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निजी निवेश में तेजी लाए कंपनी जगत: सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निवेश को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया, भारत की नई वैश्विक व्यापार रणनीति पर बात की

Last Updated- February 27, 2025 | 11:18 PM IST
Nirmala Sitharaman

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि सरकार चाहेगी कि कंपनी जगत निवेश में तेजी लाए। साथ ही यह भी कहा कि कारोबारी लिहाज से क्या सही और क्या नहीं है, इसका सबसे अच्छा फैसला खुद कंपनियां ही कर सकती हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड मंथन कार्यक्रम में सीतारमण ने कहा कि भारतीय कंपनी जगत को इस पर बात करनी चाहिए कि उन्हें निवेश में तेजी लाने से क्या चीज रोक रही है।

उन्होंने कहा, मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारतीय कंपनी क्षेत्र निवेश, वाणिज्यिक आकलन, कब और कहां पैसा लगाना है और कितना पैसा लगाना है, इस बारे में सबसे अच्छा निर्णयकर्ता है। हां, हम चाहेंगे कि वे तेजी से काम करें। मैं यह नहीं समझ पा रही हूं कि कंपनी क्षेत्र इस बारे में क्यों नहीं बोल रहा है। इसका उत्तर मुझे नहीं देना है। इसका उत्तर उद्योग जगत को ही देना होगा। अगर आप ऐसा नहीं कर रहे हैं तो हमें बताएं कि आप ऐसा क्यों नहीं कर पा रहे हैं। अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो हमें इसकी जानकारी दें। इस सवाल का जवाब क्यों नहीं आना चाहिए।

हालांकि, सीतारमण ने कहा कि सरकार अपना काम करती रहेगी। उन्होंने कहा, मैं निवेश करूंगी, पूंजीगत व्यय पर खर्च करूंगी। यह सरकार ही है जो समझती है कि पिछले 50-60 साल में भारत जिससे भी चूका, उसे हासिल करना है। बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की रफ्तार तेज होनी चाहिए, जो आपके आर्थिक विकास का मूल आधार है।

वैश्विक व्यापार को पूरी तरह से फिर से तय होने की बात कहते हुए सीतारमण ने कहा कि भारत को मित्र देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना होगा क्योंकि बहुपक्षीय संस्थाएं तेजी से लुप्त हो रही हैं और द्विपक्षीय व्यवस्थाएं जरूरत बनती जा रही हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय संबंध कई देशों की पसंद अपने आप बन रहे हैं। सीतारमण ने कहा, भारत को भी यह समझना होगा कि हमें कई देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना है, केवल व्यापार और निवेश के लिए ही नहीं बल्कि रणनीतिक संबंधों के लिए भी। इसलिए बहुपक्षवाद जैसी चीज खत्म हो गई है और द्विपक्षीय ही एकमात्र ऐसा तरीका है जिसका आप उपयोग कर सकते हैं।

सीतारमण ने कहा कि वैश्विक व्यापार पूरी तरह से दोबारा स्थापित होने जा रहा है, चाहे कोई इसे पसंद करे या नहीं। क्योंकि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) अब मुख्य स्तम्भ के रूप में नहीं बचा है और सबसे पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे के तहत गैर-भेदभावपूर्ण शुल्क खत्म हो रहे हैं। उन्होंने कहा, अब कोई एमएफएन नहीं है। हर देश चाहता है कि उसके साथ विशेष व्यवहार किया जाए। हमें उसी रास्ते पर चलना होगा। अपने व्यापार को बढ़ाना होगा और अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुनिश्चित करना होगा। अगर डब्ल्यूटीओ की शक्तिशाली मौजूदगी के बिना एमएफएन के सख्त नियम लागू होने जा रहे हैं तो यह अब संभव नहीं होगा। हमें देशों के साथ एमएफएन और द्विपक्षीय व्यवस्थाओं पर फिर से विचार करने की जरूरत है।

वित्त मंत्री ने कहा कि नई विश्व व्यवस्था अभी स्थापित नहीं हुई है और एक ठोस मंथन चल रहा है। उन्होंने कहा, यह कोई व्यवस्थित मंथन नहीं है। यह थोड़ा सख्त है। लेकिन आपको इसमें हिस्सा लेना होगा। आप तमाशबीन नहीं रह सकते। भारत को इसका अहसास है कि जब यह मंथन हो रहा है, वैश्विक व्यवस्था बदल रही है, तो हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हम भारत के हितों को पहले और सबसे ऊपर रखेंगे। इसलिए यह भारत का गुटनिरपेक्षता का घिसा-पिटा दृष्टिकोण नहीं हो सकता, हालांकि मैं इस अवधारणा को खारिज नहीं कर रही हूं।

सीतारमण ने कहा कि भारत इस बदलाव में योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा, हमें अपनी रणनीतिक आवश्यकताओं को एजेंडे में सबसे ऊपर रखना होगा। बतौर देश आपकी रणनीतिक जरूरतें भूराजनीतिक हालात से भी बहुत प्रभावित होती हैं। आपके पास कोई विकल्प नहीं है, आप खुद को फिर से स्थापित नहीं कर सकते हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि तकनीक के मामले में भारत बेहतर स्थिति में है और तकनीक के कई पहलुओं में अग्रणी हो सकता है। उन्होंने कहा, हमने दुनिया के सामने यह साबित कर दिया है कि जब हम तकनीक की बात करते हैं और जब हम तकनीक को लागू करने की बात करते हैं तो हम इसे जनसंख्या के लिहाज से करते हैं। भारत उन द्विपक्षीय मित्र देशों की मदद कर सकता है जिनके साथ हम अपने संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं। इससे एक नया समूह बनेगा और वह होगा वैश्विक प्रौद्योगिकी समूह। भारत की अगुआई वाला वैश्विक प्रौद्योगिकी समूह दुनिया भर में बड़ा बदलाव ला सकता है और इस मामले में भारत को स्थिर और साफ सोच रखनी चाहिए।

वित्त मंत्री ने कहा, हालांकि विकसित देशों के पास पैसा है, लेकिन वह तकनीक और प्रतिभा के लिए पर्याप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा, वैश्विक व्यवस्था विकसित देशों से तय नहीं होने जा रही है। तकनीक, लोगों की आवाजाही अब कोई खतरा नहीं है। आप जहां हैं वहीं से जो चाहें कर सकते हैं। इसलिए आम लोगों और उनकी आवाजाही को पूरी तरह से नया रूप मिलेगा। हम उम्मीद से पहले ही पूरी तरह से अलग दुनिया नजर आ रही है।

सीतारमण ने कहा कि सरकार को गरीब तबके, मध्य वर्ग और उद्यमशीलता कुशलताओं की आकांक्षाओं पर लगातार ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, सरकार यह नहीं कह सकती कि अनिश्चितताओं के कारण हमें अपनी जरूरतों की प्राथमिकता देखनी चाहिए। हमें अभी अपने बुनियादी ढांचे में सुधार करना है।

First Published - February 27, 2025 | 11:17 PM IST

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