भारतीय ऑनलाइन स्टार्टअप और तकनीकी उत्पाद वाली कंपनियों ने संसदीय समिति को बताया है कि डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक मसौदे के तहत रोकथाम नियमों की सीमाएं इस तरह से बढ़ाई जानी चाहिए कि देसी स्टार्टअप और नवाचार की रक्षा हो सके। मामले से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी।
संसदीय समिति बढ़ती अर्थव्यवस्था, खास तौर पर डिजिटल परिदृश्य में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की भूमिका पर विचार कर रही है। सूत्रों ने कहा कि समिति ने कुछ भारतीय ऑनलाइन भागीदारों के सुझावों पर कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय से राय मांगी है। डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक (डीसीबी) मसौदे के लिए संभावित नियमों को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के तत्कालीन सचिव मनोज गोविल के नेतृत्व वाली विशेषज्ञ समिति ने मार्च 2024 में तैयार किया था।
डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक के प्रावधान प्रणाली में महत्त्वपूर्ण डिजिटल उद्यमों (एसएसडीई) के लिए मात्रात्मक और गुणात्मक मानदंड तय करते हैं, जैसे कि भारत में कुल कारोबार 4,000 करोड़ से कम या वैश्विक कारोबार 30 अरब डॉलर से कम नहीं होना चाहिए। अन्य मानदंडों में भारत में सकल व्यापारिक मूल्य 16,000 करोड़ से कम नहीं होना, वैश्विक बाजार पूंजीकरण 75 अरब डॉलर से कम नहीं होना शामिल है। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर उद्यम द्वारा दी जाने वाली मुख्य डिजिटल सेवा में कम से कम एक करोड़ अंतिम उपयोगकर्ता या 10,000 कारोबारी उपयोगकर्ता हैं, तो यह एसएसडीई होगा।
कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय न केवल उद्योग के हितधारकों के साथ बल्कि इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय सहित अन्य सरकारी विभागों और मंत्रालयों के साथ भी मसौदा विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श कर रहा है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने जिन स्टार्टअप और ऑनलाइन कंपनियों से बात की, उनमें से कुछ ने इस की पुष्टि की। एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के संस्थापक ने पहचान जाहिर न करने की की शर्त पर कहा, ‘हमें प्रतिक्रिया के लिए ईमेल मिला और हमने उसका जवाब दिया। अलबत्ता हम संभावित व्यवस्था के पक्ष में हैं।’
डेटिंग फर्म ट्रूलीमैडली, मैट्रीमॉनी डॉट कॉम जैसे भागीदारों से प्रतिक्रिया मांगी गई । ट्रूलीमैडली ने ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया। मैट्रीमॉनी डॉट कॉम के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी मुरुगावेल जानकीरामन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक में दो श्रेणियों – राजस्व और उपयोगकर्ताओं की संख्या को लेकर सीमा है। हमारी राय है कि राजस्व और उपयोगकर्ताओं दोनों के मामले में सीमा बढ़ाने की आवश्यकता है। हमारा मानना है कि अगर इन दो सीमाओं के सुझावों पर विचार किया जाता है, तो इन प्रावधान के साथ डीसीबी बड़ी टेक कंपनियों को नियंत्रित करने का सही तरीका है।’