वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोक सभा को बताया कि कृषि उपकरणों और सामग्री पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को कम करने के प्रस्ताव पर मंत्रीसमूह विचार कर रहा है। वित्त विधेयक 2025 पर पूछे गए प्रश्नों का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि ट्रैक्टर, ड्रिप सिंचाई प्रणाली, उर्वरक और कीटनाशकों जैसे कृषि इनपुट पर जीएसटी को शून्य करने के प्रस्ताव पर 17 सितंबर, 2021 को जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में चर्चा की गई थी लेकिन उस समय इस पर सहमति नहीं बन पाई थी। उन्होंने कहा, ‘अब मंत्रियों का समूह इस पर विचार कर रहा है इसलिए इन वस्तुओं पर विचार के बाद ही निर्णय होगा।’ लोक सभा ने वित्त विधेयक, 2025 को पारित कर दिया।
सीतारमण ने कृषि से संबंधित वस्तुओं पर जीएसटी ढांचे को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि बीज पर कोई जीएसटी नहीं लगता है। इसी तरह उर्वरकों पर 5 फीसदी और हाथ से उपयोग किए जाने वाले औजारों पर शून्य कर लगता है। ट्रैक्टरों पर 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगाता है। कृषि उपयोग वाले पंपों पर भी 12 फीसदी जीएसटी लगता है।
वित्त मंत्री ने आयकर विधेयक 2025 में डिजिटल पहलू को शामिल करने का बचाव करते हुए कहा कि आयकर अधिनियम, 1961 के तहत मौजूदा प्रावधान मुख्य रूप से भौतिक रिकॉर्ड को संदर्भित करते हैं, जिससे डिजिटल डेटा जुटाने में दिक्कत आती है।
उन्होंने कहा, ‘वर्तमान परिवेश में डेटा को देखने का प्रावधान है, खास तौर पर सक्षम द्वारा अधिकृत तलाशी और जब्ती के कुछ मामलों में। अब नए आयकर विधेयक में इसका विशेष रूप से उल्लेख किया गया है क्योंकि 1961 के अधिनियम में डिजिटल रिकॉर्ड का कोई प्रावधान नहीं है।’
डिजिटल साक्ष्यों से कर चोरी का पता लगाने में मदद मिलने के उदाहरणों का हवाला देते हुए वित्त मंत्री ने कहा, ‘एन्क्रिप्शन को डिकोड करने पर 250 करोड़ रुपये के बेहिसाब धन का पता चला। व्हाट्सऐप संदेशों से मिले साक्ष्यों से 90 करोड़ रुपये से अधिक के क्रिप्टो लेनदेन और 200 करोड़ रुपये के फर्जी बिलिंग सिंडिकेट का पता चला।’ उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह गूगल मैप हिस्ट्री ने अघोषित लेनदेन से जुड़े स्थानों का पता लगाने में मदद की और उच्च मूल्य वाली संपत्तियों के स्वामित्व का पता लगाने के लिए इंस्टाग्राम का उपयोग किया गया।
सीतारमण ने लोक सभा को बताया कि सरकार ने करदाताओं को स्वैच्छिक रूप से विदेशी संपत्तियों और विदेशी आय का खुलासा करने के लिए प्रेरित किया है जिसके सकारात्मक परिणाम आए हैं। वैश्विक सूचना-साझाकरण समझौतों के संबंध में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की 2018 की घोषणा को याद करते हुए सीतारमण ने कहा कि देश को अब भारतीयों द्वारा विदेश में खोले गए खातों की जानकारी प्राप्त होती है।
इस पहल के तहत 19,501 चुनिंदा करदाताओं को एसएमएस और ईमेल भेजे गए। उनमें से 11,162 करदाताओं ने अपने आयकर रिटर्न को संशोधित किया और 11,259.29 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्ति एवं 154.42 करोड़ रुपये की विदेशी आय का खुलासा किया। इसके अलावा 883 करदाताओं ने अपने आवास की स्थिति को निवासी से अनिवासी में सुधार किया।