Nurturing Organic Farming in India: देश में अब जैविक खेती खूब होने लगी है। केंद्र सरकार ने 10 साल पहले जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की थी। इसके बाद से किसान जैविक खेती में रुचि ले रहे हैं। जैविक खेती का रकबा अब लाखों हेक्टेयर में पहुंच गया है और इससे लाखों किसानों को लाभ हुआ है।
केंद्र सरकार ने 2015 में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए पीकेवीवाई कार्यक्रम शुरू किया था। इस योजना से देश में जैविक खेती को बल मिला है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीते 10 साल के दौरान फरवरी 2025 तक देश में 15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती के अंतर्गत लाया गया है।
सरकार ने 2020-21 में उन क्षेत्रों (आदिवासी बेल्ट, द्वीप, पर्यावरण-संरक्षित क्षेत्र) में जैविक खेती के तेजी से प्रमाणन ( fast-track certification) के लिए Large Area Certification (एलएसी) कार्यक्रम शुरू किया, जहां रासायनिक खेती कभी नहीं की गई है। एलएसी से 2 से 3 साल में मिलने वाला जैविक खेती सर्टिफिकेट कुछ ही महीनों में मिल जाता है।
दंतेवाड़ा में 50,279 हेक्टेयर और पश्चिम बंगाल में 4,000 हेक्टेयर, कार निकोबार और और नानकॉरी द्वीप (Car Nicobar & Nancowry Islands) समूह में 14,491 हेक्टेयर, लक्षद्वीप में 2,700 हेक्टेयर, सिक्किम में 60,000 हेक्टेयर और लद्दाख में 5,000 हेक्टेयर में एलएसी के तहत जैविक खेती को अपनाया गया है।
सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। जिससे लाखों किसान लाभान्वित हुए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार सरकार ने 2015 से 2025 की अवधि में पीकेवीवाई के तहत 30 जनवरी 2025 तक 2,265.86 करोड़ रुपये जारी किए हैं। जिससे फरवरी 2025 तक 25.30 लाख किसान लाभान्वित हुए। साथ ही इस योजना के तहत 52,289 क्लस्टर बने हैं। जैविक खेती के लिए शुरू किए गए पोर्टल पर दिसंबर 2024 तक, 6.23 लाख किसान, 19,016 स्थानीय समूह, 89 इनपुट आपूर्तिकर्ता और 8,676 खरीदार पंजीकृत थे।
परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के अंतर्गत जैविक खेती के तरीकों को अपनाने वाले किसानों को तीन वर्ष की अवधि के लिए 31,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जा रही है। ऑन-फार्म और ऑफ-फार्म जैविक इनपुट के लिए 15,000 रुपये (डीबीटी) के साथ ही मार्केटिंग, पैकेजिंग और ब्रांडिंग के लिए 4,500 रुपये, सर्टिफिकेशन व residue analysis ( उत्पाद प्राकृतिक व रसायन मुक्त सुनिश्चित करना ) के लिए 3,000 रुपये, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए 9,000 रुपये की मदद मिलती है।
पीकेवीवाई के केंद्र में क्लस्टर दृष्टिकोण निहित है। किसानों को सामूहिक रूप से जैविक खेती के तरीकों को अपनाने के लिए 20-20 हेक्टेयर के समूहों में जुटाया जाता है। पीकेवीवाई का उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल कृषि के मॉडल को आगे बढ़ाना है जो किसान के नेतृत्व वाले समूहों के साथ कम लागत, रसायन मुक्त तकनीकों के साथ खाद्य सुरक्षा, आय सृजन और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाता है।