टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशखरन ने आज कहा कि 26 नवंबर को न्यूयॉर्क से दिल्ली आ रहे विमान में पेशाब किए जाने की घटना पर एयर इंडिया की प्रतिक्रिया ‘अधिक तेज’ होनी चाहिए थी, लेकिन वह स्थिति को ठीक से नहीं संभाल पाई।
अमेरिकी वित्तीय सेवा फर्म वेल्स फार्गो में वाइस प्रेसिडेंट रहे शंकर मिश्रा ने उपरोक्त उड़ान में एक बुजुर्ग महिला सहयात्री के ऊपर पेशाब कर दी थी। घटना के बाद कंपनी ने मिश्रा को नौकरी से हटा दिया है। एयरसेवा पोर्टल और दिल्ली पुलिस को दी शिकायत में महिला ने कहा कि जब उन्होंने कैबिन क्रू को इस बारे में बताया तो उन्हें मिश्रा के साथ बातचीत कर मामला निपटाने के लिए मजबूर किया गया। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने 5 जनवरी को कहा था कि इस घटना की जानकारी उसे 4 जनवरी को मिली।
इस मामले पर पहली बार बयान जारी करते हुए चंद्रशेखरन ने कहा, ‘26 नवंबर, 2022 को एयर इंडिया की उड़ान एआई102 में हुई घटना मेरे और एयर इंडिया के मेरे सहयोगियों के लिए व्यक्तिगत आक्रोश का विषय है।’ उन्होंने कहा, ‘एयर इंडिया की प्रतिक्रिया और तेज होनी चाहिए थी। हम इस घटना को उस तरह नहीं संभाल पाए, जैसे संभाला जाना चाहिए था।’ उन्होंने कहा, ‘टाटा समूह और एयर इंडिया अपने यात्रियों और चालक दल की सुरक्षा और कल्याण के लिए पूरी दृढ़ता के साथ खड़े हैं। ऐसी अभद्र घटनाओं को रोकने के लिए हरेक प्रक्रिया का हम फिर जायजा लेंगे।’
इस बीच मिश्रा के बगल की सीट पर बैठे एक अमेरिकी डॉक्टर ने पीटीआई को बताया कि आरोपित शायद होश में नहीं था मगर कैबिन क्रू ने किसी तरह की करुणा नहीं दिखाई और अपनी ड्यूटी निभाने में नाकाम रहे। डॉक्टर ने कहा कि मिश्रा को बेकसूर और आरोपों को रकम ऐंठने का तरीका बताए जाने के मिश्रा के पिता के दावे सुनकर अब उन्होंने घटना के बारे में बताया है। डॉक्टर ने यह भी कहा कि ऐसी घटना होने के बाद समझौता कराने का सवाल ही नहीं उठता।
वेल्स फार्गो ने 6 जनवरी को मिश्रा को नौकरी से बर्खास्त कर दिया। प्राथमिकी दर्ज करने के बाद दिल्ली पुलिस ने 7 जनवरी को बेंगलूरु से मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया। एयर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक कैंपबेल विल्सन ने शनिवार को बताया कि उस उड़ान में मौजूद कैबिन क्रू के चार सदस्यों और एक पायलट को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जांच चलने तक उन्हें ड्यूटी पर नहीं रखा जाएगा।
विल्सन ने कहा कि इस बात की आंतरिक जांच भी चल रही है कि उड़ान में शराब परोसने, घटना से निपटने, शिकायत दर्ज करने और शिकायत से निपटने जैसे पहुओं पर दूसरे कर्मचारियों से चूक तो नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘एयर इंडिया स्वीकार करती है कि उड़ान के दौरान और नीचे उतरने पर यह मामला बेहतर तरीके से संभाला जा सकता था।’ विल्सन ने 26 नवंबर के साथ ही 6 दिसंबर की एक अन्य घटना का भी उल्लेख किया, जिसमें पेरिस से दिल्ली आ रहे विमान में एक पुरुष यात्री ने महिला यात्री के कंबल पर पेशाब कर दी थी। उन्होंने दोनों घटनाओं पर खेद व्यक्त किया और कहा कि कंपनी शराब परोसने की अपनी नीति पर भी पुनर्विचार कर रही है।
नागर उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस मामले पर तेजी से कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। डीजीसीए ने 5 जनवरी को कहा था कि उड़ान के दौरान यात्री के अभद्र आचरण का मामला संभालने में एयर इंडिया ने नियमों का उल्लंघन किया है और उसकी व्यवस्था में ही खामी है। डीजीसीए ने कहा कि इस घटना से निपटने में एयर इंडिया का आचरण ‘पेशेवराना’ नहीं था और उसने विमानन कंपनी, उसकी उड़ान सेवाओं के निदेशक और उड़ान संचालित करने वाले चालक दल को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।
डीजीसीए के 2017 के नियमों के मुताबिक गलत व्यवहार को तीन स्तरों में बांटा गया है। पहले स्तर में शारीरिक हावभाव, मौखिक उत्पीड़न और अनियंत्रित शराब पीना शामिल है, जिसके तहत विमानन कंपनी यात्री को तीन महीने तक उड़ान भरने से रोक सकती है। दूसरे स्तर में शारीरिक दुर्व्यवहार जैसे धक्का देना, मारना, लात मारना या यौन उत्पीड़न शामिल है। ऐसे मामलों में यात्री के उड़ान भरने पर 6 महीने तक के लिए प्रतिबंध लग सकता है।
स्तर तीन की घटनाओं में जान को खतरे वाला व्यवहार शामिल है जैसे विमान के ऑपरेटिंग सिस्टम को नुकसान पहुंचाना, जानलेवा हमला आदि। इसके तहत दो साल और उससे अधिक के लिए प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
नियमों के मुताबिक विमानन कंपनी को 30 दिन के भीतर ऐसे यात्री को नो-फ्लाई सूची में डालने के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए तीन सदस्यीय स्वतंत्र समिति गठित करनी होती है।