मराठवाड़ा इलाके के केसर आम की मांग विदेशों में भी खूब होने लगी है। इस आम की मांग अब इतनी अधिक हो गयी है कि औरंगाबाद के आम उत्पादक इसका निर्यात, जापान, हांगकांग व अमेरिका में करने लगे है।
इसके अलावा अन्य देशों के व्यापारी भी इस आम की मांग करने लगे है। औरंगाबाद आम उत्पादन एसोसिएशन के प्रधान त्र्यंबक पाथिरकर ने बताया कि यहां की मंडी से जापान के लिए केसर आम की पहली खेप जा चुकी है। इस खेप में 150 टन आम का निर्यात किया गया है।
उनके मुताबिक इन दिनों औरंगाबाद की आम मंडी में ऑस्ट्रेलिया के व्यापारी आए हुए हैं। वे भी इन आमों को अपने देश में ले जाना चाह रहे है। उन्होंने कहा कि यह कोई नहीं जानता है कि गुजरात के जूनागढ का केसर आम मराठवाड़ा कैसे पहुंच गया। हालांकि इस आम के प्रति लोगों की रूचि तब जगी जब इसकी मांग विदेशों में की जाने लगी। पहली बार इस आम का निर्यात 1996 में किया गया।
तब इस आम की पहली खेप लंदन भेजी गयी थी। इस आम का स्वाद अंग्रेजों को काफी अच्छा लगा। और तब से विदेशों में इस आम का बाजार चढ़ता गया। 1996 से लेकर अब तक ब्रिटेन में केसर आम वहां के लोगों के बीच काफी प्रचलित हो गया है। विदेशों में इस आम की जबरदस्त मांग के कारम औरंगाबाद आम एसोसिएशन के 70 सदस्यों में काफी उत्साह है।
विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इन आम व्यापारियों का लक्ष्य यही होता है कि वे अधिक से अधिक केसर आम का निर्यात करे। एसोसिएशन के प्रधान के मुताबिक केसर आम का निर्यात उन 11 किसानों के कारण संभव हो पाया जिन्होंने केसर को निर्यात करने की शुरुआत की।
शुरू में नुकसान के बावजूद उन किसानों ने केसर का निर्यात करना नहीं छोड़ा। इन दिनों एमजीए केसर आम का निर्यात जापान, हांगकांग व अमेरिका में करता है। इस संगठन को राज्य सरकार की तरफ से वसंतराव नायक सम्मान व उदय पंडित सम्मान भी मिल चुका है।
एसोसिएशन के मुताबिक एमजीए के लिए यह भी काफी उत्साहजनक है कि ऑस्ट्रेलिया की टीम औरंगाबाद आयी और इस आम के स्वाद को चखने के बाद इस आम के निर्यात के लिए आर्डर तक दे चुकी है। हालांकि एसोसिएशन इस मामले में सरकार के उदासीन रवैये को लेकर दुखी है।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक सरकार औरंगाबाद में निर्यात सुविधा केंद्र स्थापित नहीं कर रही है। हालांकि सरकार ने औरंगाबाद में केसर आम के लिए एग्रो एक्सपोर्ट जोन को स्थापित करने का वादा किया था। पाथरिकर के मुताबिक आगामी 15 दिनों के भीतर 200 टन केसर आम का निर्यात किया जाएगा।
विदेशों में केसर आम की मांग को देखते हुए सरकार को औरंगाबाद में निर्यात सुविधा मुहैया कराने पर विचार करना चाहिए। इससे वहां के लोगों का रुझान केसर आम के उत्पादन की ओर होगा। और अगर ऐसा होता है तो निश्चित रूप से मराठवाड़ा जैसे सूखाग्रस्त इलाके के लिए यह वरदान साबित होगा।