गुजरात में जीरे की आवक में जोरदार तेजी आई है क्योंकि किसान अभी कीमतें अधिक होने का लाभ उठाने के उद्देश्य से अपने भंडार को बाजार में ला रहे हैं।
इस महीने राज्य में नये जीरे की आवक 20,000 से 21,000 बोरियां हो गई हैं (एक बोरी का भार 55 किलोग्राम होता है) जबकि पिछले साल मार्च में 7,000 से 8,000 बोरियों की आवक हुई थी।
बाजार प्रतिभागियों के अनुसार ये आंकड़े अप्रत्याशित हैं क्योंकि आवक में मार्च की शुरुआत या मार्च के अंत तक तेजी आती है। राजकोट के जीरा कारोबारी बी के पटेल ने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में जीरे की आवक में जबर्दस्त तेजी देखी गई है।’
आवक बढ़ने की वजह बताते हुए कारोबारियों ने कहा कि किसान हाजिर में जीरे की कीमतें अधिक होने का फायदा उठाना चाहते हैं। ऊंझा के जीरा कारोबारी अरविंद पटेल ने कहा, ‘वर्तमान में जीरा की कीमतें गुणवत्ता के आधार पर 1,900 रुपये से लेकर 2,300 रुपये प्रति 20 किलो के बीच है। वर्तमान कीमतें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 300 से 400 रुपये कम हैं।’
पटेल ने कहा, ‘रबी सीजन के दौरान कपास और मूंगफली की कीमतों में शीर्ष स्तर से गिरावट आती देखी गई थी। वर्तमान में घरेलू मांगों का असर जीरा बाजार पर देखा जा रहा है। ऐसे समय में जब जीरे के कम उत्पादन का अनुमान किया जा रहा है किसान अपना भंडार बरकरार रखना नहीं चाहेंगे। कीमतों में मजबूती का लाभ उठाने के लिए वे बिक्री कर रहे हैं।’
दूसरी तरफ, आर्थिक मंदी के कारण इस साल जीरा निर्यात घटने की संभावना है। पिछले साल लगभग 30 से 31 लाख बोरी जीरे का उत्पादन हुआ था पिछले साल का बचा भंडार 10 से 12 लाख बोरियों का है। साल 2007-08 में कुल मिलाकर 35 से 36 लाख बोरियों का कारोबार किया गया था जिसमें निर्यात वाली 10 से 12 लाख बोरियां भी शामिल थीं।
रबी सीजन के दौरान जीरे के रकबे में बढ़ोतरी के बावजूद खराब मौसम के कारण उत्पादन घट कर 25 लाख बोरी होने का अनुमान है। जीरा कारोबार से जुड़े कुछ लोगों का अनुमान है कि उत्पादन 22 लाख बोरियों से अधिक शायद ही पार कर पाए।