आम बजट और भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति गुजरने के बाद तरलता की तंगी के बीच कॉरपोरेट बॉन्ड की यील्ड चढ़ रही है फिर भी कंपनियां भारी-भरकम रकम जुटाने के इरादे से देसी डेट कैपिटल बाजार में चली आ रही हैं। इस हफ्ते 30,000 करोड़ रुपये से अधिक के बॉन्ड लेकर ये कंपनियां बाजार में आई हैं और बाजार भागीदारों को लग रहा है कि अगले दो हफ्तों में बॉन्ड की ऐसी ही बाढ़ आती रहेगी।
राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) ने आज 7 साल में परिपक्व होने वाले बॉन्ड के जरिये 7.35 फीसदी दर पर 4,800 करोड़ रुपये उगाहे। उसका इरादा 5,000 करोड़ रुपये जुटाने का था, जिसमें 1,000 करोड़ रुपये मूल निर्गम से आते और 4,000 करोड़ रुपये का ग्रीन शू ऑप्शन होता। इसी तरह आरईसी ने परपेचुअल बॉन्ड की मदद से 7.99 फीसदी दर पर 1,995 करोड़ रुपये जुटाए। कंपनी 2,000 करोड़ रुपये जुटाने के मकसद से बाजार में आई थी।
इसी हफ्ते भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था लिमिटेड (इरेडा) ने 7.40 फीसदी दर पर 820 करोड़ रुपये जुटाए थे। उसने 11 साल में परिपक्व होने वाले बॉन्ड जारी किए हैं।
इस हफ्ते बॉन्ड जारी कर रकम जुटाने के लिए तैयार कंपनियों की कतार में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) भी है। वह 7,000 करोड़ रुपये जारी करने की मंशा के साथ 10 साल 3 महीने में परिपक्व होने वाले बॉन्ड जारी करेगा। उसके अलावा भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) भी 4 साल 3 महीने अवधि वाले बॉन्ड लाकर बाजार से 6,000 करोड़ रुपये उगाहने की कोशिश करेगा। पीएफसी भी 4,000 करोड़ रुपये जुटाने आ रही है, जिसके लिए वह 4 साल 10 महीने में परिपक्व होने वाले बॉन्ड जारी करेगी। इसके अलावा वह 4,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड फिर से जारी करेगी।
इनक्रेड कैपिटल फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रबंध निदेशक और हेड (फिक्स्ड इनकम) अजय मंगलूनिया ने कहा, ‘जनवरी में ज्यादातर कंपनियां दो बड़ी घटनाओं का इंतजार कर रही थीं – रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति संबंधी फैसले और केंद्रीय बजट। उम्मीद यह थी कि दर कटौती, तरलता बढ़ाने के उपाय और उधारी के आंकड़े तथा राजकोषीय योजना से यील्ड नीचे आएंगी। दोनों गुजर चुकी हैं, इसलिए कंपनियां बॉन्ड लेकर तेजी से बाजार में आ रही हैं और चालू वित्त वर्ष से पहले ही उधारी लेने में जुटी हैं।’
बॉन्ड की आवक बढ़ने से कंपनी बॉन्ड की यील्ड जनवरी के मुकाबले चढ़ गई है क्योंकि उस महीने बॉन्ड मुश्किल से ही आए थे। नकदी की किल्लत होने से सरकारी बॉन्डों की यील्ड भी उछल गई है, जिसे देखकर कंपनी बॉन्डों की यील्ड भी बढ़ रही है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने रीपो दर में 25 आधार अंक की कमी की थी। उसकी बैठक के बाद सरकारी बॉन्ड की यील्ड कम से कम 5 आधार अंक बढ़ी है। रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन के मुताबिक जनवरी में बॉन्ड यील्ड में बहुत उतार-चढ़ाव आया था क्योंकि अमेरिकी चुनावों के कारण दुनिया भर में अनिश्चितता थी और अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड भी चढ़ रही थी। उस समय कई कंपनियों ने बाजार में उतरने के बजाय इंतजार करने का फैसला किया था। फरवरी में बाजार में उन्हीं ठहरे हुए बॉन्डों की बाढ़ आ गई है।
रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा कि मार्च में वित्त वर्ष खत्म हो रहा होता है, इसलिए आम तौर पर नकदी की किल्लत होती है। कर चुकाने वाले और बॉन्ड लाने वाले भी काफी नकदी सोख लेते हैं। इसलिए कंपनियां बाजार में भीड़ आने से पहले ही रकम जुटाने दौड़ रही हैं ताकि किसी तरह के दबाव में नहीं आना पड़े।
इस बीच बाजार भागीदारों ने कहा कि सरकारी ब़ॉन्डों की यील्ड और एएए रेटिंग वाले कंपनी बॉन्डों की यील्ड के बीच अंतर बढ़कर 35-40 आधार अंक हो गया है, जबकि पिछले साल यह 20-25 आधार अंक ही था। इसका मतलब है कि ऊंची रेटिंग वाली कंपनियों के बॉन्ड की यील्ड भी चढ़ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि छोटी अवधि के बॉन्ड की यील्ड कुछ कम है और लंबी अवधि के लिए ज्यादा है, इसलिए यील्ड का कर्व भी तेज चढ़ता दिख रहा है। श्रीनिवासन ने कहा, ‘संस्थागत निवेशकों ने बड़ी रकम उगाहने आए बॉन्डों में काफी रुचि दिखाई है मगर फरवरी में वे यील्ड का बहुत अधिक ध्यान रख रहे हैं।’