दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों को मार्च 2026 तक सभी सर्कल में सीएनएपी (कॉलर नेम प्रेजेंटेशन) सेवा शुरू करने के लिए कहा है। यह सेवा स्मार्टफोन पर कॉल करने वाले की पहचान बताएगी। जानकार अधिकारियों ने बताया कि पहले सरकार ने साल के आखिर तक यानी दिसंबर इस सेवा को शुरू करने का आंतरिक लक्ष्य रखा था। लेकिन आधिकारिक तौर पर दूरसंचार कंपनियों को मार्च 2026 के अंत तक सेवा शुरू करने के लिए कहा गया था।
वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और रिलायंस जियो सहित कंपनियां अभी उत्तर के कुछ सर्कल में पायलट परियोजनाओं पर काम कर रही हैं। जल्द ही इसका लाइव परीक्षण हो सकता है। दूरसंचार कंपनियों को एक-दूसरे की सेवाओं पर इंटर-ऑपरेबिलिटी परीक्षण करने होंगे ताकि एक नेटवर्क से आने वाली कॉल दूसरे के नेटवर्क पर कॉलर की सही पहचान दिखाए। एक अधिकारी ने कहा, ‘अगर ये सभी परीक्षण कामयाब रहे तो हम व्यापक स्तर पर इस सेवा को लागू करेंगे।’
सीएनएपी या सीनैप डिफॉल्ट सेवा होगी लेकिन उपयोगकर्ताओं के पास इससे बाहर निकलने का भी विकल्प होगा। दूरसंचार कंपनियों को ये निर्देश भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के दूरसंचार विभाग के साथ सेवा को लागू करने पर सहमति बनने के बाद आए हैं। इसमें मुख्य मसला यह था कि इस सेवा को ग्राहकों की सहमति वाले विकल्प के बजाय ऑप्ट आउट यानी इसे नहीं चुनने के विकल्प के साथ दिया जाना चाहिए।
इस साल की शुरुआत में ट्राई ने स्पैम, परेशान करने वाली कॉलों को रोकने और धोखाधड़ी से बचाव के तरीके के रूप में इसका प्रस्ताव किया था। वर्तमान में इनकमिंग कॉल के लिए डिफॉल्ट रूप से केवल नंबर प्रदर्शित किए जाते हैं। इसमें अनिवार्य रूप से किसी का नाम दिखाई नहीं देता है। कॉलर की पहचान के लिए उपयोगकर्ता अलग से ट्रूकॉलर जैसे ऐप का उपयोग करते हैं।
दूरसंचार कंपनियों ने नंबर व्यवसाय या पारिवारिक मोबाइल कनेक्शन से संबंधित नंबर होने की स्थिति में इस सेवा को लेकर अपनी कुछ चिंताएं व्यक्त की थीं। इसके अलावा, यह सुविधा केवल 5जी और 4जी वाले मोबाइल फोन पर ही दी जा सकती है। पुराने सर्किट-स्विच नेटवर्क मुख्य रूप से 2जी/3जी फोन पर यह सेवा तकनीकी व्यवहार्यता अध्ययन करने के बाद ही दी जा सकेगी। दूरसंचार लाइसेंस की शर्तों में संशोधन किया जाएगा ताकि अधिसूचित कटऑफ तिथि के बाद देश में बेचे जाने वाले सभी नए फोन में सीएनएपी या सीनैप सेवा हो। यह काम इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से किया जाएगा।