अदाणी समूह की एक कंपनी से ऑडिटर के तौर पर इस्तीफा देने से पहले डेलॉयट (Deloitte) ने अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की बाहर से स्वतंत्र जांच कराने की मांग की थी।
कंपनी ने हालांकि कहा कि आरोपों का वित्तीय लेखा-जोखा (financial statements) पर कोई असर नहीं पड़ा था और डेलॉयट के छोड़कर जाने के लिए बताया गया कारण संतोषजनक नहीं था।
अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशन इकोनॉमिक जोन (APSEZ) ने शेयर बाजार को भेजे 163 पन्नों की रिपोर्ट में डेलॉयट हास्किंस एंड सेल्स एलएलपी (Deloitte Haskins & Sells LLP) का इस्तीफा भेजा था।
क्या कहना था डेलॉयट का- अदाणी फर्म ने बताया
APSEZ ने कहा कि डेलॉयट के अधिकारियों ने बैठक में अदाणी समूह की अन्य लिस्टेड कंपनियों के लेखा परीक्षक (ऑडिटर) के रूप में व्यापक ऑडिट भूमिका की कमी पर चिंता व्यक्त की।
हालांकि, फर्म ने ऑडिटर को बताया कि ऐसी नियुक्तियों की सिफारिश करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है क्योंकि अन्य संस्थाएं पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।
पूर्व केंद्रीय गृह सचिव और APSEZ की ऑडिटर समिति के चेयरमैन गोपाल कृष्ण पिल्लई ने कहा, ‘(APSEZ की) लेखापरीक्षा समिति का विचार था कि वैधानिक लेखापरीक्षक के रूप में इस्तीफे के लिए डेलॉयट द्वारा दिए गए आधार इस तरह के कदम के लिए ठोस या पर्याप्त नहीं थे।’
उन्होंने कहा कि डेलॉयट ऑडिटर के रूप में बने रहने को तैयार नहीं थी और इसलिए, ग्राहक-लेखा परीक्षक संविदात्मक संबंध (client-auditor contractual relationship) को सौहार्दपूर्ण ढंग से समाप्त करने पर सहमति हुई।
क्या कहा था डेलॉयट ने?
डेलॉयट ने 12 अगस्त के अपने पत्र में कहा था कि वह APSEZ के ऑडिटर की भूमिका से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रही है, क्योंकि ‘क्योंकि हम अदाणी समूह की अन्य कंपनियों के वैधानिक ऑडिटर नहीं हैं।’