन लाभ मार्जिन तिमाही में लगभग 100 आधार अंक तक बढ़ेगा। यह शेयर पिछले छह महीनों में लगभग 88 प्रतिशत बढ़ा है और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में उसकी मुख्य पसंद बना हुआ है।
जुलाई में डेलिवरी ने लगभग 1,400 करोड़ रुपये में ईकॉम एक्सप्रेस का अधिग्रहण किया जिससे त्योहारी अवधि के दौरान उसे बिक्री में वृद्धि करने में मदद मिली है और उसकी बाजार स्थिति मजबूत हुई है।
इलारा सिक्योरिटीज में विश्लेषक अंकिता शाह का अनुमान है कि डेलिवरी वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में एक्सप्रेस पार्सल की अच्छी वृद्धि दर्ज करेगी। उसे ईकॉम एक्सप्रेस के एकीकरण और त्योहार-पूर्व ऑर्डरों से मजबूती मिलेगी। जीएसटी दरों में कटौती से शिपमेंट वॉल्यूम में भी सुधार की उम्मीद है। इनके एक साल पहले की तुलना में 33 प्रतिशत बढ़कर 24.5 करोड़ हो जाने का अनुमान है, भले ही कुछ डिलीवरी सितंबर के अंत के बजाय अक्टूबर की शुरुआत में करनी पड़ें।
ब्रोकरेज ने कहा कि ईकॉम एक्सप्रेस से जुड़ी एकीकरण संबंधी लागत अल्पावधि में लाभप्रदता पर असर डालेगी। लेकिन यह एकबारगी होगी और वित्त वर्ष 2026 की चौथी तिमाही तक सामान्य हो जाएगी। नेटवर्क सुविधाओं के निरंतर उपयोग के कारण मूल्यह्रास और वित्तीय व्यय बढ़ने की संभावना है।
स्थिर परिचालन और सेवाओं की बढ़ती पहुंच के कारण पार्ट-ट्रकलोड (पीटीएल) कारोबार के दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की स्थिर वृद्धि बनाए रखने की उम्मीद है। हालांकि, आपूर्ति श्रृंखला सेगमेंट अल्पावधि में कम –ज्यादा रह सकता है। इलारा सिक्योरिटीज ने शेयर को ‘खरीदें’ रेटिंग दी है। डेलिवरी का मध्यम अवधि का दृष्टिकोण भी स्थिर नजर आ रहा है, क्योंकि घरेलू एक्सप्रेस डिलिवरी खंड में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की तुलना में तेजी से वृद्धि की उम्मीद है। इसकी वजह नेटवर्क विस्तार, डिजिटलीकरण और ऊंची ई-कॉमर्स हिस्सेदारी है।
आकार और नेटवर्क जम जाने से कंपनी के परिचालन प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद है। मोतीलाल ओसवाल का अनुमान है कि परिचालन मार्जिन वित्त वर्ष 2025 के 4.2 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2028 तक 7.3 प्रतिशत हो जाएगा। इसे परिचालन क्षमता, बेहतर परिसंपत्ति उपयोग और मूल्य श्रृंखला में बेहतर तकनीकी जुड़ाव से मदद मिलेगी। ब्रोकरेज ने इस शेयर के लिए ‘खरीदें’ रेटिंग दी है और वित्त वर्ष 2025-28 के दौरान परिचालन लाभ में 38 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जताया है।
कंपनी को उम्मीद है कि पीटीएल मार्जिन दो से तीन वर्षों में 16-18 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। यह पहली तिमाही में 11 प्रतिशत था। एक्सप्रेस पार्सल सेवाओं में मार्जिन अगले साल मार्च तक 17-18 प्रतिशत (वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के 16 प्रतिशत से) तक बढ़ सकता है। डेलिवरी की मजबूत बैलेंस शीट और कम पूंजी निवेश इसमें मददगार साबित होंगे। जेपी मॉर्गन का कहना है कि बिक्री के हिस्से के तौर पर पूंजीगत व्यय 2018-19 के 9 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 5.2 प्रतिशत रह गया है। इसका लक्ष्य 3.5-4 प्रतिशत है। विश्लेषकों विभव जुत्शी और करेन ली ने लिखा है कि 5,450 करोड़ रुपये की शुद्ध नकदी और वित्तीय मजबूती के साथ डेलिवरी अहम अधिग्रहण करने की स्थिति में है।
ब्रोकरेज ने इसे ‘ओवरवेट’ रेटिंग दी है और उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 2028 के बीच परिचालन लाभ 58 प्रतिशत बढ़ेगा, जिसे बिजनेस बढ़ने और प्रतिस्पर्धा घटने से मदद मिलेगी।