Tomato Price Hike: टमाटर के भाव तमाम रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। इससे आम आदमी का बजट तो बिगड़ ही रहा है, रेस्तरां भी खबरदार हो गए हैं। रेस्तरां मालिक टमाटर के भाव पर करीबी नजर रखे हैं क्योंकि कुछ के लिए इनकी कुल लागत 5 फीसदी तक चढ़ चुकी है।
रेस्तरां आम तौर पर माल मंगाने के लिए सालाना करार करते हैं और उसकी कीमत पहले से तय कर लेते हैं। मगर इससे छोटे रेस्तरां और ढाबों आदि का नुकसान हो जाता है क्योंकि उनके पास इस तरह का कोई सालाना करार या ठेका नहीं होता है।
इस साल फसल खराब होने से टमाटर की उपलब्धता घटना भी रेस्तरां के लिए समस्या की एक वजह है। आपूर्ति कम होने से टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं। पिछले सप्ताह दिल्ली में मैकडॉनल्ड्स इंडिया (McDonald’s India) के कुछ आउटलेट्स ने टमाटर इस्तेमाल करना बंद कर दिया। कंपनी ने कहा कि कुछ इलाकों में मौसम बिगड़ने के कारण टमाटर आसानी से नहीं मिल रहा है। इसलिए उसके गुणवत्ता के पैमानों पर खरा उतरने वाला टमाटर कम आ रहा है।
रेस्तरां यह भी कह रहे हैं कि सब्जियों एवं अन्य सामग्री की कीमतों में उतार-चढ़ाव उनके लिए आम बात नहीं है। पिछले साल उद्योग को खाद्य तेल की कीमतों में जबरदस्त तेजी से जूझना पड़ा था।
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इंडिगो हॉस्पिटैलिटी (Indigo Hospitality) के संस्थापक और नैशनल रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ( National Restaurant Association of India) के ट्रस्टी अनुराग कटरियार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘तय भाव पर आपूर्ति के लिए सालाना करार नहीं करने वाले छोटे रेस्तरां को तगड़ा झटका लगेगा और मजबूरी में उन्हें खाने-पीने के दाम बढ़ाने पड़ेंगे। मगर उद्योग के लिए सबसे बड़ी समस्या टमाटर की किल्लत है।’ उन्होंने बताया कि अधिकतर बड़ी रेस्तरां चेन का तय भाव पर साल भर आपूर्ति का ठेका है मगर भाव महीने भर से ज्यादा चढ़े रहे तो माल पहुंचाने वाले आपूर्तिकर्ता भी कीमत बढ़ाएंगे और उद्योग को उनकी बात माननी पड़ेगी।
मगर कटरियार ने बताया कि सभी रेस्तरां में टमाटर मुख्य सामग्री नहीं होता। पिज्जा बनाने वालों और भारतीय व्यंजन परोसने वाले रेस्तरां के लिए तो टमाटर बहुत जरूरी है मगर चीनी या जापानी व्यंजनों के लिए टमाटर की ज्यादा जरूरत नहीं होती।
मुंबई में द बॉम्बे कैंटीन (The Bombay Canteen), ओ पेड्रो (O Pedro) और वेरोनिका (Veronica) जैसी लोकप्रिय रेस्तरां चलाने वाली हंगर इंक हॉस्पिटैलिटी (Hunger Inc. Hospitality) के संस्थापक यश भनगे ने कहा कि टमाटर की कीमतों में तेजी का उनकी कंपनी पर फिलहाल कोई प्रभाव नहीं पड़ा है और व्यंजनों की कीमतें नहीं बढ़ाई जाएंगी। उन्होंने कहा, ‘आपूर्ति पर हो रहे असर पर हमारी नजर है मगर अभी तक मेरी टीम को दिक्कत नहीं हो रही है।’
दक्षिण भारत की बात करें तो आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों जैसे रायलसीमा क्षेत्र में पिछले सप्ताह खुदरा बाजार में टमाटर 160 रुपये प्रति किलो तक बिका, जबकि मध्य प्रदेश के बाद देश में सबसे ज्यादा टमाटर आंध्र ही उगाता है। भरपूर टमाटर उगाने वाले कर्नाटक और तमिलनाडु में भी रेस्तरां मालिकों को ज्यादा राहत नहीं मिली है।
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तमिलनाडु में लोकप्रिय अड्यार आनंद भवन (Adyar Ananda Bhavan ) रेस्तरां चेन के प्रमोटर केटी श्रीनिवास राजा ने कहा, ‘प्रतिष्ठित खाद्य श्रृंखला होने के कारण हमने टमाटर की गुणवत्ता बनाए रखी है। हम कुछ जगहों पर टमाटर थोक में भी लेते हैं। इसके भाव चढ़ने के कारण हमारी लागत करीब 5 फीसदी बढ़ गई है। मगर हम बढ़ी लागत का बोझ ग्राहकों पर भी नहीं डाल सकते।’
उनका कहना है कि दूसरे राज्यों से भारी मांग के कारण भी तमिलनाडु में टमाटर महंगे हो गए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले दो से तीन दिनों में कीमतें काबू में आ जाएंगी। मगर सब्जी कारोबारियों के मुताबिक जल्द राहत के आसार कम ही दिख रहे हैं। चेन्नई में आज खुदरा बाजार में टमाटर का भाव 110 रुपये प्रति किलो था।