जीरे की कीमतों में भारी तेजी देखी जा रही है। इस महीने के महज 5 कारोबारी दिनों के दौरान ही जीरे के भाव करीब 18 फीसदी बढ़ चुके हैं। आमतौर पर किसी भी जिंस के वायदा भाव हाजिर भाव से ज्यादा रहते हैं। लेकिन जीरे की कीमतों में हालिया तेजी के दौरान हाजिर भाव वायदा भाव से ज्यादा है। दो साल से जीरे की कम पैदावार होने से इन दिनों बाजार में स्टॉकिस्ट सक्रिय होकर खूब खरीदारी कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता पैदावार कम होने से आगे जीरे की कमी हो सकती है।
महज 5 कारोबारी दिनों में 18 फीसदी महंगा हुआ जीरा
कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में इस माह के पहले कारोबारी दिन 3 अप्रैल को जीरा का अप्रैल कॉन्ट्रैक्ट 35,055 रुपये के भाव पर बंद हुआ था, जिसने आज खबर लिखे जाने के समय 41,490 रुपये क्विंटल का उपरी स्तर छू लिया। मई कॉन्ट्रैक्ट तो 42 हजार के करीब 41,785 रुपये क्विंटल के ऊपरी स्तर तक पहुंच गया।
इस महीने का आज 5वां कारोबारी दिन है। इस तरह इस माह 5 कारोबारी दिनों में जीरा 18 फीसदी महंगा हो चुका है। महीने भर में भाव 10 हजार रुपये क्विंटल से ज्यादा बढ़ चुके हैं।
आईआईएफएल सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट व जिंस विशेषज्ञ अनुज गुप्ता कहते हैं कि बीते कुछ दिनों से जीरे की कीमतों में इस कदर तेजी दर्ज की जा रही है कि जीरे के हाजिर भाव वायदा भाव से आगे निकल गए हैं। पिछले महीने तक वायदा भाव हाजिर भाव से कम थे। जीरे ही हाजिर कीमत 42,500 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि जीरे के अप्रैल कॉन्ट्रैक्ट ने 41,490 रुपये क्विंटल का उपरी स्तर छुआ।
जिंसों के भाव पर नजर रखने वाली सरकारी एजेंसी एग्मार्कनेट के मुताबिक 10 अप्रैल को उंझा मंडी में जीरा 30,000 से 45,000 रुपये बिका, जबकि 3 अप्रैल को ये भाव 28,000 से 37,500 रुपये क्विंटल थे।
उत्पादन में कमी और स्टॉकिस्टों की खरीदी से बढ़ रहे हैं जीरे के दाम
जिंस विश्लेषक और एग्रीटेक कंपनी green agrevolution pvt ltd में रिसर्च हेड इंद्रजीत पॉल ने बताया कि इस साल उत्पादन पहले से ही घटने का अनुमान था। ऐसे में 15 मार्च के बाद हुई असमय बारिश से खासकर राजस्थान के जीरा उत्पादक इलाकों में खेतों में खड़ी जीरे की फसल को नुकसान हुआ है। इस नुकसान के बीच मसाला निर्माता और स्टॉकिस्टों को लग रहा है कि आगे जीरे की किल्लत हो सकती है। इसलिए वे जीरे की खरीदारी तेजी से कर रहे हैं।
लिहाजा जीरे के दाम भी तेजी से बढ रही हैं। महज दो कारोबारी दिनों में ही जीरा 10 फीसदी महंगा हो चुका है।
पॉल के मुताबिक पिछले साल 6.29 लाख टन जीरे का उत्पादन हुआ था। इस साल यह घटकर 3.8 से 4 लाख टन रह सकता है।
43,000 रुपये तक जा सकते हैं जीरे के वायदा भाव स्टॉकिस्टों की खरीदारी को देखते हुए आगे भी जीरे की कीमतों में तेजी रहने की संभावना है।
गुप्ता कहते हैं कि छोटी अवधि में जीरे के वायदा भाव एक बार 43,000 रुपये क्विंटल का स्तर छू सकते हैं।
पॉल के मुताबिक भी आगे जीरे की कीमतों में और तेजी आ सकती है। हालांकि मुनाफावसूली के कारण कुछ गिरावट भी संभव है।