Adani-Hindenburg Case: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने 2016 से किसी भी अदाणी ग्रुप की कंपनी की जांच नहीं की थी और यह आरोप कि वह ऐसा कर रही है, “तथ्यात्मक रूप से निराधार” यानी गलत है। साथ ही SEBI ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आरोपों की जांच पूरी करने की समय सीमा बढ़ाने की भी मांग की।
इस मामले में बार एंड बेंच ने एक ट्वीट साझा किया गया है। जिसमे कहा गया है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए जांच पूरी करने में अभी और समय की ज़रूरत है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि सेबी द्वारा यह भी कहा गया है कि अरबपति गौतम अदाणी के नामांकित समूह द्वारा विनियामक खुलासे की संभावित खामियों की जांच का कोई भी गलत या समय से पहले निष्कर्ष न्याय के हित में नहीं होगा और न ही यह कानूनी रूप से स्थिर होगा।
कोर्ट फाइलिंग के दौरान सेबी ने कहा कि उसने पहले ही 11 विदेशी नियामकों से जानकारी के लिए संपर्क किया है। जिसके ज़रिए वो पता लगाने में जुटी है कि क्या अदाणी समूह ने अपने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध शेयरों के संबंध में किसी भी मानदंड का उल्लंघन किया है।
बता दें, अदाणी हिंडनबर्ग मामले में सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दायर किया है। जिसमें सेबी ने कहा है कि साल 2016 में GDR पर 51 कंपनियों की जांच हुई थी। 51 कंपनियों में अदाणी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियां शामिल नहीं थी। इस मामले में कार्रवाई पूरी हो चुकी है। जिसके बाद सेबी ने अब IOSCO से इसकी जानकारी मांगी है।