एयरटेल ने साइबर वित्तीय धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए दूरसंचार ऑपरेटरों से संयुक्त पहल करने की अपील की है। भारती एयरटेल के वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक गोपाल विट्ठल ने रिलायंस जियो, वोडाफोन आइडिया और भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को पत्र लिखकर एक साझा प्लेटफॉर्म तैयार करने का प्रस्ताव दिया है। सभी दूरसंचार ऑपरेटर संदिग्ध यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (यूआरएल) लिंक अथवा वेब एड्रेस के प्रसार को रोकने के लिए उस प्लेटफॉर्म पर सहयोग कर सकते हैं। इस प्रकार भोलेभाले उपभोक्ताओं को निशाना बनाने वाले साइबर अपराधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
विट्ठल ने बताया कि साइबर अपराध में तेजी से वृद्धि हुई है और इसके लिए काफी हद तक तमाम ब्रांडों का दुरुपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराधियों द्वारा उपभोक्ताओं को गुमराह करने और उनकी व्यक्तिगत, वित्तीय अथवा सुरक्षा संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारियां जुटाने के लिए किसी भरोसेमंद ब्रांड का सहारा लिया लिया जाता है।
साइबर अपराधी आम तौर पर लोगों को ऐसे एसएमएस भेजकर उन्हें यूआरएल पर क्लिक करने के लिए लुभाते हैं जो उन्हें फिशिंग वेबसाइट, नकली ऋण की पेशकश या धोखाधड़ी वाले भुगतान पेज पर रीडायरेक्ट करते हैं। इस प्रकार उपयोगकर्ताओं को व्यक्तिगत, वित्तीय या सुरक्षा संबंधी संवेदनशील जानकारी साझा करने और कई मामलों में भुगतान करने के लिए भी गुमराह किया जाता है।
गृह मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, भारत में साल 2024 के पहले नौ महीनों के दौरान साइबर अपराध की 17 लाख से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं। इन मामलों के तहत 11,000 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाया गया। इनमें से करीब आधे मामलों में धोखाधड़ी वाले यूआरएल का उपयोग किया गया। इसके अलावा बारीक डिजिटल धोखाधड़ी फिशिंग कॉल एवं मैसेज के जरिये भी साइबर वित्तीय धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया।
विट्ठल ने पत्र में कहा गहै, ‘हमारा मानना है कि उद्योग को एकजुट होकर जवाब देना जरूरी है। इसलिए हम सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को शामिल करते हुए एक जॉइंट टेलीकॉम फ्रॉड इनीशिएटिव का प्रस्ताव करते हैं ताकि हमारे नेटवर्क के जरिये संभावित धोखाधड़ी एवं घोटाले को रोकने, पता लगाने और ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए मिलकर काम किया जा सके।’
यह पहल ऐसे समय में की गई है जब सरकार ने किसी भी साइबर सुरक्षा में किसी भी सेंधमारी की पहचान करने और उसे विफल करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर साइबर सुरक्षा अनुपालन के लिए उद्योग को दिशानिर्देशों भी जारी किए गए हैं।
विट्ठल का कहना है कि धोखाधड़ी संबंधी खुफिया जानकारियों को वास्तविक समय पर साझा किए जाने से संदिग्ध नंबरों, उपकरणों और साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे पैटर्न की तुरंत पहचान अरने और उन्हें ब्लैकलिस्ट करने में मदद मिलेगी।
विट्ठल ने धोखाधड़ी का पता लगाने संबंधी नीतियों, प्रोटोकॉल और तकनीकी मानदंडों को मानकीकृत करने का भी प्रस्ताव दिया है। इससे साइबर धोखाधड़ी पर नजर रखने और एकरूपता लाने में मदद मिलेगी। प्रोटोकॉल और मानकों के लागू किए जाने से भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) और दूरसंचार विभाग सहित कानून प्रवर्तन एवं अन्य संस्थानों के साथ बेहतर समन्वय होगा। इस बाबत जानकारी के लिए भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया, रिलायंस जियो और बीएसएनएल को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
बहरहाल एयरटेल ने पहले भी दूरसंचार कंपनियों से स्कैम एवं स्पैम को कम करने के लिए संसाधन साझा करने के लिए कहा था। पिछले साल उसने सभी ऑपरेटरों से कॉरपोरेट कनेक्शन डेटा साझा करने के लिए कहा ताकि अनचाहे वाणिज्यिक कॉल या अवांछित मार्केटिंग, प्रचार संबंधी कॉल एवं एसएमएस से बेहतर तरीके से निपटा जा सके। एयरटेल ने स्पैम से निपटने के लिए खुद एआई आधारित समाधान पेश किया है जो स्पैम कॉल की पहचान करता है और उपयोगकर्ताओं को सचेत करता है। उस ने अब तक 27.5 अरब से अधिक कॉल को स्पैम के रूप में चिह्नित किया है।