दक्षिण कोरियाई कंपनी देवू ने मंगलवार को भारतीय लुब्रिकेंट बाजार में दस्तक दी। कंपनी इस वित्त वर्ष के आखिर तक बिक्री के संदर्भ में दो फीसदी बाजार भागीदारी हासिल करना चाहती है। कंपनी ने प्रमुख मेट्रो शहरों और टियर-2 शहरों से शुरू करते हुए चरणबद्ध तरीके से पेशकश की रणनीति अपनाई है। कंपनी को मजबूत डीलरशिप और वितरण नेटवर्क का समर्थन हासिल है। महाराष्ट्र के वाडा में 40,000 टन सालाना उत्पादन क्षमता वाली एक निर्माण इकाई पहले ही स्थापित की जा चुकी है।
मंगाली इंडस्ट्रीज के निदेशक सोरभ गोयल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि उपलब्ध तीन एकड़ अतिरिक्त भूमि पर इस संयंत्र की क्षमता को 2.5 गुना तक बढ़ाया जा सकता है। देवू ने मंगाली इंडस्ट्रीज के साथ लाइसेंसिंग समझौते के तहत भारतीय लुब्रिकेंट बाजार में प्रवेश किया है।
गोयल ने बताया कि देवू लुब्रिकेंट्स गुजरात में 50,000 टन सालाना उत्पादन क्षमता वाला एक निर्माण संयंत्र भी स्थापित करेगी। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के संयंत्र का उपयोग मुख्य रूप से ऑटोमोटिव लुब्रिकेंट्स के निर्माण में किया जाएगा, जबकि गुजरात संयंत्र का उपयोग औद्योगिक लुब्रिकेंट्स के विकास के लिए किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘इस वित्त वर्ष में ही हमें 200 करोड़ रुपये और उससे अधिक का सालाना कारोबार होने की उम्मीद है। अगले पांच वर्षों में हमारा कारोबार 700-1,000 करोड़ रुपये के बीच पहुंच सकता है।’ उन्होंने कहा कि कंपनी इस वित्त वर्ष से दक्षिण पूर्व एश्यिा और अफ्रीका के देशों के लिए अपने दोनों संयंत्रों से उत्पादों का निर्यात भी शुरू करेगी।
महाराष्ट्र संयंत्र में भारतीय परिवेश के लिहाज से अनुकूल फॉर्मूलेशन तैयार करने के लिए शोध एवं विकास आरऐंडडी लैब होंगी। देवू लुब्रिकेंट्स के निदेशक (स्ट्रैटजी ऐंड ग्रोथ) विनीत सिंह ने बताया कि कंपनी ने इस वित्त वर्ष के आखिर तक भारतीय लुब्रिकेंट बाजार में दो फीसदी बाजार भागीदारी हासिल करने का लक्ष्य रखा है। कंपनी ने अपनी बी2बी और बी2सी पहुंच बढ़ाने के लिए स्थानीय सेवा प्रदाताओं और ओईएम के साथ साझेदारियां करने की योजना बनाई है।
मोर्डोर इंटेलीजेंस के अनुसार, भारत के लुब्रिकेंट बाजार का आकार 2025 में 3.01 अरब लीटर पर अनुमानित है और वर्ष 2030 तक इसके 4.76 प्रतिशत की सालाना वृद्धि (2025-2030) के साथ 3.79 अरब लीटर पर पहुंचने का अनुमान है।