अक्षय ऊर्जा खरीदने के मामले में राज्यों के बीच व्यापक अनिच्छा से अदाणी समूह और एनवाईएसई पर सूचीबद्ध एज्योर पावर के खिलाफ अमेरिका के प्रतिभूति और विनिमय आयोग ने भ्रष्टाचार का मामला उठाया है। यह मामला साल 2019-2020 का है, जब सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) ने 30 गीगावॉट के रिकॉर्ड स्तर की निविदाएं जारी की थीं। सेकी नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तत्वावधान में अक्षय ऊर्जा परियोजना देने और सुविधा प्रदान करने वाली एजेंसी है।
लेकिन इन परियोजनाओं को किसी भी राज्य में खरीदार नहीं मिल पाए। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के आंकड़ों के अनुसार साल 2021 में 20 गीगावॉट की सौर परियोजनाओं को कोविड की वजह से उनके बिजली बिक्री समझौते (पीएसए) में देरी के कारण विस्तार दिया गया था। सेकी की निविदा में आठ गीगावॉट की ऐसी सौर परियोजनाएं हैं, जिनके पास बिजली खरीद समझौता (पीपीए) नहीं है। सीईए बिजली मंत्रालय की तकनीकी शाखा है और अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं पर इस तरह की यह पहली स्थिति रिपोर्ट थी।
इस सूची में अदाणी ग्रीन एनर्जी, रीन्यू पावर, सॉफ्टबैंक एनर्जी, एज्योर पावर, एक्मे सोलर जैसी प्रमुख कंपनियों की विशाल आकार वाली सौर ऊर्जा परियोजनाएं शामिल थीं। इसमें जनवरी 2020 में सेकी द्वारा जारी 7 गीगावॉट के विनिर्माण से जुड़ी सौर निविदा भी शामिल थी। अपनी तरह की इस पहली निविदा का उद्देश्य बिजली संयंत्र के साथ-साथ एक सौर विनिर्माण इकाई का निर्माण करना था।
केवल अदाणी ग्रीन और एज्योर पावर ही दो विजेता थीं। दोनों ने सेकी द्वारा निर्धारित 2.93 रुपये/यूनिट के अधिकतम शुल्क के मुकाबले 2.92 रुपये प्रति यूनिट की बोली लगाई थी। अदाणी ने 8 गीगावॉट और एज्योर ने 4 गीगावॉट बिजली बनाने की प्रतिबद्धता जताई थी।
एसईसी के अभियोग दस्तावेज के अनुसार, ‘स्वीकृति पत्र (एलओए) में वर्णित ऊर्जा की अधिक कीमतों ने सेकी के लिए उन राज्यों को खोजना मुश्किल बना दिया, जो परियोजना की ऊर्जा के खरीदार हो सकते थे। इसमें कहा गया, ‘परियोजना दिए जाने के बाद सेकी ने पीएसए के आधार पर 12 गीगावॉट सौर ऊर्जा खरीदने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तलाश की। लेकिन सफलता नहीं मिली।
पीसीए के बिना किसी राज्य को ऊर्जा बेचने के मामले में सेकी, इंडियन एनर्जी कंपनी की सहायक कंपनियों या यूएस निर्गमकर्ता से बिजली खरीदने के मामले में संबंधित पीपीए में शामिल नहीं होता। खरीदारों को खोजने में सेकी की असमर्थता ने उस आकर्षक एलओए और संबंधित राजस्व जोखिम को जोखिम में डाल दिया, जिसकी उम्मीद इंडियन एनर्जी कंपनी की सहायक कंपनी और यूएस इश्यूअर ने विनिर्माण से जुड़ी परियोजना मिलने से की थी।
यहां बताई गई इंडियन एनर्जी कंपनी अदाणी ग्रीन है, जिसने तब इस परियोजना को दुनिया की सबसे बड़ी सौर परियोजना कहा था। यूएस निर्गमकर्ता एज्योर है जिसने दावा किया है कि वह इस परियोजना से वह दो अरब डॉलर का लाभ कमाएगी। एसईसी की जांच के अनुसार दोनों कंपनियों ने अनुकूल पीएसए हासिल करने के लिए राज्य सरकारों को रिश्वत देने का दौर शुरू कर दिया।