भारतपे के को-फाउंडर अशनीर ग्रोवर ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में दायर अपनी याचिका को फिनटेक कंपनी के साथ समझौते के बाद वापस ले लिया है। ग्रोवर ने पहले बोर्ड पर दबाव डालने और गलत प्रबंधन (मिसमैनेजमेंट) का आरोप लगाते हुए याचिका दाखिल की थी।
NCLT ने 14 अक्टूबर 2024 को 30 सितंबर 2024 का समझौता पत्र पेश किए जाने के बाद ग्रोवर को याचिका वापस लेने की अनुमति दी। गौरतलब है कि ग्रोवर के वकील ने ट्रिब्यूनल के सामने समझौता पेश कर याचिका वापस लेने की अपील की थी।
NCLT के आदेश में कहा गया कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो चुका है, इसलिए अशनीर को याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाती है और मामला समाप्त कर दिया गया है।
इसके बाद, 17 अक्टूबर को अशनीर ग्रोवर ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) से भी अपनी याचिका वापस ले ली, जिसमें उन्होंने NCLT मामले की जल्दी सुनवाई की मांग की थी।
पहले दायर याचिका में ग्रोवर ने खुद को फिर से BharatPe का MD बहाल करने और Resilient Innovations के बोर्ड द्वारा किए गए बदलावों को ‘अवैध’ घोषित करने की मांग की थी। उन्होंने कंपनी का ऑडिट कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा कराने और अपनी पत्नी माधुरी जैन को फिर से नौकरी पर बहाल करने की भी अपील की थी, जिन्हें कंपनी के बोर्ड ने हटाया था।
समझौते के तहत, अब अशनीर ग्रोवर का BharatPe से कोई संबंध नहीं रहेगा। उनके शेयर एक पारिवारिक ट्रस्ट द्वारा संभाले जाएंगे, जबकि कुछ शेयर कंपनी के फायदे के लिए Resilient Growth Trust को ट्रांसफर किए जाएंगे।
अशनीर ग्रोवर को मार्च 2022 में MD पद से हटा दिया गया था, जिसके बाद उनके और कंपनी के बीच लंबी कानूनी लड़ाई शुरू हो गई थी। इस समझौते के साथ ही उनकी सभी कानूनी विवादों का अंत हो गया है, और ग्रोवर ने आधिकारिक रूप से BharatPe से खुद को अलग कर लिया है।