रेकॉर्ड कीमत और अमेरिका की आर्थिक मंदी के चलते खरीद में कमी होने से सोने की मांग 5 साल के अपने न्यूनतम स्तर तक पहुंच गयी है।
लंदन स्थित विश्व सोना परिषद (वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल) के मुताबिक, निवेशक फंडों को छोड़कर हरेक मद में सोने की खरीद में कमी आयी है। पर, कीमत के मामले में देखें तो सोने की मांग में 20 फीसदी की तेजी हुई है।
महंगाई और वैश्विक मंदी के बावजूद साल 2008 की पहली तिमाही में सोने की मांग बढ़कर 20.9 अरब डॉलर हो गयी। साल की पहली तिमाही में सोने की वैश्विक खपत में पिछले साल की समानावधि की तुलना में 16 फीसदी की कमी आयी है। इस दौरान 701.3 टन सोने की खपत हुई है जो 2003 की शुरुआत से सबसे कम है।
दुनिया में सोने के सबसे बड़े उपभोक्ता भारत में तो इसकी खपत में 50 फीसदी तक की कमी आयी है। साल की पहली तिमाही में देश में आभूषण और सोना में निवेश बढक़र क्रमश: 71 टन और 31 टन हो गया है। ये दोनों ही पिछले साल की तुलना में आधी है। हालांकि चीन, रूस, वियतनाम और मिस्र में इसकी मांग में बढ़ोतरी हुई है।
सोने के बड़े निवेशकों द्वारा खरीदारी किए जाने से सोने का भाव बीते 17 मार्च को बढ़कर 1,032.70 डॉलर प्रति औंस हो गया। इसके परिणामस्वरूप महंगाई की भयावहता और बढ़ गयी और उम्मीद जतायी जाने लगी कि अमेरिका में ब्याज दरों में और कटौती की जाएगी। स्ट्रीटट्रैक्स गोल्ड जैसे एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड में इस दौरान 72.9 टन का निवेश हुआ जो पिछले साल की तुलना में दोगुना है।
काउंसिल के आंकड़े बताते हैं कि सोने की कीमत अपने उच्चतम कीमत की तुलना में 14 फीसदी तक कम हुई है। जबकि, पिछले साल की तुलना में इस साल की अक्षय तृतीया यानि 7 मई को सोने की मांग में 11 फीसदी की कमी आयी। काउंसिल की आर्थिक सलाहकार जिल लीलैंड ने बताया कि हमारा मानना है कि इस साल की दूसरी तिमाही में भी सोने की मांग में कमी होना जारी रहेगा।
उनका कहना है कि फिलहाल सोने की कीमत जहां है यदि वह यहीं स्थिर रहा तब भी इसके उपभोक्ताओं में खरीदारी का विश्वास दोबारा आ जाएगा। लंदन की कंपनी जीएफएमएस लिमिटेड की रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने की खरीदारी में पिछले साल की तुलना में 21 फीसदी की कमी आयी है और यह 445.4 टन रह गया है। तुर्की और सउदी अरब में आभूषण और सिक्के तथा खुदरा निवेश के दूसरे उपायों में तो 25 फीसदी की कमी हुई है।
वहीं चीन और मिस्र में सोने की खपत में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, रूस में 9 फीसदी जबकि सबसे ज्यादा वृद्धि वियतनाम में हुई है। लीलैंड ने कहा कि वियतनाम में अधिकतर बैंकों ने सोने में निवेश किया है, इसके चलते इसकी मांग में काफी ज्यादा वृद्धि हुई है। उनका कहना है कि मिस्र में सोने में तेजी की वजह यह धारणा है कि सोने की कीमत में अभी और तेजी आएगी।
चीन में खपत
चीन में सोने की खपत में वैश्विक कमी के विपरीत बढ़ोतरी हुई है। इस साल इसकी खपत में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और यह 101.7 टन तक जा पहुंचा है जो भारत में सोने की कुल खपत 102.1 टन के लगभग बराबर है। पिछले साल की चौथी तिमाही में तो चीन दुनिया का सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता बना गया।
जानकारों का मानना है कि चीन सोने की खपत के मामले में कभी भी भारत को पछाड़ सकता है। जी. लीलैंड के मुताबिक, दोनों ही अर्थव्यवस्थाएं तेजी से उभर रही है पर भारत की जनसंख्या ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। उनके अनुसार, चीनी निवेशक तेजी से बढ़ते बाजार में भी खरीदारी करने से नहीं डरते। चीन में सोने की खरीदारी करने के कई कारण हैं। मालूम हो कि भारत 1997 से दुनिया का सबसे बड़ा सोने की खपत करने वाला देश है।