विमानन कंपनी स्पाइसजेट द्वारा पात्र संस्थागत नियोजन (QIP) प्रक्रिया के जरिये 3,000 करोड़ रुपये जुटाने के बाद नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने उससे निगरानी हटा दी है। मगर नियामक ने स्पष्ट किया कि वह सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्पाइसजेट के विमानों की कभी भी जांच कर सकता है।
नियामक ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है, ‘विमानन कंपनी द्वारा सामना किए जा रहे आर्थिक संकटों के बीच बीते 13 सितंबर को डीजीसीए ने स्पाइसजेट को बढ़ी हुई निगरानी के दायरे में रखा था, जो संभावित तौर पर विमान के रखरखाव के अनिवार्य दायित्वों को प्रभावित कर सकता है।’
बढ़ी हुई निगरानी के दौरान डीजीसीए ने अलग-अलग स्थानों पर 266 पर औचक निरीक्षण किया था। इसने कहा, ‘यह पाया गया कि औचक निरीक्षण के दौरान पाई गई कमियों को विमानन कंपनी द्वारा उचित सुधार के लिए कार्रवाई की गई। इसी को ध्यान में रखते हुए और अतिरिक्त रकम जुटाने के बाद स्पाइसजेट को इस बढ़ी हुई निगरानी व्यवस्था से मुक्त कर दिया गया है।’ इसने स्पष्ट किया है, ‘मगर परिचालन की निरंतर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेड़े में औचक निरीक्षण जारी रहेगा।’
बढ़ी हुई निगरानी में रखे जाने के 10 दिन बाद यानी 23 सितंबर को विमानन कंपनी ने क्यूआईपी प्रक्रिया के जरिये वैश्विक निवेशक और म्युचुअल फंड से 3,000 करोड़ रुपये जुटाए थे।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने पिछले हफ्ते खबर दी थी कि विमानन कंपनी ने नियामक को बताया है कि वह अगले 24 महीनों में जमीन पर खड़े अपने 36 विमानों को परिचालन में लाने के लिए 400 करोड़ रुपये खर्च करेगी। क्यूआईपी प्रक्रिया के दौरान विमानन कंपनी ने खुलासा किया था कि उसके 58 में 36 विमान खड़े हैं और इसका प्रमुख कारण लेनदारों को भुगतान नहीं करना, आर्थिक संकट के कारण विमान के रखरखाव और कलपुर्जों की कमी है।
विमानन कंपनी बीते छह साल से घाटे में चल रही है। गुरुग्राम मुख्यालय वाली विमानन कंपनी का वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में सेमिकत शुद्ध लाभ एक साल पहले के मुकाबले 20 फीसदी कम होकर 158.1 करोड़ रुपये रहा गया। पिछली कई तिमाहियों से किफायती विमानन कंपनी विमान पट्टेदारों, इंजन पट्टेदारों और ऋणदाताओं को अवैतनिक बकाया पर कई कानूनी लड़ाइयों के बीच नकदी संकट से जूझ रही है।