संकटग्रस्त एडटेक कंपनी बैजूस के संस्थापक बैजू रवींद्रन को धोखाधड़ी वाले लेनदेने के संबंध में अमेरिकी न्यायालय के फैसले के बाद अब बड़े कानूनी जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। इस फैसले का विश्लेषण करने के बाद कानूनी विशेषज्ञों और उद्योग के सूत्रों का कहना है कि हालांकि आपराधिक कार्यवाही में रवींद्रन का नाम अभी तक सीधे तौर पर में नहीं लिया गया है, लेकिन धोखाधड़ी वाले लेनदेन का पता चलने से नागरिक दायित्व, व्यक्तिगत संपत्ति वसूली की संभावित कार्रवाई और नियामकीय जांच का रास्ता खुल गया है।
डेलावेयर जिले के संयुक्त राज्य दिवालिया न्यायालय के न्यायाधीश जॉन टी. डोर्सी ने हाल ही में बैजूस की अल्फा इंक के पक्ष में ऋजु रवींद्रन, कैमशाफ्ट कैपिटल फंड एलपी और उसकी सहयोगियों तथा थिंक ऐंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (बैजूस की मूल कंपनी, प्रतिवादी) के खिलाफ सारांश निर्णय देने का आदेश जारी किया। ऋजु रवींद्रन बैजूस के संस्थापक बैजू रवींद्रन के भाई हैं। इस आदेश से पता चलता है कि बैजू रवींद्रन के साथ-साथ प्रतिवादी भी ऋणदाताओं को धोखा देने वाली गैरकानूनी योजना तैयार करने और उसे अंजाम देने के लिए जिम्मेदार हैं। हर्जाना बाद में दिया जाना है। यह विवाद बैजूस की मूल कंपनी थिंक ऐंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड द्वारा गारंटीशुदा 1.5 अरब डॉलर के सावधि ऋण बी (टीएलबी) के इर्द-गिर्द घूमता है।
कानूनी क्षेत्र की कंपनी केएस लीगल ऐंड एसोसिएट्स की प्रबंध साझेदार सोनम चंदवानी ने कहा, ‘ऋणदाता यह तर्क दे सकते हैं कि अंतिम निर्णयकर्ता के रूप में उन्हें (रवींद्रन को) पैसे के डायवर्जन के बारे में जानकारी थी या उन्होंने इसमें सक्रिय रूप से भाग लिया था, जो संभावित रूप से ‘कॉर्पोरेट वेल-पिर्सिंग’ के दावे को सही
ठहराता है।’
चंदवानी ने कहा, ‘अगर आगे की जांच में जानबूझकर वाले इरादे का पता चलता है, तो उन्हें कंपनी अधिनियम, 2013 के कॉर्पोरेट धोखाधड़ी प्रावधानों के तहत कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है या यहां तक कि आईपीसी की धारा 420 के तहत आपराधिक आरोपों का भी सामना करना पड़ सकता है। प्रवर्तन निदेशालय भी किसी फेमा उल्लंघन, विशेष रूप से विदेशी में धन हस्पातंरण का संबंध पाए जाने पर हस्तक्षेप कर
सकता है।’