सरकार सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) की माल ढुलाई जरूरतों को साथ लाते हुए भारतीय मालवाहकों को दीर्घकालिक चार्टर देने सहित कई उपायों पर काम कर रही है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को यह बात कही।
पुरी ने इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इसमें जहाज स्वामित्व एवं पट्टा (एसओएल) मॉडल को आगे बढ़ाना, सस्ते ऋण उपलब्ध कराने के लिए एक मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड की स्थापना और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी), इथेन एवं प्रोडक्ट टैंकरों के लिए भारी समर्थन के साथ शिपबिल्डिंग फाइनैंशियल असिस्टेंस पॉलिसी 2.0 को लागू करना शामिल होगा।
मंत्री ने बताया कि भारत के कुल व्यापार का महज 20 फीसदी माल ही भारतीय ध्वज अथवा भारत के स्वामित्व वाले जहाजों पर ले जाया जाता है। यह देश के लिए खुद के जहाज स्वामित्व एवं विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने के लिए एक चुनौती और अवसर दोनों है।
उन्होंने कहा, ‘शिपबिल्डिंग उद्योग को बुनियादी ढांचा और कुशल श्रम बल को बनाए रखने के लिए दीर्घकालिक योजना तैयार करने और निरंतर ऑर्डर हासिल करने की जरूरत होती है।’
पुरी ने कहा कि भारत के समुद्री क्षेत्र में पिछले 11 वर्षों के दौरान व्यापक बदलाव हुए हैं। बंदगाहों की क्षमता 2014 में 87.2 करोड़ टन प्रति वर्ष थी जो बढ़कर फिलहाल करीब 168.1 करोड़ टन हो गई है। कार्गो की मात्रा 58.1 करोड़ टन से बढ़कर लगभग 85.5 करोड़ टन हो चुकी है।
पुरी ने कहा, ‘सागरमाला कार्यक्रम के तहत बंदरगाहों को आधुनिक बनाने और तटीय क्षेत्रों को जोड़ने के लिए 5.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं पहले ही शुरू की गई हैं।’ उन्होंने कहा कि समुद्री क्षेत्र में 2047 तक लगभग 8 लाख करोड़ रुपये के निवेश आने और लगभग 1.5 करोड़ नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है।